भोले बाबा Dairy Ghee Scam 2025: Tirupati Mandir को ₹250 Cr नकली घी सप्लाई का खुलासा

0 Divya Chauhan
Bhole Baba Dairy Fake Ghee Case 2025 — Tirupati Temple CBI Probe

देश के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) इन दिनों एक बड़े घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। CBI की जांच में सामने आया है कि उत्तराखंड की एक डेयरी कंपनी भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी ने 2019 से 2024 के बीच लगभग 68 लाख किलोग्राम घी तिरुपति मंदिर को सप्लाई किया, जिसकी कुल कीमत करीब ₹250 करोड़ थी।

चौंकाने वाली बात यह है कि जांच में पता चला — कंपनी ने इस अवधि में न तो दूध खरीदा और न ही मक्खन। इसके बावजूद वह सालों तक मंदिर के लिए घी सप्लाई करती रही। यह मामला अब CBI और आंध्र प्रदेश की SIT की निगरानी में है।

क्या है पूरा मामला?

तिरुपति लड्डू में इस्तेमाल होने वाला घी वर्षों से श्रद्धालुओं के विश्वास से जुड़ा है। इसी घी की पवित्रता पर अब सवाल उठे हैं। CBI की रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 से 2024 के बीच TTD ने कई सप्लायर्स से घी खरीदा था, जिनमें से एक था — भोले बाबा डेयरी।

जांच के दौरान जब एजेंसियों ने कंपनी के रिकार्ड मांगे, तो सामने आया कि डेयरी के पास किसी भी स्रोत से दूध, क्रीम या मक्खन खरीदने का कोई लेनदेन नहीं था। इसके बावजूद, घी की आपूर्ति लगातार चलती रही।

📍 प्रमुख तथ्य:
  • कंपनी — भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी, उत्तराखंड
  • आपूर्ति अवधि — 2019 से 2024
  • मात्रा — 68 लाख किलो घी
  • मूल्य — लगभग ₹250 करोड़
  • जांच एजेंसी — CBI और SIT (आंध्र प्रदेश)

CBI की प्रारंभिक जांच में क्या मिला?

CBI की टीम ने जब भोले बाबा डेयरी के अकाउंट, GST रिटर्न और ट्रांसपोर्ट रिकॉर्ड खंगाले, तो पाया कि किसी भी महीने में दूध की खरीद दर्ज नहीं थी। कंपनी केवल “घी बिक्री” के इनवॉइस बनाती रही। इससे संदेह हुआ कि असली घी की जगह नकली या मिलावटी घी सप्लाई किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया कि यह घी मंदिर के ‘लड्डू प्रसाद’ में उपयोग किया गया, जिसे हर साल लाखों श्रद्धालुओं को दिया जाता है। जांच अधिकारियों का मानना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ा आर्थिक अपराध है।

🔍 स्रोत: NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, यह डेयरी 5 साल तक बिना किसी दूध खरीद रिकॉर्ड के मंदिर को घी सप्लाई करती रही।

कंपनी का दावा और जवाब

भोले बाबा डेयरी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। लेकिन मीडिया सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने स्थानीय स्तर पर कुछ निजी फैट प्रोसेसिंग यूनिट्स से कच्चा माल खरीदा था। CBI का मानना है कि यह तर्क संतोषजनक नहीं है क्योंकि उसके प्रमाण दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं कराए गए।

जांच टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं यह माल किसी और ब्रांड से दोबारा पैक करके भेजा गया था या नहीं। SIT के अनुसार, कंपनी के पास उस समय इतनी उत्पादन क्षमता भी नहीं थी कि वह इतने बड़े स्तर पर घी बना सके।

“Zero Milk, Maximum Profit” मॉडल

CBI अधिकारियों ने इस केस को “Zero Milk, Maximum Profit” नाम दिया है। मतलब — बिना दूध खरीदे या मक्खन बनाए, सिर्फ रासायनिक मिश्रण से घी जैसा पदार्थ तैयार किया गया और मंदिर को सप्लाई किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि इस तरह का घी खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करता है।

आंध्र प्रदेश SIT ने बताया कि भोले बाबा डेयरी की प्रयोगशाला से मिले सैंपल में वनस्पति तेल और फैटी एसिड का अंश मिला है, जो शुद्ध घी के मानक से बहुत अलग था।

⚠️ ध्यान दें: मंदिर प्रशासन ने फिलहाल भोले बाबा डेयरी से सभी अनुबंध रद्द कर दिए हैं और घी सप्लाई की नई निविदा जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है।

