केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए मंगलवार का दिन बेहद खास रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी गई। यह फैसला उन सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत है जो कई महीनों से इस घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे।
सरकार ने साफ कहा है कि अब आयोग आधिकारिक रूप से काम शुरू करेगा और 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। यह रिपोर्ट तय करेगी कि आने वाले वर्षों में कर्मचारियों की सैलरी, भत्तों और पेंशन में कितने बदलाव किए जाएंगे।
8th Pay Commission क्या है?
भारत में हर दस साल में एक वेतन आयोग बनाया जाता है। इसका काम केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन संरचना की समीक्षा करना होता है। इस आयोग की सिफारिशें यह तय करती हैं कि कर्मचारियों को महंगाई और आर्थिक स्थिति के अनुसार कितना वेतन मिलना चाहिए।
7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था। अब आठवां आयोग 2025 में बन चुका है और इसकी सिफारिशें संभवतः 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएंगी। यह चक्र देश में हर दशक में दोहराया जाता है ताकि सरकारी कर्मचारियों का जीवनस्तर समय के साथ बेहतर होता रहे।
कैबिनेट का फैसला — क्या हुआ है?
सरकार ने मंगलवार को 8वें वेतन आयोग के Terms of Reference यानी कार्यक्षेत्र को मंजूरी दी है। इसका मतलब है कि आयोग को अब स्पष्ट दिशा मिल चुकी है कि उसे किन बिंदुओं पर अध्ययन और सिफारिश करनी है।
- आयोग को 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी।
- अगर कुछ सिफारिशें पहले तैयार हो जाती हैं, तो आयोग अंतरिम रिपोर्ट (Interim Report) भी दे सकता है।
- सरकार ने संकेत दिया है कि नई सैलरी संरचना संभवतः 1 जनवरी 2026 से लागू होगी।
आयोग में कौन-कौन शामिल हैं?
सरकार ने इस आयोग में तीन सदस्यों की नियुक्ति की है। यह एक अस्थायी निकाय (Temporary Body) होगा जो अपनी रिपोर्ट पूरी होने के बाद भंग हो जाएगा।
- Chairperson: पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज रंजनप्रकाश देसाई
- Part-time Member: प्रो. पुलक घोष, IIM बैंगलोर
- Member Secretary: पंकज जैन, पेट्रोलियम सचिव
इन तीनों सदस्यों पर आयोग की जिम्मेदारी होगी कि वे देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाते हुए उचित सिफारिशें तैयार करें।
कितने लोगों को फायदा होगा?
सरकार के मुताबिक, इस आयोग की सिफारिशों से लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और करीब 69 लाख पेंशनभोगी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इसके अलावा, कई राज्य सरकारें भी इन सिफारिशों को कुछ संशोधनों के साथ अपनाती हैं, जिससे लाखों और लोगों पर इसका असर होता है।
कर्मचारी वर्ग का मानना है कि इस बार आयोग को महंगाई, आवास खर्च और पेंशन असमानताओं को लेकर विशेष ध्यान देना चाहिए।
Terms of Reference के मुख्य बिंदु
सरकार ने आयोग को जिन बातों पर ध्यान देने के निर्देश दिए हैं, वे इस प्रकार हैं:
- देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन बनाए रखना।
- विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- पेंशन योजनाओं के वित्तीय बोझ का विश्लेषण करना।
- राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर संभावित प्रभाव का आकलन करना।
- सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की वेतन और कार्य परिस्थितियों की तुलना करना।
इन बिंदुओं के आधार पर आयोग यह तय करेगा कि सैलरी में कितना प्रतिशत इज़ाफा होना चाहिए और पेंशन व भत्तों में कौन से बदलाव जरूरी हैं।
कब से लागू हो सकता है नया वेतन?
