केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए सबसे बड़ी चर्चा इस समय 8वें वेतन आयोग को लेकर है। 7वें वेतन आयोग के बाद से ही इसकी मांग लगातार उठ रही थी। आखिरकार जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने 8th Pay Commission के गठन को मंजूरी दे दी। यह सरकार का बड़ा फैसला माना जा रहा है, क्योंकि इसके लागू होने से करोड़ों परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा।
हालांकि, अभी तक आयोग के कामकाज की दिशा तय करने वाला Terms of Reference यानी टीओआर मंजूर नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि अगस्त 2025 तक इस पर मुहर लग सकती है। जैसे ही टीओआर पास होगा, आयोग आधिकारिक रूप से काम शुरू कर देगा। अनुभव बताता है कि हर वेतन आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने में करीब 18 महीने का समय लेता है। इसलिए इसे लागू होने में अभी और वक्त लग सकता है।
सरकार और विशेषज्ञों की ओर से अलग-अलग अनुमान सामने आ रहे हैं। कई रिपोर्ट्स कह रही हैं कि 8th Pay Commission को जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है। लेकिन कुछ आर्थिक संस्थान, जैसे कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज, मानते हैं कि देरी की संभावना है और इसे साल 2026 के आखिर या 2027 की शुरुआत में लागू किया जा सकता है। वजह है कि आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने और सरकार को उस पर फैसला लेने में समय लगेगा।
अब सबसे अहम सवाल यह है कि कर्मचारियों को कितनी बढ़ोतरी मिलेगी। इसमें सबसे ज़्यादा चर्चा फिटमेंट फैक्टर की हो रही है। यही वह गुणांक है जिसके आधार पर मूल वेतन तय किया जाता है। अगर फिटमेंट फैक्टर 1.8 रखा गया तो अनुमानित बढ़ोतरी करीब 14 प्रतिशत होगी। यदि इसे 2.15 किया गया तो यह 34 प्रतिशत तक जा सकती है। वहीं 2.46 पर यह बढ़ोतरी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकती है।
कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 से 51,000 रुपये के बीच किया जा सकता है। इसी तरह पेंशनधारकों का न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर करीब 25,000 रुपये तक पहुंच सकता है। हालांकि, ये अभी केवल अनुमान हैं। सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 8th Pay Commission से करीब 48 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और लगभग 68 लाख पेंशनर्स को सीधा लाभ मिलेगा। यानी कुल मिलाकर एक करोड़ से ज्यादा लोग इसके दायरे में आएंगे। यही कारण है कि सरकार पर काफी दबाव भी है।
आर्थिक मोर्चे पर देखें तो वेतन आयोग लागू करना सरकार के लिए भारी खर्च वाला कदम है। कोटक इक्विटीज का अनुमान है कि इसके कारण केंद्र पर 2.5 से 3 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त बोझ आ सकता है। हालांकि, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि महंगाई के बढ़ते असर को देखते हुए यह कदम ज़रूरी है।
कर्मचारी संगठनों ने साफ कहा है कि 8th Pay Commission की रिपोर्ट में महंगाई भत्ता को मूल वेतन में शामिल करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा भत्तों और पेंशन संरचना को भी मजबूत बनाने की मांग उठाई जा रही है। उनका कहना है कि जब तक वेतन आयोग लागू नहीं होता, कर्मचारियों का जीवन स्तर लगातार महंगाई की मार झेलता रहेगा।
हाल के दिनों में खबरें यह भी आईं कि आयोग की सिफारिशों में बड़ी सैलरी बढ़ोतरी का रास्ता खुल सकता है। कुछ क्षेत्रीय मीडिया रिपोर्ट्स ने तो 40 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। यानी अगर किसी का वेतन अभी 50,000 रुपये है तो वह बढ़कर 70,000 रुपये तक पहुंच सकता है।
फिलहाल कर्मचारियों और पेंशनर्स की नजर केवल टीओआर की मंजूरी पर टिकी हुई है। यह मंजूर होते ही आयोग औपचारिक रूप से काम शुरू कर देगा और तब असली तस्वीर साफ होगी। सरकार की कोशिश होगी कि इसे 2026 से लागू कर दिया जाए, लेकिन अगर कामकाज में देरी होती है तो यह योजना 2027 तक खिंच सकती है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो 8th Pay Commission news इस समय लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की बड़ी किरण बन चुकी है। हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि आखिर वेतन और पेंशन में कितनी बढ़ोतरी होगी। अभी तक का संदेश यही है कि कर्मचारियों को 30 से 34 प्रतिशत तक फायदा मिल सकता है, लेकिन सही आंकड़ा तभी सामने आएगा जब आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। तब तक इंतजार ही सबसे बड़ा विकल्प है।
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