दिल्ली के लाल किला के पास 10 नवंबर 2025 को हुए धमाके ने देश को हिला दिया। लेकिन अब पुलिस जांच में जो बातें सामने आ रही हैं, वे और भी चौंकाने वाली हैं। जांच एजेंसियों का शक है कि यह विस्फोट दरअसल Republic Day (26 जनवरी) के मौके पर होने वाले एक बड़े हमले की नाकाम कोशिश का हिस्सा था।
दिल्ली पुलिस और स्पेशल सेल की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, यह धमाका एक “white-collar” terror module से जुड़ा था, जिसमें मेडिकल पेशे से जुड़े कुछ लोग भी शामिल थे। सबसे अहम नाम सामने आया है — डॉ. मुज़म्मिल गनई, जो इस मॉड्यूल के कथित मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं।
मोबाइल डंप डेटा ने खोले कई राज़
जांच के दौरान जब पुलिस ने मुज़म्मिल के मोबाइल फोन से dump data निकाला, तो यह पाया गया कि जनवरी 2025 के पहले हफ्ते में वे कई बार लाल किला क्षेत्र में मौजूद थे। यह वही रूट है जहाँ हर साल Republic Day parade समाप्त होती है — Rashtrapati Bhavan से लेकर लाल किला तक।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने PTI को बताया, “Dump data और tower location से यह साबित हुआ है कि डॉ. मुज़म्मिल जनवरी के पहले हफ्ते में बार-बार लाल किला इलाके में गए थे। हमें शक है कि यह reconnaissance mission था, जो 26 जनवरी के हमले की तैयारी का हिस्सा हो सकता है।”
फरवरी में छपी शुरुआती रिपोर्ट अब हुई पुख्ता
पहले यह केवल एक अनुमान माना जा रहा था, लेकिन अब पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों को dump data, tower signals और CCTV फुटेज से ठोस सबूत मिल रहे हैं। इसी वजह से यह जांच अब NIA और CBI को सौंपे जाने की प्रक्रिया में है।
इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी पहले भी Red Fort Blast 2025 – NIA & CBI Investigation Updates में सामने आई थी, जहाँ मॉड्यूल के नेटवर्क और फंडिंग ट्रेल पर विस्तार से बताया गया था।
Blast Location और Pattern से मिले सुराग
धमाका लाल किला से कुछ मीटर की दूरी पर खड़ी एक कार में हुआ था, जिसमें IED (Improvised Explosive Device) का इस्तेमाल हुआ। पुलिस को मौके से chemical traces मिले जो high-intensity explosives के थे। जांच में सामने आया कि device remotely triggered किया गया था।
हालांकि blast से जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन security agencies का मानना है कि timing और जगह चुनकर किसी बड़े symbolic target को नुकसान पहुंचाने की योजना थी।
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि यह कोई पारंपरिक आतंकवादी मॉड्यूल नहीं था, बल्कि एक White-Collar Terror Network था। इस नेटवर्क के सदस्य highly educated थे और उन्होंने digital tools और medical networks का इस्तेमाल किया।
Dr Muzammil Ganaie और Dr Umar Nabi — दोनों ही कश्मीर के निवासी बताए जा रहे हैं और दिल्ली-NCR में private medical setups में कार्यरत थे। जांच से पता चला कि उन्होंने Faridabad में एक ‘charitable clinic’ के नाम पर संदिग्ध गतिविधियाँ चलाईं।
क्यों है “White-Collar” नाम?
आमतौर पर आतंकवादी मॉड्यूलों में हथियारबंद या extremist background वाले लोग पाए जाते हैं, लेकिन इस मॉड्यूल के सदस्य professionals थे — डॉक्टर, IT experts और NGO volunteers। यही कारण है कि जांच एजेंसियों ने इसे “white-collar terror group” कहा।
- Highly educated suspects with no criminal record.
- Digital transactions and encrypted chats for coordination.
- Charity front used for funding and logistics.
- Medical equipment used for chemical procurement disguise.
