IIT मद्रास ने बनाया भारत का पहला क्वांटम रैंडम जेनरेटर, सिलिकॉन फोटोनिक्स पर आधारित

0 Divya Chauhan
IIT मद्रास द्वारा विकसित भारत का पहला सिलिकॉन फोटोनिक्स क्वांटम रैंडम जेनरेटर


भारत के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में से एक IIT Madras (आईआईटी मद्रास) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस बार संस्थान सुर्खियों में है देश के पहले Silicon Photonics आधारित Quantum Random Number Generator (QRNG) को विकसित करने के लिए। यह तकनीक डेटा सुरक्षा और डिजिटल एन्क्रिप्शन (encryption) की दिशा में भारत के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकती है।


इस इनोवेशन को न केवल शोध स्तर पर तैयार किया गया है, बल्कि इसे industry use के लिए एक भारतीय कंपनी को लाइसेंस भी कर दिया गया है। अब अगले कुछ वर्षों में यह तकनीक बैंकिंग, रक्षा (defence), ऑनलाइन पेमेंट और सरकारी डेटा सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाएगी।


🔢 रैंडम नंबर क्यों होते हैं जरूरी?

हमारे डिजिटल जीवन (digital life) में हर दिन रैंडम नंबरों का उपयोग होता है। चाहे वह password generation, data encryption, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हो या cyber security systems, हर जगह सुरक्षित रैंडम नंबरों की जरूरत होती है।


अभी तक पारंपरिक कंप्यूटर इन रैंडम नंबरों को सॉफ्टवेयर या गणितीय एल्गोरिद्म (mathematical algorithms) के जरिए बनाते थे। लेकिन एक बड़ी समस्या यह थी कि ये नंबर पूरी तरह अप्रत्याशित (truly random) नहीं होते। कई बार हैकर्स इन्हें अनुमान (predict) करके सुरक्षा दीवार तोड़ देते हैं।


यही कमी Quantum Random Number Generator (QRNG) दूर करता है। यह तकनीक रैंडम नंबर बनाने के लिए quantum-level phenomena का इस्तेमाल करती है, जो पूरी तरह अनिश्चित (unpredictable) होते हैं। इस कारण इन्हें hack या reverse-engineer करना लगभग असंभव होता है।


⚛️ क्या है Quantum Random Number Generator?

Quantum Random Number Generator (QRNG) ऐसी तकनीक है जो संख्याएं बनाने के लिए पारंपरिक गणितीय तरीकों की बजाय क्वांटम घटनाओं का सहारा लेती है। क्वांटम स्तर पर कणों की गति और ऊर्जा में प्राकृतिक रूप से अनिश्चितता होती है, और यही अनिश्चितता असली रैंडमनेस (true randomness) प्रदान करती है।


उदाहरण के लिए, एक फोटॉन (photon) किस दिशा में जाएगा या कब टकराएगा, इसका अनुमान पहले से नहीं लगाया जा सकता। QRNG इसी अनिश्चितता को कैप्चर कर रैंडम नंबर जेनरेट करता है। यही कारण है कि यह तकनीक सुरक्षा के लिहाज से बेहद शक्तिशाली और विश्वसनीय मानी जाती है।


💡 सिलिकॉन फोटोनिक्स से बना कॉम्पैक्ट और तेज़ जेनरेटर

IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने इस QRNG को Silicon Photonics Platform पर विकसित किया है। इसका मतलब यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी घटक (components) सिलिकॉन बेस्ड हैं, जिससे इसे बहुत छोटे आकार (compact size) में और कम लागत (low cost) में बनाया जा सकता है।

  • Compact design: इसे छोटे चिप (chip) के रूप में भी बनाया जा सकता है।

  • High speed: पारंपरिक रैंडम नंबर जनरेटर की तुलना में कई गुना तेज़।

  • Low power consumption: ऊर्जा की खपत भी बहुत कम।

इस वजह से यह तकनीक सिर्फ लैब तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्मार्टफोन्स, बैंकों, सर्वर सिस्टम्स और सरकारी डेटा सेंटर्स तक में आसानी से लागू की जा सकती है।