तिरुपति ट्रस्ट की प्रतिक्रिया

TTD प्रशासन ने कहा कि उन्होंने सप्लाई में कोई अनियमितता जानबूझकर नहीं की। उन्होंने बोला — “हम हर सप्लायर का लैब टेस्ट रिपोर्ट लेते हैं, पर अगर रिपोर्ट झूठी दी गई है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”

ट्रस्ट के चेयरमैन ने बताया कि फिलहाल CBI को पूरी जांच में सहयोग दिया जा रहा है और पिछले सभी टेंडर की फाइलें भी सौंप दी गई हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की भावना से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

📑 रिपोर्ट अपडेट: Times of India के अनुसार, घी की क्वालिटी टेस्ट रिपोर्ट में छेड़छाड़ और जाली दस्तावेज़ों के प्रमाण मिले हैं।

भक्तों में आक्रोश और चिंता

जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर नाराज़गी की लहर फैल गई। कई श्रद्धालुओं ने लिखा कि “जिस लड्डू को हम प्रसाद समझकर ग्रहण करते थे, उसमें अगर मिलावट थी तो यह धार्मिक धोखा है।”

कई यूज़र्स ने मांग की है कि ऐसे मामलों में सरकारी स्तर पर Food Safety Authority को स्थायी निरीक्षण की जिम्मेदारी दी जाए ताकि भविष्य में किसी मंदिर या धार्मिक संस्था को इस तरह के झांसे में न आना पड़े।

CBI की रिपोर्ट के बाद जब आंध्र प्रदेश की SIT ने जांच की कमान संभाली, तो कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। जांच टीम के मुताबिक, भोले बाबा डेयरी ने पिछले पांच साल में एक भी बार दूध, मक्खन या क्रीम खरीदी नहीं थी। इसके बावजूद, उसने हर साल लाखों किलो घी तैयार किया और तिरुपति मंदिर को सप्लाई करता रहा।

SIT ने इसे “एक सुनियोजित और कॉर्पोरेट स्तर पर किया गया फर्जीवाड़ा” बताया। जांच में मिले दस्तावेज़ों से पता चला कि यह डेयरी कई निजी कंपनियों से सस्ते तेल और फैट खरीदती थी और फिर रासायनिक प्रोसेस के बाद उसे “घी” घोषित कर देती थी।

भोले बाबा डेयरी की प्रोफाइल

यह कंपनी उत्तराखंड के हरिद्वार में रजिस्टर्ड है और खुद को “100% ऑर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट्स सप्लायर” बताती है। वेबसाइट पर दावा किया गया था कि कंपनी का मिशन है “शुद्धता और आस्था का संगम”। लेकिन CBI जांच में सामने आया कि यह कंपनी असल में एक रि-पैकेजिंग यूनिट के रूप में काम कर रही थी, जो दूसरे स्रोतों से तेल लेकर उसे घी के नाम पर बेचती थी।

कंपनी के पास अपना डेयरी फार्म, गायें या डेयरी नेटवर्क नहीं था। न ही किसी दूध खरीद की एंट्री अकाउंट बुक में दिखाई गई। इसके बावजूद, कंपनी ने पांच सालों में ₹250 करोड़ से ज्यादा का कारोबार दिखाया।

⚠️ खुलासा: SIT के अनुसार, कंपनी ने अपनी ब्रांडिंग के लिए “Organic” और “Pure Cow Ghee” जैसे शब्दों का उपयोग किया, जबकि सैंपल टेस्ट में वनस्पति तेल और फैटी एसिड पाए गए।

कैसे चला मिलावट का खेल?

SIT रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने वनस्पति तेल और फैटी कंपाउंड्स को मिश्रित कर “घी जैसा दिखने वाला पदार्थ” तैयार किया। यह सस्ता मिक्स लगभग 30–40 रुपये प्रति किलो लागत में बनता था, जबकि असली घी की कीमत 400 रुपये किलो से अधिक होती है।

जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी ने कुछ सैंपल्स को लैब में भेजने के बजाय पहले से तैयार फर्जी रिपोर्ट्स जमा कीं। यह रिपोर्ट्स दिल्ली की एक निजी लैब के नाम से बनाई गई थीं, लेकिन लैब ने ऐसे किसी टेस्ट से इनकार कर दिया।

🧪 SIT बयान: “यह फर्जीवाड़ा सामान्य मिलावट से कहीं आगे है। कंपनी ने पूरे दस्तावेज़ और टेस्टिंग प्रोसेस को फर्जी बनाया ताकि वह पकड़ी न जा सके।”

तिरुपति ट्रस्ट की व्यवस्था में खामियाँ

TTD हर साल करोड़ों रुपये मूल्य का घी खरीदता है, जिसका उपयोग लड्डू प्रसाद में किया जाता है। लेकिन यह खरीद प्रक्रिया में क्वालिटी टेस्टिंग की स्वतंत्र व्यवस्था नहीं थी। TTD का कहना है कि वे सप्लायर की रिपोर्ट पर भरोसा करते थे, और हर डिलीवरी के बाद घी को सीधा उपयोग में ले लिया जाता था।

SIT ने बताया कि TTD के पास कोई समर्पित “फूड एनालिसिस लैब” नहीं थी, और यह इस पूरे घोटाले की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई।

कैसे पकड़ा गया मामला?

