पैसा नहीं तो क्या? पैसे के बिना समाज कैसे चलेगा?
पैसे के बिना समाज कैसा होगा?
अगर पैसे का सिस्टम खत्म हो जाए, तो दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि लोग सीधे-सीधे चीज़ों का लेन-देन करेंगे। इस सिस्टम को बार्टर सिस्टम(Barter System) कहते हैं। इसमें आप अपनी ज़रूरत की चीज़ के बदले अपनी बनाई हुई या उगाई हुई कोई चीज़ देते हैं। मान लो, आप किसान हैं। आपको कपड़े चाहिए। आप कपड़ा बनाने वाले के पास जाकर अपनी फसल के बदले कपड़े लेंगे। इसमें पैसे की कोई ज़रूरत नहीं होगी।
यह एक बहुत पुराना तरीका है। जब पैसे का आविष्कार नहीं हुआ था, तब लोग ऐसे ही काम चलाते थे। अगर आज भी ऐसा हो, तो यह एक बिल्कुल नई शुरुआत होगी। यह हमारे जीने के तरीके और सोचने के तरीके को बदल देगी। लोग सिर्फ अपनी ज़रूरतों पर ध्यान देंगे, न कि बहुत सारा पैसा कमाने पर।
बार्टर सिस्टम की वापसी: लेनदेन का तरीका
- सीधा लेन-देन: मान लीजिए, आप एक अच्छा फर्नीचर बना सकते हैं। और आपके पड़ोसी को फर्नीचर चाहिए। वह एक डॉक्टर है। तो आप उससे कहेंगे, "मैं आपके लिए एक अलमारी बना देता हूँ, बदले में आप मेरे परिवार का इलाज कर देना।" यह एक सीधा-सा सौदा होगा।
- सामुदायिक लेन-देन: लोग अपने समुदाय पर ज्यादा निर्भर होंगे। गाँव में किसान अनाज देगा, मोची जूते बनाएगा, और बढ़ई लकड़ी का काम करेगा। सब लोग एक-दूसरे की मदद करेंगे।
- सेवाओं का आदान-प्रदान: नौकरी का कॉन्सेप्ट खत्म हो जाएगा। लोग अपनी सेवाएँ देंगे और बदले में सेवाएँ लेंगे। जैसे, एक शिक्षक पढ़ाने के बदले खाना या रहने की जगह ले सकता है।
इस सिस्टम में सबसे बड़ी चुनौती होगी ज़रूरतों का मेल खाना। मान लो आपको दूध चाहिए, और आपके पास देने के लिए सिर्फ गेहूं है, लेकिन जिसे दूध चाहिए उसे गेहूं नहीं चाहिए। उसे तो सब्जी चाहिए। ऐसे में लेन-देन मुश्किल हो जाएगा।
समाज में बड़े बदलाव: रिश्ते और जीवनशैली
- रिश्ते मजबूत होंगे: आज हम पैसे के लिए काम करते हैं। कल हम एक-दूसरे की मदद के लिए काम करेंगे। इससे लोगों के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ेगा। पड़ोसी एक-दूसरे के करीब आएंगे।
- कम उपभोक्तावाद: आज हम बहुत सारी चीजें खरीदते हैं जिनकी हमें ज़रूरत नहीं होती। पैसे के बिना, हम सिर्फ वही चीज़ें लेंगे जो हमारे लिए ज़रूरी हैं। इससे दुनिया में उपभोक्तावाद (consumerism) कम होगा।
- हुनर की पहचान: जिस व्यक्ति में कोई खास हुनर होगा, उसकी बहुत इज़्ज़त होगी। एक अच्छा किसान, एक अच्छा कारीगर या एक अच्छा डॉक्टर बहुत मूल्यवान होगा।
- सादा जीवन: लोग दिखावे और फिजूलखर्ची से दूर रहेंगे। ज़िंदगी सादी और प्राकृतिक हो जाएगी।
- शहरों से वापसी: शहरों में बार्टर सिस्टम चलाना बहुत मुश्किल होगा। लोग गाँवों और छोटे समुदायों की ओर लौटेंगे, जहाँ लेन-देन आसान है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकार पर असर
