Jolly LLB 3 Review: अक्षय-अरशद की टक्कर, सौरभ शुक्ला छा गए!

0 Divya Chauhan
Jolly LLB 3 Movie Review in Hindi


जॉली एलएलबी 3 रिव्यू — क्या ये फिल्म देखने लायक है?

जॉली एलएलबी फ्रेंचाइज़ी ने पहले दो पार्ट में दर्शकों का ध्यान खींचा था। तीसरा भाग भी उसी फॉर्मूले पर आता है। इसमें कोर्टरूम ड्रामा है। साथ में कॉमेडी और सामाजिक मुद्दे भी दिखाई देते हैं। इस बार अक्षय कुमार और अरशद वारसी दोनों की मौजूदगी दिलचस्प है। फिल्म का टोन हल्का-गंभीर है। मतलब मनोरंजन और संदेश दोनों मिलते हैं।

कहानी का सार (स्पॉयलर-फ्री)

कहानी एक किसान की जिंदगी से शुरू होती है। उसकी जमीन पर कई शक्तिशाली लोग नजर देते हैं। जमीन लेना ही मकसद नहीं होता। पीछे बड़ी राजनीतिक और कॉरपोरेट ताकतें जुड़ी होती हैं। किसान अपना हक पाने के लिए कोर्ट जाता है।

केस में दो अलग तरह के वकील आते हैं। एक है तेज तर्रार, आधुनिक अंदाज वाला वकील। दूसरे का अंदाज सादा और भावुक है। दोनों के बीच भिड़ंत और कोर्टरूम के बहस वाले सीन फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं। साथ में जज का किरदार भी कहानी को दिशा देता है।

कहानी सीधी है लेकिन बीच-बीच में सामाजिक सवाल उठाती है। न्याय व्यवस्था, मीडिया और पावर-स्ट्रक्चर पर भी असरदार टिप्पणियां हैं। फिल्म का टाइटल और सीन कई बार हल्की-सी चुटकी भी लेते हैं, जिससे सनकी अन्दाज़ बनता है।

अभिनय — कौन कितना जंचा?

अक्षय कुमार

अक्षय ने उतनी शानदार कास्टिंग की है जितना उम्मीद थी। उनका किरदार आत्मविश्वास से भरा है। कॉमेडी और गंभीरता दोनों में वे सहज दिखते हैं। पर कई बार उनका अभिनय थोड़ा परफॉर्मेटिव लग सकता है। बड़े ऑडियंस वाले सीन में वे अपना कम्फर्ट जोन दिखाते हैं।

अरशद वारसी

अरशद इस फ्रैंचाइज़ी की जान रहे हैं। उनकी मासूमियत और कॉमिक टच देखने लायक है। इस बार उनका किरदार भावुक भी है। हालांकि कोई-कुछ समीक्षक कहते हैं कि उनका स्क्रीन टाइम थोड़ा कम पड़ गया। फिर भी जब भी वे दिखाई देते हैं, सीन मजबूत बन जाते हैं।

सौरभ शुक्ला

सौरभ शुक्ला ने फिर से जज का रोल असरदार बना दिया है। उनका अंदाज, आवाज़ और बयानी टोन सीन में खनक लाते हैं। कई बार वही सीन फिल्म के सबसे यादगार पल बनाते हैं।

सह-कलाकार

ह्यूमा कुरैशी और अमृता राव जैसे कलाकार छोटे पर असरदार रोल निभाते हैं। कम स्क्रीन टाइम के बावजूद वे कहानी को आगे ले जाते हैं। सपोर्टिंग कैस्ट का काम कुल मिला कर अच्छा है।

निर्देशन और लेखन

निर्देशक सुभाष कपूर ने कोशिश की है कि सामाजिक मुद्दे और मनोरंजन दोनों साथ रहें। कई सीन में यह संतुलन बनता भी है। मगर कभी-कभी फिल्म संदेश देने की कोशिश में थोड़ा भारी हो जाती है।

