बच्चों की मौत से जुड़ी एक गंभीर खबर इन दिनों पूरे देश में चर्चा में है। तमिलनाडु की एक कंपनी Sresan Pharmaceuticals द्वारा बनाई गई खांसी की दवा Coldrif Cough Syrup को लेकर बड़ी जांच चल रही है। इस दवा के सेवन के बाद कई बच्चों की मौत होने के आरोप लग रहे हैं। जांच एजेंसियों और दवा विभागों ने अब इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। नीचे जानते हैं पूरा मामला विस्तार से, ताकि आप भी समझ सकें कि आखिर इस खांसी की दवा के पीछे कौन सी सच्चाई छिपी है और बच्चों की मौत का कारण क्या है।
Coldrif Cough Syrup क्या है और कौन बनाता है
Coldrif नाम की यह खांसी की दवा तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित Sresan Pharmaceuticals नाम की कंपनी बनाती है। कंपनी दावा करती है कि यह सिरप बच्चों और बड़ों दोनों के लिए सुरक्षित है और खांसी-जुकाम में राहत देता है। लेकिन हाल में जो घटनाएं सामने आईं, उन्होंने इस दवा की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिरप बाजार में कई जगहों पर उपलब्ध था, खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में। अब यह सिरप विवाद में है, क्योंकि इसके सेवन के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत होने की घटनाएं दर्ज हुई हैं।
- निर्माता: Sresan Pharmaceuticals (कांचीपुरम, तमिलनाडु)
- उत्पाद: Coldrif Cough Syrup
- मामले की शुरुआत: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से
- संदेह: जहरीला रसायन Diethylene Glycol (DEG)
कैसे सामने आया मामला
मामला सबसे पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सामने आया। कई बच्चों को खांसी-जुकाम की शिकायत थी। डॉक्टरों ने उन्हें Coldrif Cough Syrup दिया। सिरप पीने के कुछ दिनों के भीतर बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। उल्टी, पेशाब में कमी और बेहोशी जैसे लक्षण दिखे। अस्पताल में भर्ती बच्चों में से कई की हालत गंभीर हो गई। इलाज के बावजूद 11 बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आए और जांच शुरू हुई।
लक्षणों में उल्टी, पेशाब में कमी, थकान, भ्रम और बेहोशी शामिल थे। डॉक्टरों ने किडनी संबंधी जटिलताएं पाईं जो जहरीले रसायन के संपर्क से मेल खाती हैं।
जांच में निकला खतरनाक सच
दवा के सैंपल लैब को भेजे गए। रिपोर्ट में Diethylene Glycol (DEG) नाम का जहरीला रसायन पाया गया। DEG एक औद्योगिक सॉल्वेंट है जिसका दवाओं में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, सिरप में DEG की मात्रा 48.6% तक पाई गई, जो बेहद खतरनाक है। इतनी अधिक मात्रा शरीर के अंगों को, खासकर किडनी को, गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यही कारण माना जा रहा है कि बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हुई।
पैरामीटर | रिपोर्ट |
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DEG की उपस्थिति | पुष्ट |
DEG मात्रा | लगभग 48.6% |
संभावित असर | किडनी फेल, लीवर और नर्वस सिस्टम पर नुकसान |
सरकार और दवा विभाग की कार्रवाई
- तमिलनाडु में कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पर रोक।
- कंपनी के अन्य उत्पादों को जांच पूरी होने तक स्टोर से हटाने के आदेश।
- मध्य प्रदेश में Coldrif सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध।
- CDSCO द्वारा कड़ी कार्रवाई की तैयारी।
बिक्री बंद, बैच वापस मंगवाए जा रहे हैं, निरीक्षण जारी है। अंतिम प्रशासनिक निर्णय जांच रिपोर्टों के समेकन के बाद तय होगा।
डॉक्टर की गिरफ्तारी और FIR
स्थानीय डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि उन्होंने बच्चों को यह सिरप लिख दिया जिससे गंभीर परिणाम सामने आए। Sresan Pharmaceuticals के खिलाफ भी FIR दर्ज हुई है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि कंपनी को DEG के इस्तेमाल की जानकारी थी या नहीं और उत्पादन प्रक्रिया में किस स्तर पर चूक हुई।
बच्चों की मौत के आंकड़े
अब तक की रिपोर्टों के अनुसार, 11 बच्चों की मौत हुई है। शुरुआती रिपोर्टों में 9 मौतें बताई गई थीं, बाद में संख्या बढ़ी। अधिकतर बच्चे 2 से 5 साल की उम्र के थे। परिजनों का कहना है कि सिरप देने के घंटे या दिनों के भीतर हालत बिगड़ी।
पहलू | विवरण |
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कुल मौतें (रिपोर्टेड) | 11 |
आयु समूह | मुख्यतः 2–5 वर्ष |
आशंकित कारण | किडनी फेल (DEG विषाक्तता से मेल) |
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
- गाम्बिया (2022): खांसी की दवा से 70+ बच्चों की मौत।
- उज्बेकिस्तान: भारतीय दवा से 20+ बच्चों की मौत के मामले।
इन घटनाओं के बाद भी निगरानी पर्याप्त सख्त नहीं हो सकी। Coldrif केस फिर से वही सवाल उठाता है—क्या निर्माण नियमों का वास्तविक पालन हो रहा है?
