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राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और सभी नगर निगमों को एक बड़ा और सख्त आदेश जारी किया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि राज्य के सभी नगर निगम और नगर पालिकाएं 15 दिनों के भीतर सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों, गायों, सांडों और अन्य पशुओं को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाएं।
यह आदेश उस समय आया है जब राज्य के कई शहरों में सड़क दुर्घटनाओं और नागरिकों की शिकायतों में तेज़ी से इजाफा हुआ है। अदालत का कहना है कि यह केवल साफ-सफाई या प्रशासनिक जिम्मेदारी का मामला नहीं है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा और जीवन से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।
⚖️ क्यों देना पड़ा अदालत को आदेश?
पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के कई जिलों से सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर और बीकानेर जैसे शहरों में आवारा गायों, सांडों और कुत्तों के कारण ट्रैफिक जाम, सड़क हादसे और नागरिकों की चोटों की घटनाएं आम होती जा रही थीं।
कई मामलों में लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, और कुछ घटनाओं में जान भी चली गई है। इन घटनाओं को देखते हुए नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर लिया और राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने का आदेश दिया।
🚨 कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा:
“आवारा पशु और कुत्ते केवल यातायात में बाधा नहीं डालते, बल्कि वे नागरिकों के लिए जानलेवा खतरा बनते जा रहे हैं। यह नगर निकायों की जिम्मेदारी है कि वे सड़कों को सुरक्षित और साफ रखें। आम नागरिकों की सुरक्षा किसी भी स्थिति में खतरे में नहीं पड़नी चाहिए।”
कोर्ट ने आगे चेतावनी दी कि अगर किसी भी नगर निकाय ने आदेश का पालन नहीं किया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने यहां तक कहा कि “लापरवाही को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
📋 आदेश के प्रमुख बिंदु
हाईकोर्ट के निर्देशों में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं, जिन्हें हर नगर निकाय को अनिवार्य रूप से पालन करना होगा:
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15 दिनों में विशेष अभियान: सभी नगर निगम और पालिकाएं 15 दिनों के भीतर आवारा पशुओं और कुत्तों को हटाने के लिए विशेष अभियान शुरू करें।
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वैक्सीनेशन और शेल्टर: पकड़े गए कुत्तों को सुरक्षित शेल्टर में रखा जाए और उनका टीकाकरण (Vaccination) किया जाए।
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गौशालाओं में स्थानांतरण: आवारा गायों, सांडों और अन्य पशुओं को गौशालाओं या निर्दिष्ट स्थानों पर भेजा जाए।
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पशु क्रूरता कानून का पालन: किसी भी पशु के साथ अभियान के दौरान क्रूरता नहीं होनी चाहिए। सभी पशु संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए।
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नागरिक सहयोग: नागरिकों से अपील की गई है कि वे प्रशासन का सहयोग करें और सड़कों पर आवारा पशु छोड़ने या खुले में खाना डालने जैसी गतिविधियों से बचें।
🛣️ सड़क हादसों में लगातार बढ़ोतरी
राजस्थान के कई शहरों में आवारा पशु और कुत्तों की वजह से सड़क हादसे तेजी से बढ़े हैं। पुलिस और ट्रैफिक विभाग के आंकड़ों के अनुसार:
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पिछले एक साल में जयपुर में 350 से ज्यादा दुर्घटनाएं केवल सांडों और गायों के कारण हुईं।
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जोधपुर और कोटा में भी 200 से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें दोपहिया और चारपहिया वाहन चालक घायल हुए।
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कई मामलों में सड़क पर अचानक जानवर आ जाने से वाहन नियंत्रण से बाहर हो गए और जान-माल का नुकसान हुआ।
इन आंकड़ों ने अदालत को भी गंभीर रूप से चिंतित किया, क्योंकि यह केवल ट्रैफिक की समस्या नहीं, बल्कि जन सुरक्षा का सवाल बन गया है।
🐶 आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या
आवारा कुत्तों की समस्या भी राजस्थान में तेजी से बढ़ रही है। शहरी इलाकों में यह समस्या और भी गंभीर है। कई मामलों में कुत्तों के झुंड लोगों पर हमला कर देते हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर।
स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में हर साल 20,000 से ज्यादा डॉग बाइट केस दर्ज किए जाते हैं। इससे रेबीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। कोर्ट का मानना है कि इस पर सख्त और व्यवस्थित कार्रवाई जरूरी है।
🏛️ नगर निकायों की जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि नगर निगमों और नगर पालिकाओं की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वे शहर की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित, साफ और व्यवस्थित रखें।
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सड़कों पर पशु छोड़ना या उन्हें खुला घूमने देना प्रशासन की लापरवाही मानी जाएगी।
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शहरी योजनाओं में पशु शेल्टर और गौशालाओं के लिए पर्याप्त जगह सुनिश्चित की जाए।
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स्थानीय निकायों को समय-समय पर अभियान चलाकर सड़कों को साफ रखने की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी होगी।
🤝 नागरिकों की भी जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में नागरिकों से भी अपील की है। अदालत ने कहा कि सिर्फ प्रशासन नहीं, बल्कि समाज को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
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सड़कों पर आवारा पशुओं को खाना डालना बंद करें।
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अपने पालतू जानवरों को खुले में न छोड़ें।
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प्रशासन को अभियान में सहयोग करें और शिकायत मिलने पर तुरंत सूचना दें।
🌆 जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे शहरों में बड़ी चुनौती
राजस्थान के बड़े शहर लंबे समय से आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहे हैं। जयपुर में कई बार गायें और सांड ट्रैफिक जाम का कारण बन जाते हैं। जोधपुर और अजमेर में पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करना मुश्किल हो जाता है।
कोटा जैसे औद्योगिक शहर में रात के समय आवारा जानवरों के कारण दुर्घटनाओं की संभावना और बढ़ जाती है। अब उम्मीद है कि अदालत के इस आदेश के बाद हालात में बदलाव आएगा और नागरिकों को राहत मिलेगी।
🧭 आगे का रास्ता: समाधान और जागरूकता
विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ पकड़ने से समस्या हल नहीं होगी। इसके लिए दीर्घकालिक समाधान और योजनाबद्ध कदम उठाने होंगे:
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हर शहर में पर्याप्त पशु शेल्टर और गौशालाएं बनानी होंगी।
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ब्रीडिंग कंट्रोल प्रोग्राम्स (Sterilization) को तेज़ी से लागू करना होगा।
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स्कूलों और समाज में पशु प्रबंधन को लेकर जागरूकता अभियान चलाने होंगे।
✨ निष्कर्ष: सुरक्षित सड़कों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश केवल एक कानूनी निर्देश नहीं, बल्कि नागरिक सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और पशु कल्याण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अगर प्रशासन और नागरिक मिलकर इस आदेश का पालन करते हैं, तो आने वाले महीनों में राजस्थान की सड़कों की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
अब जिम्मेदारी नगर निकायों और आम जनता दोनों की है कि वे इस अभियान को सफल बनाएं। सुरक्षित और स्वच्छ सड़कों का सपना तभी सच होगा जब हम सभी इसमें अपना योगदान देंगे।