- शिक्षा: स्कूल और कॉलेज का फीस सिस्टम खत्म हो जाएगा। शिक्षक पढ़ाने के बदले छात्रों के परिवार से सेवाएँ या सामान ले सकते हैं। ज्ञान का दान ज्यादा होगा।
- स्वास्थ्य: डॉक्टर फीस नहीं लेंगे। वे इलाज के बदले अपने मरीज़ों से उनकी ज़रूरत का सामान या सेवा लेंगे। हो सकता है कि अस्पतालों का संचालन समुदाय के लोग मिलकर करें।
- सरकार और प्रशासन: सरकार का मौजूदा स्वरूप खत्म हो जाएगा। टैक्स और राजस्व की जगह समुदाय के लोग अपनी सेवाएँ या सामान दान करेंगे। कानून व्यवस्था बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
चुनौतियाँ और समस्याएँ
- मूल्य निर्धारण: किसी चीज़ का मूल्य कैसे तय होगा? एक सेब की कीमत कितनी होगी? एक घर की कीमत कितनी होगी? यह तय करना बहुत मुश्किल होगा।
- भंडारण: अगर आपके पास बहुत सारा गेहूं है, तो उसे कहाँ रखेंगे? पैसे की तरह इसे स्टोर करना आसान नहीं होगा।
- काम करने की प्रेरणा: लोगों में काम करने की प्रेरणा कम हो सकती है। अगर किसी को सब कुछ मिल जाए तो वह क्यों मेहनत करेगा?
- बड़े प्रोजेक्ट: बड़े प्रोजेक्ट जैसे पुल बनाना, रोड बनाना या बिजली घर बनाना मुश्किल होगा। इसके लिए लोगों को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करना कठिन होगा।
- व्यापार: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लगभग खत्म हो जाएगा। एक देश दूसरे देश से कैसे व्यापार करेगा?
एक काल्पनिक दिनचर्या: पैसा-रहित दुनिया में
चलो, एक पल के लिए कल्पना करते हैं कि आज सुबह आप उठे और पैसे का कोई मतलब नहीं है।
- सुबह आप उठते हैं। आपको दूध चाहिए। आप पड़ोस के डेयरी फार्मर के पास जाते हैं और उसे कुछ सब्ज़ियाँ देते हैं जो आपने अपने बगीचे में उगाई हैं।
- फिर आपको अपने बच्चे को स्कूल भेजना है। आप शिक्षक को घर पर बना खाना या एक दिन उनके लिए खेत में काम करने का वादा करते हैं।
- दोपहर में आप अपने घर का एक हिस्सा ठीक करते हैं। आप लकड़ी का काम करते हैं। शाम को आपके घर का दरवाज़ा टूट जाता है। आप अपने पड़ोसी बढ़ई को ठीक करने के लिए कहते हैं, बदले में वह आपकी सेवा ले सकता है।
- रात में, आप अपने परिवार के साथ मिलकर खाना खाते हैं और बातें करते हैं। अब कोई मोबाइल फोन, कोई सोशल मीडिया नहीं, क्योंकि इंटरनेट के लिए भी पैसा चाहिए।
निष्कर्ष
अगर पैसे का सिस्टम खत्म हो जाए, तो दुनिया एक अलग ही दिशा में जाएगी। यह बदलाव हमें अपने मानवीय रिश्तों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए मजबूर करेगा। हम एक-दूसरे पर ज्यादा निर्भर होंगे। हम प्रकृति और अपने हुनर के करीब होंगे।
लेकिन, यह एक आदर्शवादी सोच है। आज की जटिल दुनिया में जहाँ करोड़ों लोग एक साथ रहते हैं, बिना पैसे के सिस्टम चलाना लगभग असंभव है। पैसे ने हमें एक मानक दिया है, जिसने लेन-देन को आसान बनाया है और हमें विकास की राह पर आगे बढ़ाया है। शायद हमें पैसे के साथ जीना सीखना चाहिए, न कि पैसे को अपनी ज़िंदगी बनाना चाहिए।
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