स्क्रिप्ट सीधी रहती है। ट्विस्ट ज्यादा जटिल नहीं। इससे फायदा ये हुआ कि आम दर्शक आसानी से जुड़ जाते हैं। नुकसान ये है कि अनुभव उन लोगों को उतना नया नहीं लगेगा जो क्रिएटिव सस्पेंस चाहते हैं।

डायरेक्शन का बड़ा प्लस यह है कि कोर्टरूम सीन जीवंत हैं। एडिटिंग थोड़ी टाइट होती तो फिल्म और प्रभावी बनती।

म्यूज़िक और तकनीकी पहलू

म्यूज़िक औसत है। कुछ गाने ठीक हैं, बाकी कुछ ज़बरदस्ती लगे। बैकग्राउंड स्कोर कोर्ट सीन और इमोशन में मदद करता है। साउंड डिज़ाइन क्लियर है। कैमरा वर्क साधारण है पर फिल्म के मूड को बनाए रखता है।

उत्पादन मूल्य (production value) ठीक है। लोकेशंस और सेट्स असलियत का आभास कराते हैं। कुल मिलाकर टेक्निकल टीम ने बेसिक लेवल पर अच्छा काम किया है।

खूबियां
  • पावरफुल परफॉरमेंस विशेषकर सौरभ शुक्ला।
  • अक्षय-अरशद की केमिस्ट्री और कोर्टरूम टकराव।
  • सामाजिक संदेश और हल्की कॉमेडी का संतुलन।
  • डायलॉग्स कई जगह असर करते हैं।
कमियाँ
  • पहला हाफ धीमा और खिंचाव महसूस होता है।
  • कहानी में नया ट्विस्ट कम है।
  • कुछ गाने कहानी के साथ फिट नहीं बैठते।
  • अरशद का स्क्रीन टाइम और बेहतर हो सकता था।

क्रिटिक्स की रेटिंग

स्रोत रेटिंग
Times of India 3.5 / 5
Outlook India 2.5 / 5
The Indian Express 2 / 5
औसत रेटिंग लगभग 3 / 5

दर्शकों की प्रतिक्रिया

दर्शक मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग कोर्टरूम सीन और डायलॉग्स की तारीफ कर रहे हैं। कई दर्शक सौरभ शुक्ला के अभिनय के बड़े प्रशंसक बन गए हैं। दूसरी ओर, कुछ दर्शकों को लगा कि फिल्म पिछली फिल्मों जितनी दमदार नहीं है।

सोशल मीडिया पर भी बातें चल रही हैं। जो दर्शक हल्की-फुल्की सामाजिक फिल्मों को पसंद करते हैं, उन्हें फिल्म अच्छी लग रही है। जो ज्यादा सस्पेंस या तेज़ तर्क चाहते हैं, वे थोड़ा निराश हैं।

पिछले पार्ट्स से तुलना

जॉली एलएलबी 1 ने फ्रैंचाइज़ी को स्थापित किया। कहानी और ताजा आइडिया ने दर्शकों को जोड़ा।
जॉली एलएलबी 2 ने गंभीरता और बड़े पैमाने पर कथानक दिखाया। अक्षय कुमार ने नयी डाइमेंशन दी।
जॉली एलएलबी 3 दोनों का मिश्रण है। पर तीसरे में नया पन्ना उतना चमकदार नहीं है जितना पहले के हिस्सों में था।

देखनी चाहिए या नहीं?

अगर आप कोर्टरूम ड्रामा, हल्की कॉमेडी और सामाजिक संदेश पसंद करते हैं, तो जॉली एलएलबी 3 आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगी। फिल्म में मजबूत प्रदर्शन हैं। खासकर सौरभ शुक्ला की उपस्थिति फिल्म को एक अलग वजन देती है।

पर अगर आप तेज़ थ्रिलर, नए प्लॉट ट्विस्ट और कम लंबाई वाली फिल्म उम्मीद करते हैं, तो यह फिल्म थोड़ी धीमी लग सकती है। पहले हाफ में गति का मुद्दा है।

मेरी राय: एक बार देखनी चाहिए — खासकर थिएटर में। (रेटिंग: 3 / 5)

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