SSC परीक्षा में गड़बड़ियाँ और Protest: SSC Protest 2025 Explained

0 Divya Chauhan

SSC परीक्षा में गड़बड़ियाँ और Protest: SSC Protest 2025 Explained

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नई दिल्ली: देशभर में सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए Staff Selection Commission (SSC) की परीक्षाएँ हमेशा से उम्मीद की किरण रही हैं। लेकिन इस साल की Selection Post Phase-13 परीक्षा 2025 और अन्य भर्ती परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों ने इन युवाओं का भरोसा हिला दिया है।

तकनीकी समस्याओं, अव्यवस्था और लंबे समय से रुके हुए रिजल्ट्स के कारण छात्र अब सड़कों पर उतर आए हैं। सोशल मीडिया से लेकर जंतर मंतर तक हर जगह एक ही आवाज़ गूंज रही है — #SSCProtest और #SSCPhase13Protest। यह अब सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि लाखों छात्रों के भविष्य की लड़ाई बन चुका है।

 

📌 आखिर SSC Phase-13 परीक्षा में हुआ क्या?

3 अगस्त से 7 अगस्त 2025 के बीच आयोजित Selection Post Phase-13 परीक्षा का उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों में खाली पदों को भरना था। लेकिन परीक्षा शुरू होते ही कई जगहों पर ऐसी समस्याएँ सामने आईं, जिनकी किसी को उम्मीद नहीं थी।

  • कई परीक्षा केंद्रों पर सर्वर डाउन होने के कारण परीक्षा शुरू ही नहीं हो सकी।
  • छात्रों को लॉगिन नहीं हो पा रहा था, कई बार स्क्रीन फ्रीज़ हो रही थी।
  • परीक्षा केंद्रों में पंखे और एसी खराब थे, जिससे छात्रों को गर्मी में घंटों इंतजार करना पड़ा।
  • कुछ छात्रों को परीक्षा देने के बाद अचानक पेपर कैंसिल या री-शेड्यूल होने का मैसेज मिला।

एक छात्र ने सोशल मीडिया पर लिखा,

मैं तीन घंटे तक बैठा रहा, लेकिन परीक्षा शुरू ही नहीं हुई। हमारे करियर के साथ यह मज़ाक कब तक चलेगा?”

 

📍 किन राज्यों से आईं सबसे ज़्यादा शिकायतें?

सबसे ज़्यादा शिकायतें उन राज्यों से आईं जहां बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं:

  • बिहार: पटना, गया
  • उत्तर प्रदेश: लखनऊ, प्रयागराज
  • राजस्थान: जयपुर, कोटा
  • मध्य प्रदेश: भोपाल, इंदौर

हर जगह एक ही पैटर्न दिखा – अव्यवस्था, तकनीकी गड़बड़ियाँ और जवाबदेही का अभाव।

 

🔥 छात्रों का गुस्सा सड़कों पर

परीक्षा में आई इन समस्याओं के साथ-साथ SSC CGL 2023 और CHSL 2024 के रिजल्ट्स में देरी ने छात्रों का गुस्सा और बढ़ा दिया। महीनों से रिजल्ट का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों का कहना है कि SSC अब पारदर्शी नहीं रहा और उसकी प्रक्रियाओं में भरोसा नहीं किया जा सकता।

छात्रों के आरोप:

  • Answer Key और रिजल्ट समय पर जारी नहीं किए जा रहे।
  • शिकायत दर्ज कराने पर कोई जवाब नहीं मिलता।
  • चयन प्रक्रिया बेहद धीमी और अस्पष्ट हो गई है।

इन्हीं कारणों से हजारों छात्र जंतर मंतर, दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर जैसे शहरों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लाखों पोस्ट्स और वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें छात्र अपनी पीड़ा और गुस्से को खुलकर व्यक्त कर रहे हैं।

 

📢 छात्रों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शन कर रहे उम्मीदवारों ने कई बार अपनी मांगों को सामने रखा है। उनका कहना है कि ये मांगें न केवल उनके हित में हैं, बल्कि चयन प्रणाली को भी बेहतर बनाएंगी:

  1. परीक्षा केंद्रों की तकनीकी सुविधाओं में तुरंत सुधार किया जाए।
  2. जो भी परीक्षाएँ हो चुकी हैं, उनके रिजल्ट्स बिना देरी के जारी किए जाएं।
  3. हर परीक्षा के लिए क्लियर टाइमलाइन और शेड्यूल दिया जाए।
  4. चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए।

एक महिला अभ्यर्थी ने कहा,

हमने सालों मेहनत की है। अब अगर सिस्टम ही हमें न्याय नहीं देगा, तो मेहनत का क्या मतलब रह गया?”