2024 के मध्य में जब कुछ श्रद्धालुओं ने लड्डू के स्वाद और बनावट पर सवाल उठाए, तब यह मामला गंभीरता से सामने आया। ट्रस्ट ने सैंपल लैब में भेजे, और रिपोर्ट ने दिखाया कि फैटी ऑयल की मात्रा असामान्य है। इसके बाद राज्य सरकार ने CBI और SIT को जांच सौंप दी।

जांच टीम ने पाया कि डेयरी के रजिस्टर में दूध का कोई रिकॉर्ड नहीं था। बिजली बिल और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की मशीन लॉग रिपोर्ट से भी यह साबित हुआ कि कंपनी की उत्पादन क्षमता सीमित थी, फिर भी लाखों किलो घी का रिकॉर्ड दिखाया गया।

📑 दस्तावेज़ प्रमाण: SIT ने पाया कि 2022–23 के बीच 15 अलग-अलग घी शिपमेंट की ट्रक रसीदें जाली थीं, जिनमें वाहन नंबर फर्जी निकले।

सरकारी एजेंसियों की भूमिका

इस केस के सामने आने के बाद, FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) ने भी हस्तक्षेप किया है। संगठन ने तिरुपति और हरिद्वार दोनों स्थानों पर नमूने एकत्र किए हैं ताकि मिलावट की पुष्टि की जा सके।

CBI ने 3 वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की है जो 2020 में इस सप्लाई अनुबंध के लिए जिम्मेदार थे। अब जांच इस बात पर केंद्रित है कि क्या किसी अधिकारी ने जानबूझकर अनियमितता को नजरअंदाज किया।

धार्मिक आस्था पर असर

यह घोटाला सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि धार्मिक भावना से भी जुड़ा है। तिरुपति लड्डू को “भगवान वेंकटेश्वर का प्रसाद” माना जाता है। भक्तों ने सोशल मीडिया पर लिखा — “आस्था से जुड़ी चीज़ में धोखा सबसे बड़ा पाप है।”

कई लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर मंदिर जैसे पवित्र संस्थान के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम उपभोक्ता के लिए फूड इंडस्ट्री कितनी सुरक्षित है?

🌿 सामाजिक दृष्टिकोण: अर्थशास्त्रियों का कहना है कि धार्मिक आपूर्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को एक “Faith Food Regulatory Framework” बनाना चाहिए।

राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएँ

इस केस ने अब राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं कि आखिर बिना दूध खरीदे कोई कंपनी पाँच साल तक इतनी बड़ी मात्रा में घी कैसे बेचती रही और किसी को शक क्यों नहीं हुआ?

सरकार ने फिलहाल जवाब दिया है कि “CBI स्वतंत्र रूप से जांच कर रही है, और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”

CBI और SIT की संयुक्त जांच अब अंतिम चरण में पहुँच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भोले बाबा डेयरी के कई वरिष्ठ कर्मचारियों और बिचौलियों से पूछताछ चल रही है। कंपनी के बैंक अकाउंट्स, बिलिंग रिकॉर्ड और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को खंगाला जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह घी असल में कहाँ और कैसे तैयार किया गया।

CBI का कहना है कि अगर कंपनी ने सच में बिना दूध खरीदे घी बनाया, तो यह मामला धोखाधड़ी (Fraud) और खाद्य मिलावट अधिनियम (Food Adulteration Act) के तहत एक बड़ा अपराध है। इससे न केवल धार्मिक भावना आहत हुई है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की सेहत से भी खिलवाड़ हुआ है।

CBI की कार्रवाई और संभावित गिरफ्तारियाँ

जांच एजेंसी ने अब भोले बाबा डेयरी के मालिकों और निदेशकों के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया है। आंध्र प्रदेश पुलिस ने भी अलग से एफआईआर दर्ज की है। शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने “Organically Certified” उत्पाद का दावा करके फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ ट्रांसपोर्ट एजेंसियों और बिचौलियों की भूमिका भी संदिग्ध है जिन्होंने नकली इनवॉइस बनवाने में मदद की। जल्द ही इस केस में पहली गिरफ्तारी हो सकती है।

