उत्तराखंड चमोली बादल फटा: पुल बहा, अलकनंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर

0 Divya Chauhan
उत्तराखंड चमोली बादल फटने से तबाही और रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बहती हुई
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उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम का मिजाज खराब हो गया है। पहाड़ों पर लगातार हो रही भारी बारिश और बादल फटने (Cloud Burst) की घटनाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। चमोली जिले में गुरुवार रात बादल फटने से कई इलाकों में तबाही मच गई। तेज बारिश और पहाड़ों से आए मलबे ने गांवों, सड़कों और खेतों को नुकसान पहुंचाया है। प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है, जबकि आपदा प्रबंधन विभाग (Disaster Management Authority) लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।


रिपोर्ट्स के मुताबिक, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। अचानक हुई तेज बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। रुद्रप्रयाग के पास अलकनंदा नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर से ऊपर बह रहा है। प्रशासन ने Red Alert जारी करते हुए लोगों को नदी और नालों से दूर रहने की चेतावनी दी है। कई गांवों में पानी घरों में घुस गया है और खेतों को भारी नुकसान हुआ है।


केदारघाटी में बहाव इतना तेज था कि एक पुल (Bridge) पानी में बह गया। इससे आसपास के कई गांवों का संपर्क टूट गया है। स्थानीय लोगों को अब एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल रास्ता तय करना पड़ रहा है। छोटे नालों और गदेरों में भी जलस्तर बढ़ने से हालात और बिगड़ गए हैं। कई जगहों पर भूस्खलन (Landslide) की घटनाएं हुई हैं, जिससे सड़कों पर मलबा जमा हो गया है और यातायात पूरी तरह बाधित है।


चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) पर भी असर पड़ा है। यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। केदारनाथ और बद्रीनाथ की ओर जाने वाले रास्ते बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे मौसम सामान्य होने तक आगे न बढ़ें।


चमोली पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें एक वाहन पानी से भरी सड़क पार करने की कोशिश करता दिखा। पुलिस ने इसे “बहादुरी नहीं, बल्कि लापरवाही” बताया और लोगों से ऐसी कोशिश न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारी बारिश के दौरान सड़कें और पुल बेहद फिसलन भरे हो जाते हैं और थोड़ी सी गलती जानलेवा साबित हो सकती है।


इस बीच, NDRF (National Disaster Response Force) और SDRF (State Disaster Response Force) की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने प्रभावित गांवों में अस्थायी राहत शिविर (Relief Camps) बनाए हैं। जिन इलाकों में बाढ़ या मलबे का खतरा है, वहां लोगों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।


मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले 48 घंटों के लिए उत्तराखंड के चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल और टिहरी जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, इन इलाकों में भूस्खलन और Flash Flood का खतरा बना रहेगा। विभाग ने कहा कि ऊँचे इलाकों में बारिश की तीव्रता और बढ़ सकती है।


लगातार बारिश की वजह से बिजली और मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हुए हैं। कई इलाकों में ट्रांसफॉर्मर फुंक गए हैं और बिजली के खंभे गिरने से आपूर्ति ठप हो गई है। ग्रामीण इलाकों में संचार व्यवस्था (Communication System) भी बाधित है। लोगों को प्रशासन से संपर्क करने में मुश्किल हो रही है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इस तरह की घटनाएं अक्सर देखने को मिल रही हैं। पहले जो बादल फटने की घटनाएं कभी-कभार होती थीं, अब वे हर मानसून में देखने को मिल रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह क्लाइमेट चेंज (Climate Change) का असर है। बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा पैटर्न के कारण पहाड़ी इलाकों में अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं।


चमोली जिले के कुछ गांवों में लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। कई परिवार रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं। स्कूली शिक्षा भी बाधित है क्योंकि सड़कों के टूटने और स्कूलों में पानी भर जाने से पढ़ाई रुक गई है।


प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट पर रखा है। मेडिकल टीमें गांव-गांव जाकर लोगों की जांच कर रही हैं ताकि जलजनित बीमारियों (Water Borne Diseases) को फैलने से रोका जा सके। राहत सामग्री जैसे राशन, दवाइयाँ और पीने का पानी प्रभावित इलाकों में भेजा जा रहा है। हेलिकॉप्टर के जरिए भी कुछ दूरदराज के इलाकों तक सहायता पहुंचाई जा रही है।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि “जनहानि को रोकना सर्वोच्च प्राथमिकता हो”। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहना चाहिए और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करनी होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी और नुकसान का सर्वे तुरंत कराया जाएगा।


पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पहाड़ी राज्य में अनियोजित निर्माण (Unplanned Construction) और नदियों के किनारे अवैध अतिक्रमण (Encroachment) ने भी जोखिम को बढ़ा दिया है। कई जगहों पर होटल, गेस्ट हाउस और घर नदी के बहुत करीब बना दिए गए हैं। जब बारिश या बादल फटने की घटना होती है, तो नदी का रुख बदलने से ये निर्माण सबसे पहले नुकसान झेलते हैं।


इस तरह की घटनाएँ यह याद दिलाती हैं कि उत्तराखंड जैसे राज्यों में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी है। Sustainable Development का मतलब है कि इंफ्रास्ट्रक्चर बने, लेकिन प्रकृति के नियमों के साथ। लगातार होने वाली प्राकृतिक आपदाएँ बताती हैं कि अब चेत जाने का समय है।


फिलहाल चमोली और रुद्रप्रयाग में हालात गंभीर हैं। कई रास्ते बंद हैं, पुल बह गए हैं और बिजली-पानी की व्यवस्था ठप है। राहत कार्य जारी है, लेकिन मौसम विभाग की नई चेतावनी ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें, सतर्क रहें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।


उत्तराखंड की यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या पहाड़ अब आपदाओं के प्रति पहले से ज्यादा असुरक्षित हो गए हैं? लगातार बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएँ अब अपवाद नहीं बल्कि सामान्य होती जा रही हैं। यह स्थिति केवल प्रशासनिक चुनौती नहीं बल्कि पर्यावरणीय चेतावनी भी है। अगर अभी भी जागरूकता और सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाले सालों में इन आपदाओं का खतरा और बढ़ेगा।


राज्य सरकार, प्रशासन और आम जनता — तीनों को मिलकर काम करना होगा। जलवायु परिवर्तन को रोकना मुश्किल है, लेकिन उसके असर को कम करना हमारे हाथ में है। सावधानी, सतर्कता और सही नीति ही अब उत्तराखंड जैसे खूबसूरत राज्य को इन प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकती है।

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