Security Agencies की भूमिका
Special Cell of Delhi Police के साथ-साथ IB और RAW के inputs के बाद यह मामला NIA को refer किया गया। NIA अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह मॉड्यूल किसी foreign terror network से indirectly जुड़ा था।
CBI parallel financial trail की जांच कर रही है — खासकर उन bank accounts की जिनके ज़रिए explosives खरीदे गए थे। Early analysis से पता चला है कि funds cryptocurrency wallets के माध्यम से भेजे गए थे।
Tech Evidence और Surveillance Data
Mobile dump data ने न केवल Muzammil की लोकेशन बताई, बल्कि यह भी दिखाया कि जनवरी 2025 के पहले हफ्ते में उनका mobile एक ही tower के आसपास कई बार activate हुआ — ठीक वही जो Red Fort के पास है।
इसके अलावा, CCTV footage में एक white car कई बार उसी इलाके से गुजरते हुए दिखी, जो बाद में धमाके में इस्तेमाल हुई। पुलिस को शक है कि surveillance cameras को भी पहले से identify किया गया था ताकि blind spots का फायदा उठाया जा सके।
अब जांच इस दिशा में है कि क्या January 26 को होने वाले असफल प्रयास के बाद यह मॉड्यूल dormant हो गया था और नवंबर में फिर activate हुआ।
जांच एजेंसियों का मानना है कि इस मॉड्यूल की मूल योजना 26 जनवरी 2025 को हमले की थी, लेकिन Republic Day के दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था और increased patrolling के कारण साजिश नाकाम हो गई। इसके बाद हमलावरों ने नवंबर में दूसरा मौका तलाशा।
Attack Theory: क्या था असली प्लान?
Sources के मुताबिक, डॉ. मुज़म्मिल और उनके सहयोगी ने लाल किला को target इसलिए चुना क्योंकि यह न केवल ऐतिहासिक प्रतीक है, बल्कि Republic Day parade का अंतिम स्थल भी है। योजना थी कि छोटे IED devices से symbolic explosion किया जाए जिससे panic फैले और international attention मिले।
हालाँकि यह attack time पर execute नहीं हो सका, लेकिन फोन dump data और encrypted chats से पता चला कि planning काफी advanced stage पर थी।
Political & Public Reaction
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर कहा कि “जो देश की सुरक्षा को चुनौती देंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।” Home Ministry ने भी स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच किसी भी सिरे से अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी।
जनता में भी डर और गुस्सा दोनों है। सोशल मीडिया पर #RedFortBlast और #RepublicDayPlot ट्रेंड कर रहे हैं। कई लोगों ने Delhi Police की तत्परता की सराहना की, जिसने समय रहते साजिश को नाकाम किया।
अब तक की जांच की स्थिति
| Stage | Status |
|---|---|
| Dump Data Analysis | Completed – Multiple Red Fort visits confirmed |
| Financial Trail | Under CBI review |
| Foreign Links | Under NIA verification |
| Digital Communication | Partially decrypted, analysis ongoing |
अब पूरा देश इस बात का इंतजार कर रहा है कि NIA और CBI की संयुक्त रिपोर्ट क्या बताती है — क्या यह वास्तव में Republic Day की साजिश थी या सिर्फ एक अलग incident जिसे बाद में लिंक किया गया?
फिलहाल, सभी संभावनाएँ खुली हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली और NCR में high alert जारी कर दिया है ताकि किसी भी ऐसी गतिविधि को दोहराया न जा सके।
अंत में
Red Fort blast case अब भारत की internal security history में एक अहम मोड़ बन चुका है। अगर यह Republic Day की साजिश साबित होती है, तो यह देश की सुरक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी सफलता मानी जाएगी कि हमला होने से पहले ही रोका गया।
एक बात निश्चित है — vigilance और technology की मदद से आज की पुलिस सिर्फ react नहीं करती, बल्कि prevent भी करती है। और यही इस केस का सबसे बड़ा संदेश है।

