![]() |
| Pic credit: BCCI |
भारतीय क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज श्रेयस अय्यर इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह उनकी चोट है जो सिडनी में खेले गए तीसरे वनडे मैच के दौरान लगी। एक शानदार कैच लेने के बाद वे अचानक ज़मीन पर गिर पड़े और दर्द से कराह उठे। पहले तो सबको लगा कि यह मामूली चोट है, लेकिन बाद में मामला गंभीर निकला।
कैसे लगी चोट?
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले जा रहे मैच के दौरान श्रेयस ने बाउंड्री लाइन पर एक तेज़ कैच पकड़ा। हवा में उछलकर उन्होंने गेंद को लपका, लेकिन लैंडिंग गलत हो गई। उनकी पसलियों के बाएँ हिस्से पर ज़ोरदार चोट लगी। शुरू में ऐसा लगा जैसे रिब में स्ट्रेन या हल्की फ्रैक्चर हुई हो, मगर बाद में स्कैन में पता चला कि उनकी spleen यानी प्लीहा में लैरसेशन (फटना) हुआ है। यह बहुत गंभीर चोट मानी जाती है।
मैच के तुरंत बाद मेडिकल टीम मैदान में आई और उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर ले जाया गया। उसी रात उन्हें सिडनी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि आंतरिक रक्तस्राव (internal bleeding) शुरू हो गया है।
BCCI की तुरंत कार्रवाई
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने बिना देरी किए कार्रवाई की। मेडिकल यूनिट ने सिडनी में स्थानीय विशेषज्ञों से संपर्क किया। उनकी हालत स्थिर करने के लिए ICU में रखा गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर कुछ घंटे देरी होती, तो हालात बहुत गंभीर हो सकते थे।
बोर्ड ने उनकी फैमिली से तुरंत संपर्क किया और वीज़ा की प्रक्रिया तेज करवाई ताकि उनके माता-पिता ऑस्ट्रेलिया पहुँच सकें। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, “टीम ने मैदान पर जो किया, वह स्पोर्ट्समैन स्पिरिट का उदाहरण है। लेकिन सेहत पहले है।”
अस्पताल में स्थिति
अय्यर को ICU में 24 घंटे निगरानी में रखा गया। डॉक्टरों ने बताया कि चोट गंभीर है, पर सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ी। दो दिन बाद जब स्थिति स्थिर हुई, तो उन्हें ICU से बाहर शिफ्ट कर दिया गया।
अब उनकी हालत स्थिर है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें कुछ हफ्तों तक आराम करना होगा। उनका इलाज अभी भी सिडनी में चल रहा है, और मेडिकल टीम रोज़ाना उनके vital signs की निगरानी कर रही है।
टीम इंडिया पर असर
श्रेयस अय्यर भारतीय मिडल ऑर्डर का अहम हिस्सा हैं। उनकी अनुपस्थिति से टीम की बैटिंग लाइन-अप कमजोर पड़ जाती है। खासकर नंबर 4 पोजीशन पर उनकी स्थिरता टीम को संतुलन देती थी।
अब टीम मैनेजमेंट को नए विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है। सूर्यकुमार यादव, रिंकू सिंह या संजू सैमसन को यह मौका मिल सकता है। लेकिन अय्यर की जगह भरना आसान नहीं होगा क्योंकि वे स्पिन और पेस दोनों पर भरोसेमंद बल्लेबाज माने जाते हैं।
उनकी फील्डिंग भी टीम की मजबूती रही है। वे मैदान पर तेज़ और आत्मविश्वासी रहते हैं। इसीलिए उनकी गैरमौजूदगी सिर्फ बल्लेबाजी नहीं, बल्कि टीम की एनर्जी पर भी असर डालेगी।
खिलाड़ी की मानसिक स्थिति
चोट किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल वक्त होता है। खासकर तब जब आप फॉर्म में हों और टीम के अहम सदस्य हों। श्रेयस ने हाल के मैचों में लगातार रन बनाए थे। उन्होंने कई बार टीम को मुश्किल स्थितियों से निकाला था।
ऐसे समय पर चोट लगना मानसिक रूप से थकाने वाला होता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि श्रेयस हमेशा सकारात्मक सोच रखते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक छोटा सा मैसेज लिखा — “Thank you for all your prayers. I’ll be back stronger.”