DEG क्या है और कितना खतरनाक
Diethylene Glycol (DEG) एक सस्ता औद्योगिक रसायन है। इसे पेंट, ब्रेक फ्लूइड और सॉल्वेंट में उपयोग किया जाता है। शरीर में जाने पर यह बेहद जहरीला साबित होता है। यह किडनी को तेजी से नुकसान पहुंचाता है, लीवर और नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, और कुछ दिनों में जान ले सकता है। दवा उद्योग में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है।
- उल्टी, जी मिचलाना
- पेशाब में कमी, सूजन
- भ्रम, बेहोशी
- किडनी फेल होने के संकेत
माता-पिता की पीड़ा
जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, वे सदमे में हैं। कई माता-पिता ने बताया कि उन्होंने सिरप डॉक्टर की सलाह पर दिया था। उन्हें अंदेशा नहीं था कि यह जानलेवा होगा। एक मां ने कहा, “हमने सोचा खांसी ठीक होगी, पर बच्चा चला गया।” भरोसे को गहरी चोट पहुंची है।
कंपनी की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद Sresan Pharmaceuticals ने बयान दिया कि उन्होंने मानकों का पालन किया है और जांच में सहयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ सैंपल रिपोर्टों में DEG नहीं मिला, इसलिए अंतिम सच समेकित जांच के बाद स्पष्ट होगा। पर विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक भी सैंपल में इतनी अधिक मात्रा में DEG मिला है, तो कंपनी को स्पष्ट जवाब देना होगा।
कानून क्या कहता है
भारत में Drugs and Cosmetics Act, 1940 के तहत अगर कोई कंपनी जानबूझकर जहरीला पदार्थ दवा में मिलाती है और इससे जान जाती है, तो सख्त सजा हो सकती है। लाइसेंस रद्द, जिम्मेदार अधिकारियों पर जेल और पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा—सब संभव है। इस मामले में भी यही उम्मीद है कि दोष तय होने पर कड़ी कार्यवाही होगी।
सरकार के लिए चुनौती
भारत दवाओं का बड़ा निर्यातक है। बार-बार ऐसी घटनाएं भरोसे को नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए निर्माण इकाइयों की नियमित और सख्त जांच जरूरी है। हर बैच को बाज़ार में आने से पहले लैब टेस्ट से गुजरना चाहिए। ट्रेसबिलिटी और बैच-वार डेटा सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि जवाबदेही तय हो।
सुधार के कदम | लाभ |
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बैच-स्तरीय अनिवार्य लैब टेस्ट | दूषित दवा बाज़ार तक पहुँचने से रुकेगी |
रॉ-मेटेरियल सप्लाई चेन्स का ऑडिट | सस्ती और जहरीली मिलावट पर रोक |
फार्माकोविजिलेंस हेल्पलाइन | शिकायतों का त्वरित संकलन और कार्रवाई |
लोग क्या सावधानी रखें
- हमेशा रजिस्टर्ड डॉक्टर से दवा लिखवाएं।
- बिना जांचे-परखे सिरप न लें, कंपनी और बैच नंबर देखें।
- दवा देने के बाद हालत बिगड़े तो तुरंत अस्पताल जाएं।
- शिशुओं में खुराक हमेशा उम्र और वजन के अनुसार ही दें।
- सील और एक्सपायरी डेट जांचें
- खुराक मापने के लिए ड्रॉपर/मेजरिंग कप ही उपयोग करें
- लक्षण बढ़ें तो दवा बंद कर डॉक्टर से संपर्क
टाइमलाइन: घटना से कार्रवाई तक
चरण | विवरण |
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लक्षण दिखे | बच्चों में उल्टी, पेशाब में कमी, बेहोशी |
अस्पताल में भर्ती | कई बच्चों की हालत गंभीर, ICU में शिफ्ट |
लैब जांच | DEG की पुष्टि, उच्च मात्रा दर्ज |
प्रशासनिक कदम | बिक्री पर रोक, यूनिट पर कार्रवाई, FIR |
विशेषज्ञ क्या कहते हैं
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन की ढील और क्वालिटी कंट्रोल की कमी से होती हैं। ग्लिसरीन या प्रोपाइलिन ग्लाइकोल जैसे इनपुट अगर दूषित स्रोत से आएं तो अंतिम उत्पाद में जहरीले तत्व मिल सकते हैं। समाधान यही है कि कच्चे माल से लेकर अंतिम पैकेजिंग तक टेस्टिंग और ट्रेसबिलिटी अनिवार्य हो।
Coldrif Cough Syrup केस ने सिस्टम की कमजोरियां उजागर कीं। अब पारदर्शिता, ऑडिट और त्वरित रिकॉल मेकैनिज्म मजबूत करना होगा।
यह मामला सिर्फ एक दवा से जुड़ा हादसा नहीं है, बल्कि निगरानी व्यवस्था की परीक्षा है। बच्चों की जान पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवारों को न्याय—यही समय की मांग है। लोगों को भी सतर्क रहना होगा, दवा लेने से पहले जानकारी जांचनी होगी। यह घटना याद दिलाती है कि स्वास्थ्य में लापरवाही की गुंजाइश नहीं। छोटी चूक बड़ा नुकसान कर सकती है।
FAQ: आम सवाल
प्रश्न: क्या Coldrif अभी भी बाजार में बिक रहा है?
उत्तर: जहां मामला दर्ज है, वहां बिक्री पर रोक है। जांच पूरी होने तक बैच वापस मंगवाए जा रहे हैं।
प्रश्न: अगर घर में यह सिरप है तो क्या करें?
उत्तर: उपयोग न करें। स्थानीय प्रशासन/फार्मेसी पर जमा करें और वैकल्पिक दवा के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
प्रश्न: बच्चों में किन लक्षणों पर तुरंत अस्पताल जाएं?
उत्तर: उल्टी, पेशाब में कमी, तेज थकान, भ्रम, बेहोशी, सूजन—इनमें से कोई भी दिखे तो देर न करें।
अब सभी की निगाहें जांच एजेंसियों पर हैं। उम्मीद है कि इस बार जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी और दवा सुरक्षा प्रणाली और मजबूत बनेगी।