बेंगलुरु अब पांच नगर निगमों में बंटा | GBA लागू

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बेंगलुरु अब पांच हिस्सों में बंटा, बीबीएमपी खत्म – नागरिक सेवाओं में आएगा बड़ा बदलाव

बेंगलुरु नागरिक सेवाओं में बदलाव के साथ नई व्यवस्था
Image: collidu.com

कर्नाटक सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुए बेंगलुरु को पांच अलग-अलग नगर निगमों में बांट दिया। अब तक पूरे शहर को संभालने वाली बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (BBMP) का अस्तित्व खत्म हो गया है। इसके स्थान पर नया ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (GBA) बनेगा, जिसके अंतर्गत पांच कॉरपोरेशन काम करेंगे – बेंगलुरु वेस्ट, साउथ, नॉर्थ, ईस्ट और सेंट्रल।


क्यों लिया गया ये फैसला?

बेंगलुरु भारत के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में है। आबादी बढ़ रही है, गाड़ियां बढ़ रही हैं, कचरा प्रबंधन और ट्रैफिक जैसे मुद्दे भी बढ़ रहे हैं। एक ही नगर पालिका पूरे शहर को संभालने में बार-बार नाकाम साबित हो रही थी।

शहर के लोग लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि उनकी समस्याओं को समय पर हल नहीं किया जाता। कहीं कचरा साफ नहीं होता, कहीं सीवरेज का काम अधूरा छूट जाता। इन सबके बीच सरकार पर दबाव था कि कोई ठोस कदम उठाए।


पांच निगम कैसे काम करेंगे?

सरकार ने शहर को पांच हिस्सों में बांटा है।

  • बेंगलुरु वेस्ट – पश्चिमी इलाकों की जिम्मेदारी लेगा।
  • बेंगलुरु साउथ – दक्षिणी हिस्सों में विकास कार्य और नागरिक सेवाएं देखेगा।
  • बेंगलुरु नॉर्थ – तेजी से बढ़ रहे उत्तरी इलाकों का प्रबंधन करेगा।
  • बेंगलुरु ईस्ट – पूर्वी हिस्सों के लिए जिम्मेदार होगा।
  • बेंगलुरु सेंट्रल – पुराने और बीच के इलाकों पर ध्यान देगा।


हर निगम के पास अपना आयुक्त, कर्मचारी और बजट होगा। इनके ऊपर एक बड़ा निकाय, ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी, समन्वय करेगा।


नागरिकों पर क्या असर पड़ेगा?

सबसे बड़ा असर लोगों को सेवाओं में महसूस होगा। पहले शिकायतें एक ही जगह जाती थीं और हल ढूंढने में समय लगता था। अब उम्मीद है कि लोकल स्तर पर फैसले जल्दी होंगे।

  • सड़क की मरम्मत, कचरा उठाने या नाले की सफाई जैसे काम अब ज्यादा तेजी से पूरे होंगे।
  • लोग अपने ही क्षेत्रीय निगम से संपर्क कर पाएंगे।
  • टैक्स और फंडिंग भी इलाकों के हिसाब से खर्च की जाएगी।


सरकार का तर्क

सरकार का कहना है कि इतने बड़े शहर को एक ही संस्था से चलाना संभव नहीं रहा। छोटे-छोटे निगम बनने से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

सरकार ने यह भी कहा कि कर्मचारी और स्टाफ को नए निगमों में बांटा जाएगा, जिससे किसी की नौकरी पर असर नहीं पड़ेगा।


चुनौतियां भी कम नहीं

हालांकि, यह बदलाव आसान नहीं होगा।

  • पांच निगमों के बीच तालमेल बैठाना बड़ी चुनौती होगी।
  • बजट बंटवारा विवाद का कारण बन सकता है।
  • नागरिकों को शुरुआत में नई व्यवस्था समझने में दिक्कत हो सकती है।


विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समन्वय ठीक से नहीं हुआ तो समस्याएं और बढ़ सकती हैं।


राजनीतिक प्रतिक्रिया

सत्ता पक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब बेंगलुरु की गिनती बेहतर ढंग से मैनेज होने वाले शहरों में होगी।

विपक्ष का आरोप है कि यह कदम जनता की सुविधा से ज्यादा राजनीतिक फायदा लेने के लिए उठाया गया है। उनका कहना है कि सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जनता को लुभाने के लिए ये ऐलान किया है।


नागरिकों की राय

शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं।

  • कई लोगों को उम्मीद है कि अब उनकी शिकायतें जल्दी सुनी जाएंगी।
  • वहीं कुछ लोग कहते हैं कि “नाम बदलने से काम नहीं बदलता, असली फर्क तभी दिखेगा जब सड़कों, कचरे और पानी की समस्या हल होगी।”


अभी नए निगमों की सीमाएं तय हो रही हैं और कर्मचारियों का बंटवारा चल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इन निगमों के चुनाव भी कराए जाएंगे। इसके बाद ही जनता को चुने हुए प्रतिनिधि मिलेंगे।


बेंगलुरु का यह नया मॉडल देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो हो सकता है कि दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में भी ऐसा कदम उठे।


फिलहाल, बेंगलुरु के नागरिक इंतजार कर रहे हैं कि यह नया बदलाव उनके रोजमर्रा के जीवन में कितना असर लाता है।


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