भारत बहुत सारी भाषाओं वाला देश है। हमारे प्रधानमंत्री भी अलग-अलग भाषाओं में दक्ष रहे। इस लेख में हम हर प्रधानमंत्री और उनकी भाषाई क्षमता सरल भाषा में बताएंगे। छोटे वाक्य रखे गए हैं ताकि पढ़ना आसान हो।
प्रधानमंत्री जनता का प्रतिनिधि होते हैं। भाषा उनके लिए संप्रेषण का माध्यम है। किसी नेता की भाषा-क्षमता उसके जनसम्पर्क को प्रभावित करती है। कुछ नेताओं ने केवल दो भाषाएँ बोलीं। कुछ ने कई भाषाएँ सीखीं।
भारत के प्रधानमंत्रियों की भाषाएँ: नेहरू से मोदी तक
1. जवाहरलाल नेहरू (1947–1964)
नेहरू जी अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में कुशल थे। इंग्लैंड की पढ़ाई के कारण अंग्रेज़ी पर उनकी पकड़ मजबूत थी। भारत के मंचों पर वे दोनों भाषाओं में बोलते थे। उनके परिवार का रिश्ता कश्मीरी संस्कृति से भी जुड़ा था।
2. गुलज़ारीलाल नन्दा (कार्यवाहक)
नन्दा जी सरल और मिलनसार नेता थे। वो हिंदी और अंग्रेज़ी जानते थे। गुजरात से संबंध के कारण गुजराती भाषा भी परिचित थी।
3. लाल बहादुर शास्त्री (1964–1966)
शास्त्री जी का अंदाज बहुत साधारण था। वे हिंदी में जनता से जुड़ते थे। अंग्रेज़ी भी जानते थे। उनके शब्द छोटे और प्रभावी होते थे।
4. इंदिरा गांधी (1966–1984)
इंदिरा गांधी हिंदी और अंग्रेज़ी में निपुण थीं। विदेश में पढ़ाई के कारण अंग्रेज़ी मजबूत थी। कुछ स्रोतों में फ्रेंच का नाम भी मिलता है।
5. मोरारजी देसाई (1977–1979)
देवसाई जी की मातृभाषा गुजराती थी। वे हिंदी और अंग्रेज़ी में भी पकड़े हुए थे। मराठी की समझ भी थी। उनके भाषण अनुशासित और सटीक होते थे।
6. चरण सिंह (1979–1980)
चरण सिंह किसान-नेता थे। वे हिंदी में सहज थे। अंग्रेज़ी और उर्दू की भी जानकारी रखते थे। उनका बोलने का अंदाज सीधे-सादे शब्दों पर आधारित था।
7. राजीव गांधी (1984–1989)
राजीव जी युवा थे और आधुनिक शैली रखते थे। अंग्रेज़ी में उनका पराक्रम था। हिंदी भी वे प्रभावी ढंग से बोलते थे।
8. वी. पी. सिंह (1989–1990)
वी. पी. सिंह हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों इस्तेमाल करते थे। वे प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर इन भाषाओं का उपयोग करते थे।
9. चंद्रशेखर (1990–1991), पी. वी. नरसिम्हा राव(1991–1996)
चंद्रशेखर जी का भाषण सरल और जोशीला था। वे हिंदी और अंग्रेज़ी में बात करते थे।
राव जी के बारे में कहा जाता है कि वे 16–17 भाषाएँ जानते थे। उनकी मातृभाषा तेलुगु थी। इसके अलावा वे हिंदी, मराठी, तमिल, कन्नड़, बंगाली, गुजराती, उड़िया, संस्कृत और उर्दू जैसी भारतीय भाषाएँ जानते थे।
विदेशी भाषाओं में अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, अरबी और फारसी का भी जिक्र आता है। यह बहुभाषी कौशल उन्हें अलग बनाता है।
10. अटल बिहारी वाजपेयी (1996, 1998–2004)
वाजपेयी जी हिंदी के उस्ताद थे। वे कवि भी थे। हिंदी में उनका शिल्प और ओज अद्वितीय था। अंग्रेज़ी और संस्कृत का भी अच्छा ज्ञान था।
11. एच. डी. देवेगौड़ा (1996–1997)
देवेगौड़ा जी की मातृभाषा कन्नड़ है। वे हिंदी और अंग्रेज़ी भी बोलते थे। दक्षिणों की भाषाओं का भी उन्हें परिचय था।
12. आई. के. गुजराल (1997–1998)
गुजराल जी पंजाबी पृष्ठभूमि से थे। वे पंजाबी, हिंदी और अंग्रेज़ी में माहिर थे। उर्दू का भी ज्ञान था।
13. मनमोहन सिंह (2004–2014)
डॉ. मनमोहन सिंह विद्वान रहे हैं। वे पंजाबी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी जानते हैं। अंग्रेज़ी में उनकी पकड़ अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखी।
14. नरेंद्र मोदी (2014–वर्तमान)
नरेंद्र मोदी की मातृभाषा गुजराती है। वे हिंदी में धाराप्रवाह हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर अंग्रेज़ी का प्रयोग करते हैं। कई बार बताया गया है कि वे मराठी और उर्दू समझते भी हैं।
रुझान और महत्व
यह सूची बताती है कि ज्यादातर प्रधानमंत्रियों को कम-से-कम दो भाषाएँ आती थीं। हिंदी और अंग्रेज़ी सबसे सामान्य हैं। कुछ नेताओं ने स्थानीय भाषाओं पर जोर दिया। कुछ ने कई भाषाएँ सीख कर विविधता का परिचय दिया।
किसी नेता का "भाषा जानना" अलग-अलग अर्थ रखता है — बोलना, समझना, पढ़ना या लिखना। इतिहास और स्रोतों में वर्णन कभी-कभी अलग होता है। इसलिए यहाँ जो सूची दी गई है, वह सार्वजनिक रिकॉर्ड और भरोसेमंद रिपोर्टों पर आधारित सार है।
समापन विचार – भाषाओं का असली महारथी
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची में कई नेता भाषाओं के मामले में सक्षम रहे, लेकिन जब बहुभाषी क्षमता की बात आती है तो पी. वी. नरसिम्हा राव सबसे आगे नज़र आते हैं। वे सिर्फ राजनीति के ज्ञाता नहीं थे, बल्कि भाषाओं के भी सच्चे विद्वान थे। करीब 16–17 भाषाएँ जानने का दावा उनके नाम से जुड़ा है। उनकी यही खासियत उन्हें बाक़ी प्रधानमंत्रियों से अलग बनाती है।
भाषाओं के माध्यम से वे जनता से सीधा जुड़ पाते थे और विदेशी नेताओं से भी आत्मविश्वास के साथ संवाद करते थे। उनकी यह प्रतिभा भारत की सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक संबंधों को एक साथ जोड़ने का प्रतीक है। इस लिहाज़ से कहा जा सकता है कि हमारे प्रधानमंत्रियों की भाषाई कहानी में असली हीरो पी. वी. नरसिम्हा राव हैं।
अस्वीकरण
यह लेख सार्वजनिक और ऐतिहासिक स्रोतों पर आधारित सामान्य जानकारी देता है। कुछ भाषाओं की संख्याएँ और स्तर अलग स्रोतों में बदल सकती हैं। आधिकारिक रिकॉर्ड के लिए संबंधित जीवनी/सरकारी स्रोत देखें।