प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर “सेवा पर्व” पौधारोपण अभियान: उत्तर प्रदेश में 15 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य
17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक चलने वाले इस अभियान का मकसद है हरित आवरण बढ़ाना और जनता को सेवा से जोड़ना। यूपी को इस बार बड़ा टारगेट मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन इस बार देशव्यापी सेवा और पर्यावरण अभियान के नाम रखा गया है। इसे "सेवा पर्व" कहा जा रहा है। अभियान 17 सितंबर 2025 से शुरू हुआ और 2 अक्टूबर, महात्मा गांधी जयंती तक चलेगा।
केंद्र सरकार ने इस दौरान पूरे देश में 1.25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। उत्तर प्रदेश को अकेले 15 लाख पौधे लगाने का जिम्मा मिला है। राज्य और स्थानीय निकायों ने इस मिशन को जनआंदोलन की तरह चलाने की तैयारी कर ली है।
- अभियान की अवधि: 17 सितंबर — 2 अक्टूबर 2025
- राष्ट्रीय लक्ष्य: 1.25 करोड़ पौधे
- उत्तर प्रदेश का लक्ष्य: 15 लाख पौधे
- पहले दिन कार्रवाई: 34 नगर वनों में पौधारोपण
- डेटा और फोटो MeriLIFE पोर्टल पर अपलोड किए जाएँगे
सेवा पर्व क्यों खास है?
पौधारोपण कोई नई बात नहीं है। पर इस बार इसे प्रधानमंत्री के जन्मदिन और गांधी जयंती से जोड़कर। यह 16 दिनों का सतत अभियान है। इसे सेवा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है।
सरकार ने इसे केवल दिखावे का काम नहीं बनने दिया। डिजिटल ट्रैकिंग, स्थानीय निगरानी और समुदाय को जोड़ने के कदम रखे गए हैं। इससे कार्यक्रम की जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।
देशभर का लक्ष्य और राज्यवार बंटवारा
केंद्र सरकार ने कुल 1.25 करोड़ पौधों का लक्ष्य रखा है। राज्यों को उनकी क्षमता और ज़रूरत के मुताबिक लक्ष्य बाँटे गए हैं। कुछ बड़े बिंदु यह हैं:
राज्य / क्षेत्र | लक्ष्य (पौधे) |
---|---|
उत्तर प्रदेश | 15,00,000 |
ओडिशा | 20,00,000 |
महाराष्ट्र | 10,00,000 |
गुजरात | 8,00,000 |
राजस्थान | 8,00,000 |
अन्य छोटे राज्य (कुल) | 34,50,000 |
उत्तर प्रदेश में योजना और अमलीजामा
यूपी प्रशासन ने इस अभियान को सफाई और शिक्षा कार्यक्रमों के साथ जोड़ दिया है। नगर निगम, वन विभाग और पंचायतें मिलकर चल रही हैं। स्कूली बच्चों और स्थानीय स्वयंसेवकों को पहले से प्रशिक्षित कर लिया गया है।
पहली पंक्ति में दिखता है कि कार्यक्रम सिर्फ पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहेगा। नगर वनों की मरम्मत, मिट्टी का परीक्षण और नियमित सिंचाई व्यवस्था भी प्लानों में शामिल है। इससे पौधों के जीवित रहने की संभावना बढ़ेगी।
हर लगाए गए पौधे की लोकेशन और फोटो MeriLIFE पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। इससे पता चलेगा कि पौधा कहाँ और कब लगाया गया था। आगे उसकी हालत भी ट्रैक की जा सकेगी। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों बढ़ती हैं।
जनभागीदारी: स्कूल, कॉलेज और समाज
इस अभियान की सफलता का आधार स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी है। कई स्कूलों में छात्रों को "एक पौधा लगाओ" का संदेश दिया गया। कॉलेजों के NSS और NCC विंग्स ने भी कार्यक्रमों का आयोजन किया।
पंचायतों ने ग्रामीण इलाकों में खाली जमीन चिन्हित की और स्थानीय किसानों से सहमारी (co-management) की व्यवस्था पर चर्चा की। कई एनजीओ और कॉर्पोरेट सीएसआर इकाइयां भी साथ आई हैं।
पहले दिन की गतिविधियाँ और स्थानीय दृश्य
पहले दिन उत्तर प्रदेश के 34 नगर वनों में वृहद् कार्यक्रम हुआ। लखनऊ के कुछ इलाके, कानपुर की कॉलोनियाँ और वाराणसी के घाटों पर विशेष पौधारोपण देखने को मिला।