🔍 रिपोर्ट अपडेट: CBI ने लगभग 100 से अधिक दस्तावेज़ जब्त किए हैं, जिनमें सप्लाई चेन से जुड़े भुगतान रिकॉर्ड और फर्जी टेस्ट रिपोर्ट शामिल हैं।

मंदिर प्रशासन की सफाई

TTD प्रशासन ने कहा है कि उन्होंने कभी भी किसी भी कंपनी को अनुचित लाभ नहीं दिया। उनका कहना है कि सभी सप्लायर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए थे। ट्रस्ट के चेयरमैन ने कहा — “हमने जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया है, और भविष्य में गुणवत्ता जांच के लिए स्वतंत्र लैब बनाई जाएगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि अब हर बैच की क्वालिटी रिपोर्ट FSSAI से प्रमाणित होगी और किसी भी कंपनी को बिना फील्ड ऑडिट के सप्लाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।

📢 ट्रस्ट की घोषणा: TTD ने सभी पुराने कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए हैं और नए सप्लायर चयन के लिए पारदर्शी निविदा जारी करने का आदेश दिया है।

जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर गुस्सा

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, भक्तों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि “प्रसाद जैसे पवित्र भोजन में भी मिलावट कैसे हो सकती है?” #TirupatiGheeScam और #BholeBabaDairy ट्रेंड करने लगे हैं।

कई लोगों ने यह भी कहा कि अगर तिरुपति जैसा बड़ा ट्रस्ट भी इस तरह के फर्जीवाड़े का शिकार हो सकता है, तो देश के छोटे मंदिरों या धार्मिक संस्थाओं के लिए सख्त निगरानी जरूरी है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने इसे “धार्मिक संस्थानों में फैली अनदेखी” बताया है। उनका कहना है कि सरकार को Food Safety Department और Religious Affairs Board के बीच बेहतर समन्वय लाना होगा ताकि इस तरह के मामले दोबारा न हों।

दूसरी ओर, केंद्रीय खाद्य मंत्री ने कहा कि “देश में खाद्य सुरक्षा से जुड़ी हर शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होगी, चाहे वह किसी भी संस्था से जुड़ी हो।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मामले में किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह केस “Criminal Conspiracy” और “Fraudulent Supply” की श्रेणी में आता है। यदि आरोप साबित होते हैं, तो कंपनी के खिलाफ जेल और भारी जुर्माने दोनों की संभावना है। साथ ही, मंदिर ट्रस्ट को भी अपने नियंत्रण तंत्र में सुधार करना पड़ेगा।

FSSAI और CBI ने सुझाव दिया है कि भविष्य में किसी भी धार्मिक संस्थान द्वारा बड़े पैमाने पर खाद्य वस्तुओं की खरीद में Real-Time Quality Tracking System लागू किया जाए।

💡 सुझाव: विशेषज्ञों का मानना है कि "Faith-based Food Supply" के लिए अलग कानून बनाया जाना चाहिए ताकि आस्था से जुड़ी खाद्य सामग्री में मिलावट न हो।

भक्तों की भावनाएँ और श्रद्धा पर असर

तिरुपति मंदिर देश के सबसे समृद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। हर साल करोड़ों भक्त वहाँ दर्शन और प्रसाद के लिए पहुँचते हैं। इस घोटाले ने उनके मन में सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अब प्रसाद भी सुरक्षित नहीं रहा?

एक श्रद्धालु ने कहा — “हम भगवान को प्रसाद श्रद्धा से चढ़ाते हैं। अगर उसमें मिलावट है, तो यह सिर्फ धोखा नहीं, आस्था पर प्रहार है।”

भविष्य की दिशा और निष्कर्ष

इस केस ने सरकार, ट्रस्ट और आम जनता — तीनों को एक सबक दिया है कि पारदर्शिता के बिना आस्था सुरक्षित नहीं रह सकती। अब यह ज़रूरी है कि धार्मिक संस्थान सिर्फ भरोसे पर नहीं, डेटा और सत्यापन पर आधारित सप्लाई चेन अपनाएँ।

CBI की अंतिम रिपोर्ट अगले महीने तक आने की उम्मीद है। अगर यह साबित हो गया कि भोले बाबा डेयरी ने बिना दूध खरीदे नकली घी सप्लाई किया, तो यह भारत के खाद्य इतिहास का सबसे बड़ा Religious Food Scam कहलाएगा।

🕊️ निष्कर्ष: श्रद्धा की रक्षा केवल मंदिरों से नहीं, बल्कि सच्चाई और पारदर्शिता से होती है। यह घोटाला चेतावनी है कि पवित्रता सिर्फ भावना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है।

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