भारत में बढ़ती क्रॉनिक बीमारियाँ: महिलाओं पर असर और समाधान

0 Divya Chauhan

भारत में बढ़ती क्रॉनिक बीमारियाँ और महिलाओं पर असर: भारत में पिछले कुछ वर्षों में बीमारियों का रूप बदल रहा है। पहले लोग ज़्यादातर संक्रमण या कमज़ोरी से बीमार होते थे। अब हालात अलग हैं। दिल की बीमारी, शुगर, ब्लड प्रेशर, कैंसर और सांस से जुड़ी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं। इन्हें ही क्रॉनिक डिज़ीज़ या गैर-संचारी रोग कहा जाता है।

भारत में बढ़ती क्रॉनिक बीमारियाँ

क्रॉनिक बीमारी का मतलब है ऐसी बीमारी जो लंबे समय तक रहती है। यह धीरे-धीरे शरीर को कमज़ोर करती है। और कई बार मौत तक का कारण बन जाती है। भारत में इन बीमारियों से मौत के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि महिलाएँ भी इनसे बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।

भारत में क्रॉनिक बीमारियों की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई राष्ट्रीय सर्वे बताते हैं कि भारत में 60% से ज़्यादा मौतें अब क्रॉनिक बीमारियों से हो रही हैं।

  • दिल की बीमारी सबसे आगे है।
  • उसके बाद डायबिटीज़ और स्ट्रोक आते हैं।
  • कैंसर और फेफड़ों की बीमारियाँ भी लगातार बढ़ रही हैं।

पहले गाँवों में ऐसे मामले कम थे। लेकिन अब ग्रामीण इलाक़ों में भी ये रोग तेज़ी से फैल रहे हैं।

क्यों बढ़ रही हैं क्रॉनिक बीमारियाँ?

कई कारण हैं –

  • जीवनशैली में बदलाव – लोग अब ज़्यादा बैठकर काम करते हैं। शारीरिक मेहनत कम हो गई है।
  • खाने-पीने की आदतें – बाज़ार का खाना, तैलीय और मीठी चीज़ें ज़्यादा खाई जा रही हैं।
  • तनाव और नींद की कमी – नींद पूरी न होना और तनाव शरीर पर असर डालते हैं।
  • धूम्रपान और शराब – यह आदतें शरीर को अंदर से कमजोर करती हैं।
  • स्वास्थ्य जांच की कमी – लोग समय पर जांच नहीं कराते। बीमारी पकड़ में देर से आती है।

महिलाओं पर गहरा असर

महिलाओं में पहले प्रजनन स्वास्थ्य और कुपोषण की समस्या ज़्यादा मानी जाती थी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।

दिल की बीमारी महिलाओं में बढ़ी है

कई बार लोग सोचते हैं कि हार्ट अटैक सिर्फ़ पुरुषों में होता है। पर आँकड़े बताते हैं कि यह महिलाओं की मौत का भी बड़ा कारण है।

ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के अनुसार महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर के मामले पिछले सर्वे की तुलना में काफ़ी बढ़ गए हैं।

कैंसर का खतरा

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जांच कम होने की वजह से कैंसर अक्सर देर से पता चलता है।

देखभाल में कमी

बहुत सी महिलाएँ अपनी सेहत को प्राथमिकता नहीं देतीं। घर और बच्चों को पहले रखती हैं। इसी कारण बीमारी देर से पकड़ में आती है।

आँकड़ों से स्थिति

विषय स्थिति
हृदय रोग महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण
डायबिटीज़ महिलाओं में संख्या लगातार बढ़ रही है
ब्लड प्रेशर NFHS-5 में हाई ब्लड प्रेशर के मामले बढ़े
ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर बन गया है

महिलाओं की विशेष चुनौतियाँ

  • जागरूकता की कमी – बहुत सी महिलाएँ लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं।
  • समय की कमी – घर और नौकरी दोनों संभालने के कारण अपनी जांच नहीं करा पातीं।
  • सामाजिक बाधाएँ – गाँव और छोटे शहरों में महिलाओं का अस्पताल जाना आसान नहीं है।
  • पैसे की समस्या – परिवार की आय कम हो तो महिलाएँ अक्सर अपनी दवाइयों को टाल देती हैं।

क्या किया जा सकता है?

