दांत निकलने पर बच्चों को होने वाली परेशानियों का समाधान

0 Divya Chauhan

 

दांत निकलने पर बच्चों की परेशानियां और उनके समाधान

जब बच्चों के दांत निकलते हैं, तो यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 6 महीने से 2 साल की उम्र के बीच शुरू होती है। हालांकि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ कई परेशानियां भी आती हैं, जैसे दर्द, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और नींद में कमी। माता-पिता के लिए यह समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बच्चा अपनी परेशानी को शब्दों में बयां नहीं कर पाता। इस लेख में हम बच्चों के दांत निकलने की प्रक्रिया, उससे जुड़ी परेशानियों और उनके सरल, घरेलू समाधानों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हमारा उद्देश्य है कि यह जानकारी सरल और उपयोगी हो, ताकि माता-पिता अपने बच्चे को इस दौर में आराम दे सकें।

 

दांत निकलने की प्रक्रिया को समझें

दांत निकलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे के मसूड़ों से दांत धीरे-धीरे बाहर आते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर 6 से 12 महीने की उम्र में शुरू होती है और 2 से 3 साल तक चल सकती है। हर बच्चे का अनुभव अलग हो सकता है। कुछ बच्चों को ज्यादा परेशानी नहीं होती, जबकि कुछ के लिए यह समय दर्दनाक और असहज हो सकता है।

 

दांत निकलने के लक्षण

बच्चों में दांत निकलने के दौरान कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:

 

1.      मसूड़ों में दर्द और सूजन: मसूड़े लाल, सूजे हुए और छूने पर संवेदनशील हो सकते हैं।

2.      चिड़चिड़ापन: बच्चा बेचैन और चिड़चिड़ा हो सकता है, क्योंकि दर्द उसे परेशान करता है।

3.      ज्यादा लार टपकना: दांत निकलने की प्रक्रिया में लार का बनना बढ़ जाता है, जिससे बच्चे का मुंह और ठुड्डी गीली रहती है।

4.      कुछ चबाने की इच्छा: बच्चा हर चीज को मुंह में डालकर चबाने की कोशिश करता है, क्योंकि इससे मसूड़ों को राहत मिलती है।

5.      नींद में कमी: दर्द और बेचैनी के कारण बच्चे की नींद प्रभावित हो सकती है।

6.      खाने में रुचि कम होना: मसूड़ों के दर्द के कारण बच्चा खाना खाने से मना कर सकता है।

7.      हल्का बुखार: कुछ बच्चों में हल्का बुखार या शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

 

हालांकि ये लक्षण सामान्य हैं, लेकिन अगर बुखार बहुत ज्यादा हो या बच्चे को गंभीर परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 

दांत निकलने की परेशानियों के समाधान

दांत निकलने की प्रक्रिया को पूरी तरह रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आसान और सुरक्षित उपायों से बच्चे की परेशानी को कम किया जा सकता है। नीचे कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं, जो माता-पिता घर पर आजमा सकते हैं:

1. मसूड़ों की मालिश करें

मसूड़ों की हल्की मालिश बच्चे को काफी राहत दे सकती है। इसके लिए:

·         अपनी उंगलियों को अच्छे से धो लें।

·         साफ, गीले कपड़े या सिलिकॉन फिंगर ब्रश का उपयोग करें।

·         बच्चे के मसूड़ों पर हल्के दबाव के साथ मालिश करें।

यह मालिश मसूड़ों में रक्त संचार को बढ़ाती है और दर्द को कम करती है। ध्यान रखें कि मालिश बहुत हल्की और सावधानीपूर्वक हो, ताकि बच्चे को असुविधा हो।

2. ठंडी चीजें दें

ठंडी चीजें मसूड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में बहुत प्रभावी होती हैं। आप निम्नलिखित तरीके आजमा सकते हैं:

·         टीथिंग रिंग: फ्रिज में ठंडी की गई टीथिंग रिंग बच्चे को चबाने के लिए दें। यह रिंग सख्त और सुरक्षित होनी चाहिए।

·         ठंडा कपड़ा: एक साफ, नरम कपड़े को पानी में भिगोकर फ्रिज में ठंडा करें और बच्चे को चबाने दें।

·         ठंडा फल: अगर बच्चा 6 महीने से बड़ा है, तो उसे ठंडा केला या सेब का टुकड़ा (बिना छिलके का) दे सकते हैं। इसे देने से पहले सुनिश्चित करें कि टुकड़ा बड़ा हो, ताकि बच्चा उसे निगल ले।

 

सावधानी: कभी भी टीथिंग रिंग या कपड़े को फ्रीजर में रखें, क्योंकि ज्यादा ठंडी चीजें मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

