कोलकाता डूबा: रिकॉर्ड बारिश से सड़कों पर बाढ़, मौतें, बिजली गुल और दुर्गा पूजा पर संकट

0 Divya Chauhan
कोलकाता में रिकॉर्ड बारिश से सड़कें जलमग्न, गाड़ियाँ डूबीं और लोग पानी में फँसे


कोलकाता में सोमवार रात से शुरू हुई लगातार भारी बारिश ने पूरे शहर की रफ्तार रोक दी है। लोग सुबह उठे तो देखा कि सड़कें नदी जैसी बन चुकी हैं। गाड़ियाँ डूब गईं, बसें और टैक्सियाँ रुक गईं और लोग पैदल ही कमर तक पानी में रास्ता तय करने को मजबूर हो गए। प्रशासन ने माना कि यह बारिश पिछले कई दशकों की सबसे भारी बारिश में से एक है।


भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में 24 घंटे के भीतर 300 मिलीमीटर से अधिक पानी बरसा। गरिया कमदहारी क्षेत्र में सबसे अधिक 332 मिमी बारिश दर्ज की गई। जाधवपुर, कलिघाट और टॉपसिया जैसे इलाके भी पूरी तरह पानी में डूब गए। इस तेज बारिश ने शहर के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी। नालियाँ पानी निकालने में नाकाम रहीं और पूरा महानगर जलमग्न हो गया।


इस आपदा ने लोगों की जान भी ली। अलग-अलग हादसों में सात लोगों की मौत हो गई। इनमें से तीन लोग बिजली के करंट की चपेट में आ गए। एक व्यक्ति की मौत गिरे हुए पेड़ से हुई। बाकी लोग अलग-अलग घटनाओं में मारे गए। इन हादसों ने शहरवासियों में दहशत फैला दी। लोग अब खुले तारों और बिजली के खंभों के पास जाने से डर रहे हैं।




सड़कें पूरी तरह जलमग्न होने से यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई। बेहाला, कस्बा, गरियाहाट और पार्क स्ट्रीट जैसे इलाके कमर तक पानी में डूब गए। सैकड़ों गाड़ियाँ और बाइकें पानी में बंद हो गईं। लोगों ने बताया कि गाड़ियों को धक्का लगाकर निकालना पड़ा। घंटों ट्रैफिक जाम में फँसे यात्री प्रशासन को कोसते दिखे। कई लोग दफ्तर पहुँच ही नहीं पाए और जो पहुँचे भी, वे देर शाम तक घर लौटने में फँसे रहे।


कोलकाता की शान मानी जाने वाली मेट्रो भी इस बार बारिश के सामने टिक नहीं पाई। कई अंडरग्राउंड स्टेशनों में पानी घुस जाने के कारण सेवाएँ बंद करनी पड़ीं। लाखों यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। उपनगरीय ट्रेनों पर भी असर पड़ा और कई गाड़ियाँ घंटों लेट हुईं। कुछ ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ा।


बिजली कटौती ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी। करंट लगने के डर से कई इलाकों की बिजली काट दी गई। बेहाला, टालीगंज और कस्बा के लोग पूरी रात अंधेरे में बैठे रहे। बिजली न होने से मोबाइल चार्ज करना और इंटरनेट का इस्तेमाल करना भी संभव नहीं रहा। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ी।


इस बीच कोलकाता में दुर्गा पूजा की तैयारियाँ भी इस बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुईं। कई पंडालों में पानी भर गया। सजावट और लाइटें खराब हो गईं। मूर्तियों को भी नुकसान पहुँचा है। आयोजकों ने कहा कि इतने सालों में पहली बार दुर्गा पूजा से पहले इतनी बड़ी मुसीबत आई है। पूजा से पहले का उत्साह फीका पड़ गया है और अब आयोजक दिन-रात पानी निकालने और मरम्मत में लगे हैं।


बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कई स्कूलों को बंद कर दिया गया। निजी और सरकारी दोनों ही स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा की। ऑफिस जाने वाले लोग भी ज्यादातर घर से काम करने को मजबूर हुए। जिन लोगों ने बाहर निकलने की कोशिश की, वे घंटों पानी और जाम में फँसे रहे।