सरकार की भूमिका

हेल्थ कैंप और मुफ्त जांच ज़्यादा कराए जाएँ। महिलाओं के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलें। गाँव-गाँव में हेल्थ वर्कर को प्रशिक्षित किया जाए।

परिवार की भूमिका

घर के लोग महिलाओं को जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करें। स्वस्थ खाने और व्यायाम में साथ दें। बीमारी को छिपाने या हल्का समझने की आदत बदलें।

महिलाओं की जिम्मेदारी

साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराएँ। किसी भी असामान्य लक्षण को अनदेखा न करें। तंबाकू-शराब से दूर रहें। योग और व्यायाम नियमित रखें।

क्रॉनिक बीमारी और जीवनशैली सुधार

इन बीमारियों का सबसे बड़ा इलाज है रोकथाम।

सुबह-शाम थोड़ी देर टहलना भी फायदेमंद है।

तली हुई और मीठी चीज़ें कम करें।

मौसमी फल-सब्ज़ियाँ ज़्यादा खाएँ।

पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ।

रोज़मर्रा की छोटी आदतें ही बड़ा फर्क लाती हैं।

महिलाओं के लिए विशेष संदेश

महिलाएँ अक्सर अपने दर्द और तकलीफ़ को छिपा लेती हैं। लेकिन अब समय है कि अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। अगर आप स्वस्थ रहेंगी तो ही परिवार भी स्वस्थ रहेगा।

लेख को समेटते हुए

भारत में क्रॉनिक बीमारियाँ बढ़ रही हैं। यह अब सिर्फ़ शहरों तक सीमित नहीं रहीं। महिलाएँ इनसे गहराई से प्रभावित हो रही हैं। दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और कैंसर का खतरा बढ़ गया है।

समाधान है – जागरूकता, समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली। सरकार, समाज, परिवार और महिलाएँ – सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे।

एक छोटी बात अंत में

बीमारी के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें। छोटी जांच, समय पर इलाज और थोड़ी सावधानी से बड़ी मुसीबत से बचा जा सकता है। सेहत सबसे बड़ी पूँजी है, इसे संभालना हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. भारत में महिलाओं में सबसे ज़्यादा कौन-सी क्रॉनिक बीमारी होती है?
भारत में महिलाओं में सबसे ज़्यादा दिल की बीमारी (हृदय रोग) और हाई ब्लड प्रेशर पाई जाती है। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर और डायबिटीज़ भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
2. क्रॉनिक बीमारियों के लक्षण महिलाओं में कैसे दिखाई देते हैं?
  • लगातार थकान रहना
  • सिरदर्द या चक्कर आना
  • दिल की धड़कन तेज़ होना
  • पैरों में सूजन
  • बार-बार पेशाब आना और प्यास लगना
  • वजन तेजी से बढ़ना या घटना

इनमें से कोई भी लक्षण नज़र आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

3. क्या क्रॉनिक बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है?
ज़्यादातर क्रॉनिक बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर या دل की बीमारी लंबे समय तक रहती हैं। लेकिन नियमित दवाइयों, सही खानपान और व्यायाम से इन्हें कंट्रोल किया जा सकता है। समय पर इलाज मिलने से जीवन लंबा और स्वस्थ रह सकता है।
4. महिलाएँ क्रॉनिक बीमारी से बचाव के लिए क्या करें?
  • रोज़ाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलें या योग करें।
  • संतुलित और घर का बना खाना खाएँ।
  • मीठा और तैलीय खाना कम लें।
  • तनाव को कम करें और नींद पूरी लें।
  • साल में एक बार ज़रूरी स्वास्थ्य जांच कराएँ।
5. क्या ग्रामीण इलाकों में भी क्रॉनिक बीमारियाँ बढ़ रही हैं?
हाँ, अब गाँवों में भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और दिल की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण है कम शारीरिक मेहनत, बदलता खानपान और जांच की कमी।
6. महिलाओं को कौन-कौन सी जांच समय-समय पर करवानी चाहिए?
  • ब्लड प्रेशर और शुगर टेस्ट
  • कोलेस्ट्रॉल लेवल
  • ब्रेस्ट कैंसर की जांच (मैमोग्राफी या क्लिनिकल चेक)
  • सर्वाइकल कैंसर की जांच (पैप स्मीयर)
  • हड्डियों की जांच (कैल्शियम और बोन डेंसिटी, खासकर 40 साल के बाद)
7. क्या क्रॉनिक बीमारी से मरने का खतरा भारत में बढ़ रहा है?
जी हाँ। हाल के आंकड़े बताते हैं कि भारत में मौत के ज़्यादातर मामले अब क्रॉनिक बीमारियों से हो रहे हैं। महिलाओं में दिल की बीमारी और कैंसर मौत का बड़ा कारण बन रहे हैं।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा योग्य डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लें।

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