ट्रंप के नए टैरिफ 2025: भारत समेत 70+ देशों पर बड़ा असर

0 Divya Chauhan

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए वैश्विक टैरिफ से प्रभावित देश और उद्योग

ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए नए टैरिफ़ दुनिया भर में व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं। इन शुल्कों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना और व्यापार घाटे को कम करना है। इन टैरिफ़ से अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों में बड़ा बदलाव आया है। ये टैरिफ़ विभिन्न देशों पर अलग-अलग दर से लगाए गए हैं। इनका असर भी अलग-अलग तरह से हो रहा है।


कुछ देशों को सबसे ज़्यादा शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। भारत और ब्राज़ील पर सबसे ज़्यादा 50% का टैरिफ़ लगाया गया है। यह दर बहुत ज़्यादा है। इसका इन देशों के निर्यात पर बड़ा असर होगा। भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामान जैसे कि कपड़ा, जेवर, और कृषि उत्पाद बहुत महंगे हो जाएँगे। ब्राज़ील के लिए भी यह एक बड़ा झटका है। उनका स्टील, सोयाबीन और अन्य सामान अब अमेरिका में कम बिकेगा।


सीरिया पर 41% और म्यांमार और लाओस पर 40% का टैरिफ़ है। स्विट्जरलैंड पर भी 39% का भारी शुल्क लगा है। इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ बुरी तरह प्रभावित होंगी। उनका अमेरिकी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इन ऊँचे टैरिफ़ से इन देशों की आर्थिक स्थिरता पर खतरा बढ़ गया है।


कुछ देशों पर मध्यम स्तर के टैरिफ़ लगाए गए हैं। कनाडा, इराक, और सर्बिया पर 35% का शुल्क है। कनाडा के लिए यह एक बड़ा झटका है। उनका अमेरिका के साथ बहुत ज़्यादा व्यापार है। ऑटोमोबाइल पार्ट्स, लकड़ी और कृषि उत्पादों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इराक और सर्बिया जैसे देशों के लिए भी यह एक चुनौती है। अल्जीरिया, लीबिया, बोस्निया और हर्ज़ेगोविना, और दक्षिण अफ्रीका पर 30% का टैरिफ़ है। यह शुल्क भी काफी ज़्यादा है। इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मोल्दोवा और ट्यूनीशिया पर 25% का टैरिफ़ है।


एशिया के कई देशों पर भी टैरिफ़ लगे हैं। ताइवान, वियतनाम, श्रीलंका और बांग्लादेश पर 20% का टैरिफ़ है। ताइवान के सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक सामान पर असर पड़ेगा। वियतनाम के कपड़ा और जूते का निर्यात प्रभावित होगा। फिलीपींस, इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और पाकिस्तान पर 19% का टैरिफ़ है। ये सभी देश अपने निर्यात के लिए अमेरिका पर बहुत निर्भर हैं। इन शुल्कों से इनकी अर्थव्यवस्थाएँ मुश्किल में पड़ सकती हैं।


इन टैरिफ़ से इन देशों की विनिर्माण क्षमता पर भी असर पड़ेगा। इसका सीधा असर रोज़गार पर होगा।


कुछ बड़े व्यापारिक भागीदारों पर भी टैरिफ़ लगाए गए हैं। जापान, यूरोपीय संघ, और दक्षिण कोरिया पर 15% का शुल्क है। यह दर कम लग सकती है, लेकिन इन देशों का व्यापार बहुत बड़ा है। जापान की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर इसका असर दिखेगा। यूरोपीय संघ की लक्जरी कारें और अन्य सामान अमेरिका में महंगे हो जाएँगे। दक्षिण कोरिया के इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी असर पड़ेगा। न्यूजीलैंड, तुर्की और कई अन्य देशों पर भी 15% का टैरिफ़ है।


छोटे देशों और द्वीपों को भी इन टैरिफ़ से बख्शा नहीं गया है। वानुअतु, फिजी, आइलैंड, मॉरीशस, नौरू और अन्य कई देशों पर 15% का टैरिफ़ लगाया गया है। इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ अक्सर पर्यटन और कुछ खास निर्यात पर टिकी होती हैं। इन शुल्कों से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।


कुछ अफ्रीकी देश भी इस सूची में हैं। नाइजीरिया, अंगोला, बोत्सवाना, कैमरून और घाना पर 15% का टैरिफ़ है। इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ पहले से ही कमजोर हैं। यह टैरिफ़ उनके लिए एक नई चुनौती है।


कुछ देशों को कम टैरिफ़ का सामना करना पड़ रहा है। यूनाइटेड किंगडम और फॉकलैंड द्वीप समूह पर 10% का शुल्क है। यह सबसे कम दर है। इससे इन देशों पर असर कम होगा। लेकिन फिर भी, यह एक बदलाव है। यह एक संकेत है कि कोई भी देश इन टैरिफ़ से अछूता नहीं है।


ये टैरिफ़ व्यापार युद्ध का हिस्सा हैं। ये व्यापार को बाधित करते हैं। इससे आयात और निर्यात दोनों प्रभावित होते हैं। अमेरिकी बाज़ार में अब विदेशी सामान महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी उपभोक्ता के लिए भी सामान महंगा होगा।


कंपनियाँ अब अपनी सप्लाई चेन बदलने पर विचार कर सकती हैं। वे ऐसे देशों में उत्पादन कर सकती हैं जिन पर टैरिफ़ नहीं हैं। इससे वैश्विक व्यापार का नक्शा बदल सकता है।


इन टैरिफ़ का राजनीतिक प्रभाव भी है। ये देशों के बीच तनाव बढ़ा सकते हैं। जिन देशों पर भारी टैरिफ़ लगे हैं, वे बदले की कार्रवाई कर सकते हैं। वे भी अमेरिकी सामान पर शुल्क लगा सकते हैं। इससे व्यापार युद्ध और बढ़ जाएगा।


ये टैरिफ़ अमेरिका के रिश्तों को भी प्रभावित कर रहे हैं। सहयोगी देशों जैसे कनाडा और जापान के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।


इन टैरिफ़ के भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। क्या ये स्थायी हैं? क्या और टैरिफ़ लगाए जाएँगे? इसका जवाब कोई नहीं जानता।


कंपनियों और देशों को भविष्य की योजना बनाने में दिक्कत हो रही है। वे नहीं जानते कि कल क्या होगा। यह अनिश्चितता वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है।


इन समस्याओं को सुलझाने के लिए बातचीत की ज़रूरत है। देशों को एक साथ आना चाहिए। उन्हें व्यापार के नए नियम बनाने चाहिए। ऐसे नियम जो सभी के लिए निष्पक्ष हों।


व्यापार युद्ध किसी के लिए फायदेमंद नहीं है। इसका असर हर किसी पर पड़ता है। उपभोक्ताओं से लेकर कंपनियों तक। इन टैरिफ़ का समाधान निकालना ज़रूरी है।


ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए ये टैरिफ़ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव हैं। ये दुनिया भर के देशों के व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। इन टैरिफ़ से देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है।


यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। सभी देशों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा। तभी वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था स्थिर रह पाएँगे।

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