बारिश का असर हवाई सेवाओं पर भी पड़ा। एयरपोर्ट पर कई फ्लाइट्स देर से उड़ीं और कुछ को रद्द करना पड़ा। एयरलाइंस ने यात्रियों को समय से पहले पहुँचने और मौसम की जानकारी लेते रहने की सलाह दी। सड़क, रेल और हवाई तीनों यातायात साधन इस बारिश से प्रभावित हुए।


कोलकाता डूबा: रिकॉर्ड बारिश से सड़कों पर बाढ़

शहर के निचले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। कालीघाट, कस्बा, टॉपसिया, गरियाहाट और बेहाला जैसे क्षेत्रों में घरों के अंदर तक पानी भर गया। लोगों ने ऊपरी मंजिलों में शरण ली। दुकानों और घरों का सामान पूरी तरह खराब हो गया। कई लोगों ने कहा कि हर साल बारिश में यही हाल होता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता।


बारिश ने आम लोगों की जिंदगी रोक दी। दूध, सब्जी और दवाइयों की सप्लाई बाधित हुई। लोग गली-मोहल्लों में नाव या ट्रॉली से जरूरी सामान लाते रहे। बच्चों और बुजुर्गों के लिए हालात सबसे कठिन बने रहे। कई परिवारों ने बताया कि वे चौबीस घंटे से बिजली और नेटवर्क के बिना फँसे हुए हैं।


नगर निगम और प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किए हैं। पानी निकालने के लिए पंपिंग स्टेशन लगाए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस ने कई सड़कों पर डायवर्जन किया है। नाव और ट्रक की मदद से लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाया गया है। लेकिन लोगों का कहना है कि राहत कार्य बहुत धीमा है और पर्याप्त नहीं है।


भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि यह मुश्किल अभी खत्म नहीं हुई है। अगले दो से तीन दिनों तक और बारिश हो सकती है। दक्षिण बंगाल के जिलों में स्थिति और बिगड़ सकती है। विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और अनावश्यक बाहर न निकलने की सलाह दी है।


सोशल मीडिया पर लोग अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कई लोगों ने सरकार और नगर निगम की आलोचना की। किसी ने लिखा कि हर साल यही हाल होता है और कोई समाधान नहीं निकलता। कुछ ने कहा कि त्योहार से पहले ऐसी बारिश ने सारी खुशियाँ छीन लीं। बारिश की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।


व्यापारियों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। दुकानों में पानी घुस जाने से कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक सामान खराब हो गए। छोटे दुकानदारों ने कहा कि उनकी सालभर की कमाई पर पानी फिर गया।


लोगों का मानना है कि अगर नालियाँ समय पर साफ की जातीं तो हालात इतने बिगड़ते नहीं। पानी निकलने का रास्ता बंद हो गया और कई पंपिंग स्टेशन भी काम नहीं कर रहे थे। बारिश के साथ-साथ गंदगी और बदबू ने लोगों का जीना और मुश्किल कर दिया।


स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। जलभराव के कारण डेंगू और मलेरिया के मच्छर पनप सकते हैं। गंदा पानी घरों तक पहुँच गया है, जिससे संक्रमण फैलने का डर है। डॉक्टरों ने लोगों को उबला हुआ पानी पीने और बाहर का खाना न खाने की सलाह दी है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए खास सतर्कता बरतने को कहा गया है।


पश्चिम बंगाल सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया है। मृतकों के परिवार को मुआवजा दिया जाएगा। प्रभावित इलाकों में राहत शिविर बनाए जाएँगे। नगर निगम को सफाई और पंपिंग कार्य तेज करने का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हालात पर लगातार नज़र रखी जा रही है।


Kolkata Heavy Rainfall


विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि बिजली के खंभों और गीले तारों से दूर रहें, पानी में चलते समय डंडे से रास्ता जाँचें और बच्चों को बाहर न निकलने दें। उबला हुआ पानी पीने और मोबाइल को चार्ज करके रखने की भी सलाह दी गई है।


कोलकाता की यह बारिश सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि शहर की कमजोर व्यवस्था का आईना भी है। थोड़ी सी ज्यादा बारिश में ही पूरा शहर ठप हो जाता है। हर साल लोग यही हाल झेलते हैं, लेकिन समाधान कहीं नजर नहीं आता। अब समय आ गया है कि प्रशासन स्थायी उपाय करे, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।

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