IIT मद्रास ने बनाया भारत का पहला क्वांटम रैंडम जेनरेटर, सिलिकॉन फोटोनिक्स पर आधारित

0 Divya Chauhan
IIT मद्रास द्वारा विकसित भारत का पहला सिलिकॉन फोटोनिक्स क्वांटम रैंडम जेनरेटर


चेन्नई का आईआईटी मद्रास एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कारण है – भारत का पहला सिलिकॉन फोटोनिक्स आधारित क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर। इसे संस्थान के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है और अब इसे उद्योग जगत में उपयोग के लिए लाइसेंस भी कर दिया गया है।


हमारे रोज़मर्रा के डिजिटल जीवन में पासवर्ड, एन्क्रिप्शन और सिक्योरिटी के लिए रैंडम नंबर ज़रूरी होते हैं। अभी तक कंप्यूटर इन संख्याओं को सॉफ्टवेयर या गणितीय तरीकों से बनाते रहे हैं। लेकिन ये संख्याएँ पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं होतीं। कई बार हैकर्स इन्हें अनुमान से पकड़ लेते हैं।


क्वांटम रैंडम जेनरेटर इस कमी को दूर करता है। यह संख्याएँ बनाने के लिए क्वांटम स्तर की घटनाओं का सहारा लेता है। यानी जो नतीजा निकलता है, वह पूरी तरह अनियमित और असली रैंडम होता है। इसे तोड़ना लगभग असंभव माना जाता है।


इस जेनरेटर को IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने सिलिकॉन फोटोनिक्स प्लेटफॉर्म पर तैयार किया है। इसका फायदा यह है कि इसे बहुत छोटे आकार में, तेज़ गति से और कम खर्च में बनाया जा सकता है। यही कारण है कि यह तकनीक आम प्रयोग के लिए व्यावहारिक है।


संस्थान ने इसे अब एक भारतीय कंपनी को लाइसेंस कर दिया है। यह कंपनी इस तकनीक को बाज़ार में उतारेगी। उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में इसका इस्तेमाल बैंकिंग, सरकारी डेटा सुरक्षा, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम और रक्षा क्षेत्र तक में दिखाई देगा।


आजकल जब डिजिटल लेन-देन हर घर तक पहुँच चुका है, तब डेटा सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। फिशिंग, हैकिंग और डेटा चोरी जैसे खतरे बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह तकनीक भारत को और सुरक्षित बनाएगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज से भारत न सिर्फ अपने नागरिकों के डेटा की सुरक्षा मजबूत करेगा, बल्कि क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कदमताल करेगा।


अमेरिका, यूरोप और चीन लंबे समय से क्वांटम सुरक्षा पर काम कर रहे हैं। भारत का यह कदम बताता है कि हम भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। IIT मद्रास की खोज से देश को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिल सकती है।


IIT मद्रास के निदेशक ने कहा कि यह काम छात्रों और वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह तकनीक आने वाले समय में देश की साइबर सुरक्षा को नए स्तर तक ले जाएगी।



अब जब तकनीक को लाइसेंस कर दिया गया है, तो अगला चरण इसका व्यावसायिक उत्पादन है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही यह तकनीक भारत के डिजिटल इंडिया अभियान की रीढ़ बनेगी।


IIT मद्रास की यह उपलब्धि केवल एक शोध परियोजना नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। सिलिकॉन फोटोनिक्स क्वांटम रैंडम जेनरेटर आने वाले समय में भारत को दुनिया के सबसे सुरक्षित डिजिटल देशों की कतार में खड़ा कर सकता है।


📌 अगर आप शहरों और उनके विकास पर और आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं तो यह भी देखें:

👉 iPhone 17 कब लॉन्च होगा? जानिए तारीख, फीचर्स और कीमत

👉 OpenAI ने भारत में लॉन्च किया ChatGPT Go, अब सिर्फ ₹399/माह में

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.