बिहार में नई NDA सरकार: नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री, गांधी मैदान में ऐतिहासिक शपथ

0 Divya Chauhan
Bihar CM Nitish Kumar Oath Ceremony 2025

बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव की तरफ बढ़ रही है। राज्य में National Democratic Alliance यानी NDA की नई सरकार बनने जा रही है और इसके साथ ही नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी में हैं। यह समारोह 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा, जहां कई बार राज्य की राजनीति ने नई दिशा पकड़ी है। इस बार का आयोजन और भी खास है, क्योंकि नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। भारत की राजनीति में इतनी लंबी निरंतरता बहुत कम नेताओं ने हासिल की है।

विधानसभा चुनाव 2025 में NDA को भारी बढ़त मिली, जिससे यह साफ हो गया कि राज्य की जनता ने इस गठबंधन पर एक बार फिर भरोसा जताया है। परिणाम आने के बाद NDA के सभी विधायकों की बैठक हुई और सर्वसम्मति से नीतीश कुमार को नेता चुन लिया गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।

शपथ ग्रहण का आयोजन: गांधी मैदान एक बार फिर केंद्र में

गांधी मैदान बिहार की राजनीति का प्रतीक माना जाता है। 2005 से लेकर अब तक नीतीश कुमार यहां तीन बार शपथ ले चुके हैं और अब चौथी बार वही ऐतिहासिक मंच राज्य की राजनीति का गवाह बनेगा। सुबह 11:30 बजे से समारोह शुरू होने की तैयारी है और इस बार सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं ज़्यादा कड़ी रखी गई है।

शपथ कार्यक्रम के लिए मुख्य तैयारियाँ:
  • गांधी मैदान में SPG की निगरानी
  • 128 से अधिक CCTV कैमरे लगाए गए
  • Drones से लगातार monitoring
  • 2500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात
  • High-rise इमारतों पर snipers की तैनाती
  • गेट पर metal detectors और full body checking

पटना पुलिस ने नियंत्रण कक्ष में एक विशेष निगरानी टीम बनाई है, जो पूरे कार्यक्रम को real-time में मॉनिटर करेगी। भीड़ प्रबंधन के लिए कई रास्तों को बंद किया गया है और मुख्य मार्गों पर बैरिकेडिंग की गई है। अनुमान है कि करीब तीन लाख से अधिक लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे, जिससे सुरक्षा इंतजाम स्वाभाविक रूप से और सख्त हो गए हैं।

कौन-कौन होंगे शामिल?

इस शपथ समारोह में केंद्र सरकार और NDA शासित राज्यों के कई दिग्गज नेता शामिल होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई मुख्यमंत्री इस आयोजन में मौजूद रहेंगे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरन माझी और अन्य वरिष्ठ नेता भी पटना पहुंचेंगे।

इसके अलावा आंध्र प्रदेश के IT मंत्री नारा लोकेश, कई सांसद, केंद्रीय मंत्री और NDA के घटक दलों के प्रमुख नेता भी इस समारोह का हिस्सा बनेंगे। इस आयोजन को BJP और JD(U) दोनों दल अपनी शक्ति प्रदर्शन (show of strength) के तौर पर भी देख रहे हैं।

NDA में सहमति: किसे क्या मिलेगा?

चुनाव नतीजों के बाद नए मंत्रिमंडल को लेकर NDA में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, NDA ने एक सरल फॉर्मूला अपनाया है — हर छह विधायकों पर एक मंत्री। इस फॉर्मूले के मुताबिक BJP को 15 मंत्री पद और JD(U) को 14 मंत्री पद मिलने की संभावना जताई जा रही है।

पार्टी संभावित मंत्री
BJP 15
JD(U) 14
LJP (RV) 3
HAM(S) 1
RLM 1

साफ है कि इस बार शक्तियों का संतुलन बनाए रखने के लिए NDA ने एक निष्पक्ष गणना प्रणाली अपनाई है। LJP(RV) ने deputy CM पद की मांग जरूर की थी, लेकिन BJP और JD(U) की सहमति के बाद यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।

Deputy CM की जोड़ी फिर वही

BJP विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी को नेता और विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुना गया। इससे साफ हो गया कि बिहार में वही पुरानी Deputy CM टीम दोबारा लौट रही है। सम्राट चौधरी OBC समुदाय से आते हैं, जबकि विजय सिन्हा upper-caste support को मजबूत करते हैं। BJP काफी समय से इसी सामाजिक समीकरण को आगे बढ़ा रही है।

NDA के प्रमुख नेताओं ने इसे "स्थिर और अनुभवी नेतृत्व" का संकेत बताया है। इन दोनों नेताओं की भूमिका नई सरकार में और महत्वपूर्ण होने वाली है।

नीतीश कुमार के फिर से सत्ता संभालने के साथ ही बिहार में कई अहम सवाल खड़े हो गए हैं—नई सरकार किस दिशा में काम करेगी, कौन-से मंत्री महत्वपूर्ण विभाग संभालेंगे, और क्या बदलते राजनीतिक समीकरण राज्य में स्थिरता ला पाएंगे? इन सभी सवालों पर बुधवार को NDA के भीतर लंबी चर्चा चली, जिसमें लगभग सभी साझेदारों ने अपनी राय रखी।