इससे पता चलता है कि वे मानसिक रूप से मजबूत हैं और वापसी का भरोसा रखते हैं।
रिकवरी और मेडिकल प्रोसेस
स्प्लीन की चोट से रिकवरी आसान नहीं होती। यह शरीर का एक नाज़ुक हिस्सा है जो खून को फ़िल्टर करता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर लैरसेशन हल्का हो तो लगभग 4 से 6 हफ्तों में रिकवरी हो जाती है। लेकिन अगर गहरा फटना हो, तो इसमें कई महीने लग सकते हैं।
फिलहाल श्रेयस को आराम करने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों ने कहा है कि वे जल्दबाज़ी में ट्रेनिंग शुरू न करें। उनका फिटनेस रूटीन दोबारा तभी शुरू होगा जब उनका ब्लड-काउंट और इंटर्नल स्कैन सामान्य दिखेगा।
टीम इंडिया के फिजियो और ट्रेनर भी अस्पताल में लगातार उनके संपर्क में हैं। बीसीसीआई ने कहा है कि वे तभी टीम में लौटेंगे जब डॉक्टर 100% अनुमति देंगे।
श्रेयस अय्यर का करियर अब तक
श्रेयस अय्यर ने घरेलू क्रिकेट में मुंबई के लिए शानदार प्रदर्शन किया है। वे लंबे समय से टीम इंडिया के लिए मिडल ऑर्डर में भरोसेमंद बल्लेबाज रहे हैं। उनके पास तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ शॉट खेलने की क्षमता है और वे स्पिनर्स को आसानी से डोमिनेट करते हैं।
उन्होंने कई बार टीम को संकट से निकाला है। खासतौर पर 2023 और 2024 के मैचों में उन्होंने कई मैच-विनिंग पारियाँ खेलीं। अय्यर का सबसे बड़ा गुण है – उनकी टाइमिंग और संयम। वे जल्दबाज़ी नहीं करते और स्थिति के हिसाब से खेलते हैं।
उनकी कप्तानी क्षमता भी अच्छी रही है। IPL में कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान के रूप में उन्होंने टीम को कई यादगार जीत दिलाई।
खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया
अय्यर की चोट की खबर सुनकर भारतीय टीम के साथी खिलाड़ियों ने तुरंत सोशल मीडिया पर समर्थन दिखाया। विराट कोहली ने लिखा, “Stay strong, brother. We all are with you.” वहीं रोहित शर्मा ने ट्वीट किया, “Take your time, come back fully fit.”
इन संदेशों से साफ है कि टीम में उनका कितना सम्मान है। सभी खिलाड़ी चाहते हैं कि वे जल्द ठीक होकर लौटें।
फैंस की प्रतिक्रिया
फैंस के बीच भी चिंता देखी गई। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर “#PrayForShreyas” ट्रेंड करने लगा। कई लोगों ने उनकी पुरानी यादगार पारियाँ शेयर कीं और उनके जल्द ठीक होने की कामना की।
एक फैन ने लिखा, “You are a fighter, Shreyas. We’ll wait for your comeback.” इन प्रतिक्रियाओं ने दिखाया कि क्रिकेट फैंस सिर्फ जीत या हार नहीं देखते, वे अपने खिलाड़ियों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं।
क्रिकेट में फील्डिंग का बढ़ता खतरा
टी20 और वनडे फॉर्मेट में फील्डिंग की तीव्रता काफी बढ़ गई है। खिलाड़ी हवा में छलांग लगाकर कैच पकड़ते हैं, लेकिन लैंडिंग के समय चोट का खतरा रहता है। कई बार एड्रेनलिन में खिलाड़ी जोखिम ले लेते हैं, जैसा श्रेयस के साथ हुआ।
अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या टीमों को फील्डिंग के लिए सेफ्टी ट्रेनिंग को और मजबूत बनाना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि फील्डर्स को जमीन पर गिरने के सही तरीकों की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि शरीर पर झटका कम लगे।
वापसी की उम्मीद
अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि श्रेयस कब तक मैदान पर लौटेंगे। लेकिन उनके आत्मविश्वास और फिटनेस को देखते हुए उम्मीद है कि वे अगले साल की शुरुआत में वापसी कर सकते हैं।
डॉक्टरों ने कहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो तीन महीने में वे हल्की ट्रेनिंग शुरू कर सकते हैं। उसके बाद नेट-प्रैक्टिस और फिटनेस टेस्ट के बाद उन्हें क्लियरेंस मिल जाएगा।
अंत में
श्रेयस अय्यर की चोट क्रिकेट जगत के लिए झटका है, लेकिन यह हमें याद दिलाती है कि फील्डिंग में हर सेकंड कितना जोखिम होता है। उन्होंने हमेशा देश के लिए जुनून के साथ खेला है और यह चोट भी उसी समर्पण का नतीजा है।
उनकी मानसिक शक्ति, फिटनेस और आत्मविश्वास देखकर लगता है कि वे पहले से भी मजबूत होकर लौटेंगे। फैंस, साथी खिलाड़ी और पूरा क्रिकेट समुदाय उनकी जल्द वापसी की दुआ कर रहा है।
“जिनमें जज़्बा होता है, वे चोट से नहीं हारते — श्रेयस अय्यर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।”