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि आयोग की सिफारिशें आने के बाद ही लागू करने की तारीख तय होगी। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि अधिक संभावना है कि यह 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाएगा।
इसका मतलब है कि 2025 के अंत तक आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकता है और 2026 से नई वेतन संरचना प्रभावी हो जाएगी। यह समय-सीमा लगभग 18 महीने की है, जिसमें अध्ययन, सर्वे और रिपोर्ट-लेखन शामिल होंगे।
पिछले वेतन आयोगों से तुलना
हर वेतन आयोग का असर देश की अर्थव्यवस्था और कर्मचारियों की जेब दोनों पर दिखता है।
- 6वां वेतन आयोग 2006 में बना और 2008 में लागू हुआ।
- 7वां वेतन आयोग 2014 में बना और 2016 में लागू हुआ।
- 8वां वेतन आयोग 2025 में बना है और 2026 से लागू होने की उम्मीद है।
हर आयोग ने औसतन 20% से 35% तक सैलरी में बढ़ोतरी की है। इस बार भी अनुमान है कि बेसिक सैलरी और डीए में सुधार होगा, जिससे कर्मचारियों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है।
कर्मचारियों की उम्मीदें
कई कर्मचारी संगठनों ने सरकार से अपील की थी कि 8वां वेतन आयोग जल्द से जल्द गठित किया जाए। उनकी मुख्य मांगें थीं:
- महंगाई भत्ता (DA) को वेतन में शामिल किया जाए।
- पेंशन असमानता खत्म की जाए।
- ग्रेड-पे स्ट्रक्चर में सुधार किया जाए।
- न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये प्रति माह से कम न हो।
इन बिंदुओं को आयोग अपने अध्ययन में शामिल करेगा और संभव है कि रिपोर्ट में इन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
फिटमेंट फैक्टर और वेतन वृद्धि पर चर्चा
वेतन आयोगों में ‘फिटमेंट फैक्टर’ सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तय करता है कि कर्मचारियों का बेसिक पे कितने गुणा बढ़ेगा। उदाहरण के तौर पर, 7वें आयोग में यह 2.57 गुना था। अगर 8वें आयोग में इसे बढ़ाकर 3.0 या 3.2 गुना किया गया, तो कर्मचारियों के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी संभव है।
इस विषय पर पहले से ही कई चर्चाएँ चल रही हैं। अधिक जानकारी के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं: 8th Pay Commission Fitment Factor और Salary Update.
स्वास्थ्य बीमा में बदलाव की संभावना
सरकार अब CGHS (Central Government Health Scheme) की जगह एक नया मॉडल CGEPHIS यानी Central Government Employees and Pensioners Health Insurance Scheme लागू करने पर विचार कर रही है। इससे कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को कैशलेस हेल्थ कवरेज मिलने की उम्मीद है।
इस बारे में पूरी जानकारी के लिए पढ़ें: CGHS से CGEPHIS: नया हेल्थ इंश्योरेंस मॉडल क्या है?
पेंशनर्स के लिए क्या बदलेगा?
पेंशनभोगियों के लिए भी इस आयोग की सिफारिशें अहम हैं। रिपोर्ट में पेंशन पुनर्गणना (Re-fixation) और पारिवारिक पेंशन में संशोधन शामिल हो सकता है। इससे 69 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को फायदा होगा।
पेंशन संबंधी संभावित बदलावों और वेतन-पेंशन अपडेट्स पर विस्तार से पढ़ें: 8th Pay Commission News: Salary और Pension Update.
सरकार का संतुलन और चुनौतियाँ
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी — वित्तीय अनुशासन और विकास योजनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना। वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकारी खर्च में भारी वृद्धि होती है। इसलिए आयोग को यह भी ध्यान रखना होगा कि इससे देश के बजट पर अनावश्यक दबाव न पड़े।
- देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए खर्च पर नियंत्रण जरूरी है।
- राज्य सरकारों को भी केंद्र के फैसलों के अनुरूप अपनी व्यवस्था बनानी पड़ती है।
- सरकारी खजाने पर भार बढ़ने से विकास योजनाओं पर असर पड़ सकता है।
क्या राज्य सरकारें भी अपनाएँगी?
पिछले अनुभव बताते हैं कि केंद्र की सिफारिशों को कई राज्य सरकारें कुछ बदलावों के साथ लागू करती हैं। 7वें वेतन आयोग की तरह 8वां आयोग भी राज्यों के वेतन-भत्तों पर असर डालेगा। हालांकि, लागू करने का समय और तरीका हर राज्य में अलग-अलग होगा।
अगले कदम क्या होंगे?
- आयोग को अब अध्ययन और आंकड़े जुटाने का काम शुरू करना होगा।
- सरकारी विभागों और कर्मचारी संघों से सुझाव लिए जाएंगे।
- 2026 की शुरुआत तक रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
- इसके बाद कैबिनेट रिपोर्ट को मंजूरी देकर लागू करने का फैसला लेगी।
8वें वेतन आयोग की मंजूरी से लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स में उत्साह है। यह आयोग न केवल वेतन और पेंशन में बदलाव लाएगा, बल्कि कर्मचारियों के जीवनस्तर को भी सुधारने का काम करेगा।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि आयोग अपनी रिपोर्ट में क्या सिफारिशें करता है और सरकार उसे किस रूप में लागू करती है। अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 2026 में कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