🏢 इंडस्ट्री में उपयोग के लिए लाइसेंस जारी

IIT Madras ने इस तकनीक को एक भारतीय टेक्नोलॉजी कंपनी को लाइसेंस कर दिया है। यह कंपनी अब इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन (mass production) कर बाजार में उतारेगी।

आने वाले समय में इस तकनीक के उपयोग के प्रमुख क्षेत्र होंगे:

  • Banking & Finance: डिजिटल ट्रांजैक्शन और OTP सिस्टम्स की सुरक्षा।

  • Government Data Protection: संवेदनशील सरकारी डेटा को सुरक्षित रखना।

  • Online Payment Systems: पेमेंट गेटवे और फिनटेक ऐप्स में बेहतर एन्क्रिप्शन।

  • Defence & Cybersecurity: राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणालियों में एन्क्रिप्शन की नई परत।


🔐 डेटा सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव

आज जब डिजिटल लेनदेन (digital transactions) और ऑनलाइन गतिविधियां हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गई हैं, तब डेटा सुरक्षा (data security) सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। फिशिंग (phishing), हैकिंग (hacking) और डेटा चोरी (data breaches) जैसे खतरे लगातार बढ़ रहे हैं।


Quantum Random Number Generator इस समस्या का एक मजबूत समाधान पेश करता है। यह सुनिश्चित करता है कि एन्क्रिप्शन की चाबियां (encryption keys) पूरी तरह अनियमित और अप्रत्याशित हों, जिससे किसी भी साइबर हमले (cyber attack) की संभावना बेहद कम हो जाती है।


🌍 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति

अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे देशों में क्वांटम सुरक्षा तकनीक (quantum security technology) पर लंबे समय से काम चल रहा है। भारत का यह कदम दिखाता है कि अब देश भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।


विशेषज्ञों का मानना है कि IIT मद्रास की यह उपलब्धि भारत को वैश्विक स्तर पर एक नए खिलाड़ी (global player) के रूप में स्थापित कर सकती है। यह न केवल देश की Digital India पहल को मजबूत करेगी, बल्कि cyber sovereignty यानी डिजिटल संप्रभुता के लक्ष्य को भी पूरा करेगी।


🎓 संस्थान और वैज्ञानिकों की भूमिका

IIT मद्रास के निदेशक ने इस उपलब्धि को छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक भविष्य में भारत की साइबर सुरक्षा (cyber security) को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।


संस्थान ने यह भी बताया कि इस तकनीक के विकास में Photonics Lab, Quantum Technology Centre और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय साझेदारों की अहम भूमिका रही है।


🛠️ अगला चरण: व्यावसायिक उत्पादन और विस्तार

अब जबकि तकनीक को लाइसेंस कर दिया गया है, अगला चरण इसका commercial production शुरू करना है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 2 से 3 वर्षों में यह तकनीक भारत के बैंकों, सरकारी संस्थानों और यहां तक कि आम स्मार्टफोन्स में भी उपलब्ध हो जाएगी।


सरकार भी इस तकनीक को National Cybersecurity Mission और Digital Infrastructure Programs में शामिल करने पर विचार कर रही है।


📍 निष्कर्ष: भारत की डिजिटल सुरक्षा में नया अध्याय

IIT मद्रास द्वारा विकसित Silicon Photonics Quantum Random Number Generator केवल एक शोध परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत की साइबर सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

इस तकनीक के जरिए:

  • भारत अपने नागरिकों के डेटा को और सुरक्षित बना पाएगा।

  • वित्तीय लेन-देन और सरकारी प्रणालियों की सुरक्षा और मजबूत होगी।

  • भारत वैश्विक क्वांटम सुरक्षा परिदृश्य (quantum security landscape) में एक अग्रणी भूमिका निभा सकेगा।

👉 Final Thought: आने वाले वर्षों में यह तकनीक भारत को दुनिया के सबसे सुरक्षित डिजिटल देशों की कतार में खड़ा कर सकती है। यह न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि “Atmanirbhar Bharat” और “Digital India” की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।


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