 

🏛️ SSC और सरकार की चुप्पी

छात्रों के विरोध और सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज़ों के बावजूद, SSC की तरफ से कोई ठोस बयान अब तक नहीं आया है। आयोग ने सिर्फ एक छोटा सा नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि कुछ केंद्रों पर तकनीकी दिक्कतें आईं और प्रभावित छात्रों को वैकल्पिक तारीख दी जाएगी।

लेकिन यह बयान छात्रों को संतुष्ट नहीं कर सका। उनका कहना है कि ये सिर्फ समस्या को टालने का तरीका है, समाधान नहीं।

 

🧠 विशेषज्ञों की राय

शिक्षा और भर्ती क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि SSC जैसी संस्था का काम केवल परीक्षा आयोजित करना नहीं है, बल्कि उसे एक विश्वसनीय, पारदर्शी और भरोसेमंद प्रक्रिया भी सुनिश्चित करनी होती है।

  • बार-बार परीक्षाओं का कैंसिल होना
  • रिजल्ट्स में महीनों की देरी
  • और संवाद की कमी

इन सबके कारण न केवल छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि पूरे भर्ती सिस्टम की साख पर भी सवाल उठता है।

एक करियर एक्सपर्ट के शब्दों में,

सरकारी नौकरी पाने के लिए युवा सालों तैयारी करते हैं। अगर सिस्टम ही उनकी उम्मीदों को तोड़ने लगे, तो इससे ज़्यादा निराशाजनक कुछ नहीं हो सकता।”

 

🔎 समस्या सिर्फ परीक्षा की नहीं, पूरे सिस्टम की है

SSC Phase-13 परीक्षा में हुई तकनीकी गड़बड़ियाँ और बाकी परीक्षाओं के परिणामों में लगातार देरी यह दिखाती है कि समस्या केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं है। यह पूरे भर्ती ढांचे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है।

  • कई उम्मीदवारों की आयु सीमा निकलने का खतरा है।
  • कईयों ने तैयारी के लिए नौकरियाँ छोड़ दीं, और अब वे अनिश्चितता में हैं।
  • परीक्षा की अनियमितता से छात्रों का आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

 

अब ज़रूरी है जवाबदेही और सुधार

सरकार और SSC को अब स्थिति की गंभीरता को समझना होगा। लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

सुधार के लिए कुछ ज़रूरी कदम:

  • परीक्षा केंद्रों की इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी जांच हर साल होनी चाहिए।
  • हर परीक्षा के लिए फिक्स कैलेंडर और रिजल्ट टाइमलाइन जारी की जाए।
  • अभ्यर्थियों के लिए ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम (शिकायत निवारण तंत्र) को और मज़बूत बनाया जाए।
  • और सबसे ज़रूरी — आयोग को पारदर्शी संवाद बनाए रखना होगा।

 

🔚 निष्कर्ष

SSC Phase-13 परीक्षा विवाद सिर्फ एक परीक्षा की कहानी नहीं है। यह उन लाखों युवाओं की कहानी है जो अपने सपनों के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं और सिस्टम की लापरवाही के कारण बार-बार निराश होते हैं।

यह आंदोलन सिर्फ पेपर कैंसिल या रिजल्ट डिले के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह भविष्य के अधिकारों की आवाज़ है। अगर सरकार और आयोग अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में युवाओं का विश्वास पूरी तरह से खत्म हो सकता है।

एक मजबूत भारत के लिए ज़रूरी है कि युवाओं को एक न्यायपूर्ण, पारदर्शी और विश्वसनीय भर्ती प्रक्रिया दी जाए — क्योंकि यही देश की रीढ़ हैं।

 

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