मंत्रिमंडल को अंतिम रूप देने के लिए BJP, JD(U), LJP(RV), HAM(S) और RLM के नेताओं ने एक संयुक्त बैठक की। सूत्रों के अनुसार, गृह विभाग (Home Ministry) इस बार सबसे बड़ा मुद्दा है, क्योंकि पिछली सरकार में यह विभाग JD(U) के पास था। इस बार BJP भी इसे लेकर उत्साहित दिख रही है।

स्पीकर पद को लेकर खींचतान

स्पीकर का पद इस बार NDA के भीतर बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। outgoing विधानसभा में यह पद BJP के नंद किशोर यादव के पास था। लेकिन इस बार JD(U) भी इसे अपने हिस्से में लाना चाहती है। दोनों दलों के बीच अभी तक अंतिम सहमति नहीं बनी है।

स्पीकर पद के संभावित नाम:
  • प्रेम कुमार (BJP)
  • विजय चौधरी (JD(U))
  • नरेंद्र नारायण यादव (JD(U) – पूर्व डिप्टी स्पीकर)

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, JD(U) का मानना है कि विधानसभा में संवाद और प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए अनुभवी नेता को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। वहीं BJP इस पद को अपनी राजनीतिक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण मान रही है।

कौन-से विभाग पर किसकी नजर?

शिक्षा मंत्रालय भी इस बार विवाद का हिस्सा बना हुआ है। पिछली सरकार में यह विभाग JD(U) के पास था, लेकिन BJP इस बार इसे अपने हिस्से में लेने की कोशिश कर सकती है। शिक्षा विभाग बिहार में सबसे अधिक चर्चा का विषय रहता है—कभी शिक्षक भर्ती, कभी स्कूलों की गुणवत्ता और कभी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर।

वहीं स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास, और सड़क निर्माण विभाग जैसे बड़े मंत्रालय भी NDA में चर्चा का हिस्सा बने हुए हैं।

विभाग कौन चाहता है? कारण
शिक्षा मंत्रालय BJP / JD(U) उच्च प्रभाव वाला विभाग
गृह मंत्रालय BJP कानून-व्यवस्था में सुधार
स्वास्थ्य JD(U) राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण

NDA की बड़ी जीत: क्या संदेश गया?

2025 के विधानसभा चुनाव में NDA को 243 में से 202 सीटें मिलीं। यह जीत न केवल बड़ी है, बल्कि यह दिखाती है कि जनता ने लंबे समय बाद एक तरफ़ा जनादेश दिया है। विपक्षी महागठबंधन (MGB) जहाँ 36 सीटों पर सिमट गया, वहीं BJP 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

LJP(RV) ने भी 19 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई, जबकि AIMIM ने पाँच सीटें हासिल कीं। यह परिणाम संकेत देता है कि बिहार की राजनीति अब caste-based गठबंधन से आगे बढ़कर development + leadership मॉडल की तरफ झुक रही है।

चुनाव परिणाम क्यों महत्वपूर्ण?
  • BJP का सबसे बड़ा दल बनकर उभरना
  • NDA का 80% से ज्यादा सीट जीतना
  • विपक्ष की कमजोर रणनीति उजागर हुई
  • Nitish-Modi leadership model को समर्थन मिला

NDA के भीतर सहयोग का नया समीकरण

नई सरकार गठन से पहले NDA के भीतर सहयोग की स्पष्ट तस्वीर दिखाई दी। LJP(RV) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि यह सरकार उनके पिता राम विलास पासवान के “सशक्त बिहार” के सपने को पूरा करेगी। HAM(S) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि 20 साल की लंबी सत्ता के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता बरकरार है, जो उनकी नीतियों का संकेत है।

RLM के उपेंद्र कुशवाहा ने महिलाओं के भारी समर्थन को NDA की जीत का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि बिहार की महिलाओं ने law and order में सुधार और basic सुविधाओं के लिए NDA पर भरोसा किया है।

शपथ से पहले राजनीतिक संदेश

शपथ से एक दिन पहले NDA के नेताओं ने विधायकों को संबोधित किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बिहार के विकास में प्रधानमंत्री मोदी का vision अहम रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य अब infrastructure, health, और industry में नई दिशा पकड़ेगा।

बैठक के बाद सभी नेता राज्यपाल से मिलने गए और देर शाम सरकार बनाने का आधिकारिक दावा पेश किया गया। अब बिहार एक ऐसे राजनीतिक दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां स्थिरता, अनुभव और नए गठबंधन समीकरण तीनों साथ दिखाई दे रहे हैं।

बिहार में नई सरकार के गठन के साथ अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आने वाले महीनों में राज्य की नीतियाँ किस तरफ जाएँगी। चुनाव नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि जनता ने NDA पर भरोसा जताया है, लेकिन इस भरोसे के साथ कई उम्मीदें भी जुड़ी हुई हैं। विकास, रोजगार, सुरक्षा, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अब नए सिरे से काम करने की आवश्यकता है।