स्कूलों में बच्चों ने शपथ ली कि वे अपने लगाए पौधों का ध्यान रखेंगे। नगर निगम कर्मचारियों ने भी पौधों के आसपास की मिट्टी में उर्वरक और जैविक मल जोड़ा। स्थानीय लोगों ने उत्साह दिखाया और कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
पर्यावरणीय महत्व और आंकड़े
पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। वे मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और जल चक्र को संतुलित रखने में मदद करते हैं। विश्व स्तर पर पेड़ों की कटाई और शहरीकरण ने हमारी हवा और जलवायु को प्रभावित किया है।
सामान्य अनुमान के अनुसार एक मध्यम आकार का पेड़ सालाना लगभग 20–25 किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोख सकता है। अगर 1.25 करोड़ पौधे में से आधे जीवित रहकर बढ़े तो यह दीर्घकाल में वायुमंडल पर सकारात्मक असर डालेगा।
विशेषज्ञों की राय और चुनौती
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े अभियानों से जागरूकता बढ़ती है। पर वे चेतावनी भी देते हैं:
- सिर्फ पौधे लगाना काफी नहीं है। उन्हें बचाए रखना जरूरी है।
- निगरानी के मद्देनजर मजबूत डिजिटल और स्थानीय व्यवस्था होनी चाहिए।
- स्थानीय परिस्थिति के मुताबिक उपयुक्त प्रजातियाँ लगनी चाहिए।
- सिंचाई और कीट नियंत्रण जैसी मूलभूत जिम्मेदारियाँ तय होनी चाहिए।
आम जन की प्रतिक्रिया
लखनऊ की 12वीं की छात्रा प्रिया कहती हैं, "हमने स्कूल में मिलकर पांच पौधे लगाए। अब उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी हमारी है।" वाराणसी के एक स्थानीय व्यापारी ने बताया, "दुकान के बाहर नए पेड़ लगाए हैं। इससे ग्राहक भी खुश हैं और जगह छाँवदार बनी है।"
सोशल मीडिया पर लोगों ने अभियान की तस्वीरें शेयर कीं। हैशटैग्स #SevaParv और #PlantATree ट्रेंड करने लगे। कई संगठनों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और रिपोर्टिंग की सुविधा दी।
भविष्य का असर और दीर्घकालीन सोच
अगर यह अभियान केवल एक इवेंट न रहे बल्कि सतत प्रयास बन जाए, तो इसके कई फायदे होंगे: शहरों में गर्मी का असर कम होगा, शहरों की हवा साफ होगी, और बायो-डायवर्सिटी को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार और स्थानीय निकायों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि लगाए गए पौधे पांच साल तक जीवित रहें। इसके लिए सामुदायिक निगरानी और फंडिंग दोनों जरूरी हैं।
निष्कर्ष
"सेवा पर्व" केवल एक कार्यक्रम नहीं है। यह एक कोशिश है लोगों को जोड़ने की और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी बढ़ाने की। उत्तर प्रदेश का 15 लाख पौधों का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, पर जनता की भागीदारी इसे संभव बना सकती है।
यदि आप भी इस अभियान में भाग लेना चाहते हैं तो अपने नजदीकी नगर निगम या वन विभाग से संपर्क करें। अपने द्वारा लगाए गए पौधे की तस्वीर MeriLIFE पोर्टल पर अपलोड करना न भूलें।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: सेवा पर्व कब तक चलेगा?
Ans: 17 सितंबर 2025 से 2 अक्टूबर 2025 तक।
Q2: देशभर में कितने पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है?
Ans: कुल 1.25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है।
Q3: उत्तर प्रदेश का टारगेट कितना है?
Ans: उत्तर प्रदेश को 15 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है।
Q4: MeriLIFE पोर्टल का क्या उपयोग है?
Ans: यह पोर्टल पौधारोपण की फोटो, लोकेशन और अन्य डेटा रिकॉर्ड करने के लिए है ताकि निगरानी और पारदर्शिता बनी रहे।
Q5: क्या सिर्फ पौधे लगाना ही काफी होगा?
Ans: नहीं। पौधे लगाना पहला कदम है। उनकी देखभाल, सिंचाई और सुरक्षा भी जरूरी है।
यह लेख उपयोगी लगा हो तो कमेंट में बताइए। अगर आपने कहीं पौधा लगाया है तो उसकी फोटो शेयर करें और बताइए किस जगह लगाया।