3. लार को बार-बार पोंछें

ज्यादा लार टपकने से बच्चे की ठुड्डी और गालों पर जलन या रैशेज हो सकते हैं। इसे रोकने के लिए:

·         बच्चे के मुंह और ठुड्डी को बार-बार साफ, नरम कपड़े से पोंछें।

·         त्वचा को सूखा और साफ रखें।

·         अगर रैशेज हो जाएं, तो डॉक्टर की सलाह पर हल्का मॉइस्चराइजर या क्रीम लगाएं। 

4. बच्चे को व्यस्त रखें

बच्चे का ध्यान बटाने से उसकी बेचैनी कम हो सकती है। इसके लिए:

·         उसे उसका पसंदीदा खिलौना दें।

·         हल्की-फुल्की कहानियां सुनाएं या गाना गाकर उसे खुश रखें।

·         उसे गोद में लेकर हल्का झुलाएं या सैर पर ले जाएं।

5. दर्द निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह पर)

अगर बच्चे को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा हो और घरेलू उपाय काम करें, तो डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। आमतौर पर बच्चों के लिए पैरासिटामोल (Paracetamol) या इबुप्रोफेन (Ibuprofen) का सिरप सुरक्षित होता है। लेकिन:

·         दवा की खुराक बच्चे की उम्र और वजन के हिसाब से दें।

·         बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा दें।

6. साफ-सफाई का ध्यान रखें

दांत निकलने के दौरान बच्चे हर चीज को मुंह में डालते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए:

·         बच्चे के खिलौने और टीथिंग रिंग को नियमित रूप से साफ करें।

·         बच्चे के हाथों को बार-बार धोएं।

·         बच्चे को ऐसी चीजें दें, जो गंदी या असुरक्षित हों।

7. पौष्टिक आहार दें

दांत निकलने के दौरान बच्चे का खान-पान प्रभावित हो सकता है। इसलिए:

·         उसे नरम और पौष्टिक भोजन दें, जैसे दाल का पानी, खिचड़ी, या फलों की प्यूरी।

·         ज्यादा ठोस या सख्त चीजें देने से बचें, क्योंकि इससे मसूड़ों में दर्द बढ़ सकता है।

·         बच्चे को पर्याप्त पानी पिलाएं, ताकि वह हाइड्रेटेड रहे।


कुछ गलत धारणाएं और सावधानियां

दांत निकलने की प्रक्रिया को लेकर कई गलत धारणाएं समाज में प्रचलित हैं। इनसे बचना जरूरी है:

1.      "दांत निकलने से बुखार होता है": हल्का बुखार सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर बुखार 100.4°F से ज्यादा हो या 3 दिन से ज्यादा रहे, तो यह दांत निकलने की वजह से नहीं हो सकता। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

2.      "टीथिंग जेल का उपयोग करें": कुछ टीथिंग जेल में हानिकारक तत्व हो सकते हैं, जैसे बेंजोकेन, जो बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। इनके उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह लें।

3.      "बच्चे को सख्त चीजें चबाने दें": सख्त या छोटी चीजें बच्चे के गले में अटक सकती हैं। हमेशा सुरक्षित और नरम टीथिंग खिलौने चुनें।

 

माता-पिता के लिए सुझाव

·         धैर्य रखें: यह समय बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। धैर्य और प्यार से बच्चे की देखभाल करें।

·         डॉक्टर से संपर्क करें: अगर बच्चे को असामान्य लक्षण दिखें, जैसे तेज बुखार, दस्त, या उल्टी, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

·         खुद का ध्यान रखें: बच्चे की देखभाल के साथ-साथ माता-पिता को भी पर्याप्त नींद और आराम लेना चाहिए, ताकि वे बच्चे का बेहतर ख्याल रख सकें।

 

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बच्चों के दांत निकलने की प्रक्रिया एक प्राकृतिक लेकिन चुनौतीपूर्ण चरण है। इस दौरान बच्चे को दर्द, बेचैनी और चिड़चिड़ापन हो सकता है, लेकिन सही देखभाल और घरेलू उपायों से इन परेशानियों को कम किया जा सकता है। मसूड़ों की मालिश, ठंडी चीजें, और प्यार भरी देखभाल से बच्चे को राहत दी जा सकती है। साथ ही, माता-पिता को चाहिए कि वे साफ-सफाई और पौष्टिक आहार का विशेष ध्यान रखें। अगर कोई गंभीर लक्षण दिखे, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। इस लेख में दिए गए उपायों को आजमाकर आप अपने बच्चे के इस महत्वपूर्ण पड़ाव को आसान और खुशनुमा बना सकते हैं।

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