इस चुनाव में विपक्ष की बड़ी हार ने राजनीतिक विश्लेषणों को भी नई दिशा दी है। इसका विस्तृत विश्लेषण आप यहाँ पढ़ सकते हैं — Bihar Election Result 2025: Opposition की गलतियाँ और रणनीति

NDA की जीत, विपक्ष की रणनीति की चूक और नीतीश कुमार के नेतृत्व का लंबे समय तक टिके रहना—तीनों ने बिहार की राजनीति को एक नए चक्र में ला खड़ा किया है। अब नज़रें इस पर होंगी कि सरकार पहले 100 दिनों में क्या करती है।

नई सरकार के सामने शुरुआती चुनौतियाँ

नई सरकार आने के साथ ही कुछ चुनौतियाँ तुरंत ध्यान खींचती हैं। बिहार में कई मौकों पर देखा गया है कि सरकार बदलते ही प्रशासनिक ढांचा थोड़े समय के लिए धीमा हो जाता है। इस बार नीतीश कुमार लगातार सत्ता में रहे हैं, इसलिए continuity बनी रहेगी, लेकिन विभाग बदलने से शुरुआती प्रभाव पड़ सकता है।

मुख्य चुनौतियाँ:
  • युवा रोजगार और skill development में तेज काम की आवश्यकता
  • पटना और बड़े शहरों में ट्रैफिक और शहरी विकास
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
  • शिक्षक भर्ती और शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता
  • कानून-व्यवस्था को और मजबूत बनाना

राज्य में infrastructure परियोजनाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नियोजन में देरी अक्सर जनता की नाराज़गी का कारण बनती है। इसके लिए एक तेज़ और मजबूती वाली व्यवस्था की जरूरत है।

क्या बदलेगा — क्या वैसा ही रहेगा?

नई सरकार के गठन के साथ यह चर्चा भी तेज है कि इस बार किन विभागों की प्राथमिकता सबसे ऊपर होगी। पिछली सरकार के दौरान सड़क निर्माण, महिला सुरक्षा, health infrastructure और बिजली-कनेक्टिविटी में बड़े बदलाव हुए थे। इस बार भी उम्मीद है कि इन्हीं क्षेत्रों में सुधार की गति बनाए रखी जाएगी।

वहीं रोजगार को लेकर युवा काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं। भाजपा के अंदर यह आवाज़ लंबे समय से उठ रही है कि राज्य में manufacturing hubs बढ़ाने चाहिए और IT सेक्टर को नई दिशा देनी चाहिए।

कैबिनेट में नए चेहरे: बदलाव का संकेत?

सूत्रों का कहना है कि BJP और JD(U) दोनों अपने-अपने कोटे से कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देने जा रहे हैं। इसका मकसद message देना है कि ये सरकार नए विचारों और नई leadership को सामने लाना चाहती है।

संभावित नया बदलाव राजनीतिक संदेश
नए मंत्री शामिल नई ऊर्जा और fresh leadership
महिला प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है women-centric policies को मजबूत आधार
टेक और IT विभाग में सुधार युवा वोटरों को संदेश

NDA के अंदर एकता बनी रहेगी?

BJP, JD(U), LJP(RV), HAM(S) और RLM सभी NDA का हिस्सा हैं। अभी तक सभी दलों ने एकता दिखायी है, लेकिन बिहार की राजनीति में तालमेल हमेशा आसान नहीं होता।

LJP(RV) के चिराग पासवान की बढ़ती लोकप्रियता और BJP का बड़ा जनाधार भविष्य में रणनीतिक मतभेद पैदा कर सकता है। हालांकि, इस समय सभी दलों का फोकस सरकार को स्थिर बनाना है।

NDA के भीतर संभावित friction points:
  • महत्वपूर्ण मंत्रालयों का बंटवारा
  • OBC–Upper caste समीकरण
  • युवा वोटरों पर influence
  • क्षेत्रीय दलों की सीटें बढ़ाने की मांग

बिहार के लिए आने वाले 2 साल क्यों महत्वपूर्ण होंगे?

राष्ट्रीय स्तर पर आने वाले वर्षों में कई बड़ी राजनीतिक घटनाएँ होंगी, जिनका सीधा असर बिहार की राजनीति पर पड़ेगा। NDA चाहेगा कि बिहार को एक स्थिर, विकासशील और investor-friendly राज्य के रूप में प्रस्तुत किया जाए।

नीतीश कुमार का अनुभव, BJP की चुनावी मशीनरी, और NDA सहयोगियों की जन आधार, ये सब मिलकर एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग साबित हो सकते हैं।

निष्कर्ष

बिहार की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। चुनाव परिणामों ने बदलाव का संकेत दिया है, लेकिन अब असली परीक्षा सरकार की नीतियों की होगी। जनता अब concrete results चाहती है, न कि सिर्फ घोषणाएँ।

20 नवंबर का शपथ ग्रहण कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आगामी राजनीतिक दिशा का संकेत है। बिहार की जनता की उम्मीदें अब नई सरकार से जुड़ी हैं, और आने वाले महीने तय करेंगे कि यह गठबंधन कितना सफल होगा।

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