गाँवों में साँप के काटने का बढ़ता खतरा: बचाव के तरीके और ज़रूरी लक्षण
बरसात का मौसम आते ही देश के कई ग्रामीण इलाकों में साँपों का खतरा तेजी से बढ़ने लगता है। खेतों, झाड़ियों, और यहाँ तक कि घरों के आस-पास भी साँपों का आना आम हो जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कई गाँवों में हर साल साँप के काटने के सैकड़ों मामले दर्ज होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कई बार यह खतरा जानलेवा साबित होता है।
किन-किन गाँवों में ज्यादा खतरा
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, और कुशीनगर जिलों के गाँवों में साँप के काटने की घटनाएं अधिक सामने आती हैं।
बिहार के सीतामढ़ी, कटिहार, दरभंगा और पूर्णिया जिलों में भी बरसात के समय साँपों की सक्रियता बढ़ जाती है।
राजस्थान के धौलपुर और भरतपुर इलाके में रसेल वाइपर और कोबरा जैसे जहरीले साँप अक्सर पाए जाते हैं।
इन इलाकों में खेतों में काम करने वाले किसान, लकड़ी बीनने वाली महिलाएं, और बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
कौन-कौन से साँप ज्यादा खतरनाक
ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर रसेल वाइपर, कोबरा, करैत और साँप की हरी प्रजाति ज्यादा देखी जाती हैं।
- रसेल वाइपर (Russell’s Viper) – सबसे ज्यादा जानलेवा, काटने पर तुरंत असर करता है।
- कोबरा – काटने पर तेज दर्द, सूजन और सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है।
- करैत – रात में हमला करता है, दर्द कम लेकिन असर घातक।
- हरी घास वाला साँप – ज्यादातर कम जहरीला, लेकिन डर और घाव से नुकसान हो सकता है।
साँप के काटने के लक्षण
साँप के काटने के बाद कुछ लक्षण तुरंत दिखाई देते हैं, जबकि कुछ धीरे-धीरे बढ़ते हैं।
- काटे गए स्थान पर सूजन और लालपन
- तेज दर्द या जलन
- चक्कर आना और कमजोरी महसूस होना
- सांस लेने में कठिनाई
- धुंधला दिखाई देना
- बेहोशी या उल्टी
यदि ये लक्षण दिखें, तो समय बर्बाद किए बिना तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं।
बचाव के तरीके
ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग पारंपरिक घरेलू इलाज करने लगते हैं, जो कई बार खतरनाक साबित होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बचाव और प्राथमिक उपचार के लिए ये कदम अपनाएं:
- रात में टॉर्च या लालटेन का इस्तेमाल करें ताकि रास्ते में साँप दिखाई दे सके।
- घर के आसपास की झाड़ियों और घास साफ रखें।
- सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें जिससे साँप बिस्तर में न घुस सके।
- खेत में काम करते समय मोटे जूते और दस्ताने पहनें।
- काटने के बाद घाव को न चूसें और न ही ब्लेड से काटें।
- तुरंत 108 एंबुलेंस या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
क्या न करें
- झाड़-फूंक, ताबीज या घरेलू नुस्खे पर भरोसा न करें।
- घाव को कसकर बांधना (टॉर्निकेट) खतरनाक हो सकता है।
- पीड़ित को दौड़ने या ज्यादा हिलने-डुलने न दें।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की पहल
कई राज्यों में स्वास्थ्य विभाग ने बरसात के मौसम में विशेष साँप से बचाव अभियान शुरू किए हैं। गाँवों में जागरूकता कार्यक्रम, पोस्टर, और स्कूलों में प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। कुछ जिलों में मोबाइल स्वास्थ्य वैन के जरिए एंटी-वेनम दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
गाँवों में साँप का खतरा मौसम के साथ बढ़ता है, लेकिन थोड़ी सावधानी और समय पर इलाज से जान बचाई जा सकती है। ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक करना और स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाना जरूरी है।
1. गाँवों में साँप के काटने का खतरा कब ज्यादा होता है?
बरसात के मौसम में, खासकर जून से सितंबर के बीच, साँप खेतों, झाड़ियों और घरों के पास ज्यादा दिखाई देते हैं, जिससे काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
2. कौन-कौन से साँप गाँवों में ज्यादा पाए जाते हैं?
गाँवों में रसेल वाइपर, कोबरा, करैत और हरा घास वाला साँप अधिक देखने को मिलते हैं। इनमें से रसेल वाइपर, कोबरा और करैत जहरीले होते हैं।
3. साँप के काटने के बाद तुरंत क्या करना चाहिए?
पीड़ित को शांत रखें, ज्यादा हिलने-डुलने न दें, घाव को पानी से हल्का साफ करें और तुरंत नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाएं।
4. क्या घरेलू नुस्खे या झाड़-फूंक से इलाज संभव है?
नहीं, घरेलू नुस्खे या झाड़-फूंक खतरनाक हो सकते हैं। केवल अस्पताल में उपलब्ध एंटी-वेनम दवा ही असरदार इलाज है।
5. साँप से बचाव के आसान तरीके क्या हैं?
घर और आसपास की झाड़ियों को साफ रखें, रात में टॉर्च का इस्तेमाल करें, खेत में मोटे जूते पहनें और सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
6. क्या हर साँप जहरीला होता है?
नहीं, सभी साँप जहरीले नहीं होते, लेकिन यह पहचानना मुश्किल होता है। इसलिए किसी भी साँप के काटने पर इसे गंभीरता से लेना जरूरी है।