केरल ने रचा इतिहास: भारत का पहला राज्य बना गरीबी मिटाने वाला

0 Divya Chauhan
केरल बना भारत का पहला राज्य जिसने अत्यधिक गरीबी खत्म की


भारत में गरीबी पर बात होती है तो कई बार आंकड़े और बहसें सुनाई देती हैं, लेकिन शायद ही कभी ऐसा अवसर आता है जब किसी राज्य ने ठोस रूप से कहा हो – “हमने अत्यधिक गरीबी खत्म कर दी है।” और यही किया है केरल ने। यह दक्षिण भारतीय राज्य अब आधिकारिक रूप से भारत का पहला राज्य बनने जा रहा है जिसने “extreme poverty” यानी अत्यधिक गरीबी को पूरी तरह मिटा दिया है।


राज्य सरकार ने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 को, केरल के स्थापना दिवस पर, इस उपलब्धि की औपचारिक घोषणा की जाएगी।


मुख्य तथ्य:
  • केरल ने 64,006 अत्यधिक गरीब परिवारों की पहचान की थी।
  • राज्य का दावा है कि अब सभी को बुनियादी जरूरतें — भोजन, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा — मिल रही हैं।
  • केरल अब “अत्यधिक गरीबी-मुक्त” राज्य कहलाएगा।

अत्यधिक गरीबी क्या होती है?

“अत्यधिक गरीबी” का मतलब केवल कम आय नहीं होता। यह वह स्थिति होती है जहां व्यक्ति या परिवार के पास अपनी मूलभूत आवश्यकताओं — जैसे खाना, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कपड़े और घर — को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।


विश्व बैंक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रति दिन $2.15 (लगभग ₹180) से कम पर जीवनयापन कर रहा है, तो उसे अत्यधिक गरीब कहा जा सकता है। लेकिन केरल ने अपनी परिभाषा को और व्यापक बनाया है। उसने गरीबी को केवल आय के नजरिए से नहीं, बल्कि बहुआयामी संकेतकों (multidimensional indicators) से मापा — जैसे शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य की पहुँच, आवास की स्थिति और सामाजिक सुरक्षा।


केरल ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की?

इस सफलता के पीछे एक लंबी योजना और राजनीतिक इच्छाशक्ति है। केरल सरकार ने 2021 में “Extreme Poverty Eradication Project” शुरू किया था, जिसका लक्ष्य था हर परिवार को मूलभूत जरूरतें उपलब्ध कराना।


1. परिवारों की पहचान

सबसे पहले पूरे राज्य में एक विशाल सर्वे कराया गया। इस सर्वे में 64,006 परिवारों को अत्यधिक गरीब के रूप में चिन्हित किया गया। इनमें वे लोग थे जिनके पास न घर था, न स्थायी आय, न शिक्षा की सुविधा।


2. माइक्रो-प्लान तैयार किए गए

हर परिवार के लिए माइक्रो-प्लान बनाया गया — यानी हर परिवार की जरूरत के हिसाब से अलग रणनीति। किसे घर चाहिए, किसे नौकरी प्रशिक्षण, किसे स्वास्थ्य बीमा, किसे शिक्षा — यह सब अलग-अलग तय हुआ। फिर स्थानीय निकायों (पंचायतों) और स्वयंसेवी संस्थाओं को इसमें शामिल किया गया।


3. शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान

केरल ने पहले से ही शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश किया हुआ था। राज्य में साक्षरता दर 96% से अधिक है और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत है। इसी आधार ने गरीबी उन्मूलन को टिकाऊ बनाया।


4. स्थानीय भागीदारी

हर वार्ड और पंचायत को जिम्मेदारी दी गई कि वे अपने क्षेत्र के अत्यधिक गरीब परिवारों की स्थिति सुधारें। लोगों की जरूरतें समझकर योजनाएँ बनाई गईं और उनका रिकॉर्ड रखा गया। यह “people-centric model” यानी जनता की भागीदारी वाला मॉडल था।


मुख्य पहलविवरण
सर्वेक्षणराज्य-स्तर पर घर-घर जाकर डेटा एकत्र किया गया
माइक्रो-प्लानहर परिवार की अलग जरूरत के अनुसार योजना
सहभागितास्थानीय निकाय + स्वयंसेवी संस्थाएं + राज्य विभाग
परिणाम64,006 परिवारों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया

सरकार और अधिकारियों का कहना

राज्य के स्थानीय प्रशासन मंत्री M. B. Rajesh ने कहा:


“यह हमारे राज्य के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण है। केरल ने यह साबित किया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की भागीदारी से अत्यधिक गरीबी को समाप्त किया जा सकता है।”


मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी कहा कि यह उपलब्धि केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है — “यह एक मानवीय क्रांति है, जो विकास की असली परिभाषा दिखाती है।”


किन योजनाओं से मिला सहारा?

राज्य ने गरीबी मिटाने के लिए कई योजनाओं को मिलाकर काम किया:

  • Life Mission: बेघर परिवारों को घर देने का कार्यक्रम।
  • Kudumbashree Mission: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सूक्ष्म-ऋण के जरिए आजीविका देने की योजना।
  • Public Distribution System (PDS): खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
  • Kerala Social Security Pension: वृद्ध, दिव्यांग और विधवा वर्ग को आर्थिक सुरक्षा।
  • Comprehensive Health Insurance Scheme: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच आसान बनाई गई।

इन योजनाओं को एक-दूसरे से जोड़कर लागू किया गया ताकि किसी गरीब परिवार की जरूरत छूट न जाए।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना

केरल अब न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी एक उदाहरण बन रहा है। World Bank और UNDP जैसी एजेंसियों ने केरल के इस मॉडल को “मानव-केंद्रित विकास” कहा है। दुनिया में फिलहाल केवल कुछ ही देश (जैसे Costa Rica और Finland) हैं जिन्होंने ऐसे मानदंड हासिल किए हैं।


क्या यह पूरी तरह गरीबी-मुक्त हो गया है?

यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि केरल में गरीबी पूरी तरह खत्म हो गई है। राज्य ने केवल “अत्यधिक गरीबी” मिटाने का दावा किया है — यानी जो लोग सबसे निचले स्तर पर थे, वे अब बुनियादी जरूरतें पा चुके हैं। लेकिन सामान्य गरीबी (moderate poverty) अभी भी मौजूद है।


फिर भी, यह एक बड़ी सामाजिक जीत है क्योंकि इसने यह साबित किया कि निरंतर नीतियां और स्थानीय भागीदारी से असंभव दिखने वाला लक्ष्य भी संभव है।


चुनौतियाँ जो अभी बाकी हैं

  • कुछ परिवार अब भी सामाजिक-आर्थिक हाशिए पर हैं।
  • बेघर और प्रवासी मजदूरों तक पहुँचना मुश्किल रहा।
  • जलवायु परिवर्तन और बाढ़ जैसी आपदाएँ गरीबी को फिर बढ़ा सकती हैं।
  • गरीबी से बाहर निकले लोगों के लिए स्थायी रोज़गार सुनिश्चित करना होगा।

अन्य राज्यों के लिए सबक

केरल का मॉडल दूसरे राज्यों के लिए एक मजबूत उदाहरण है। यह दिखाता है कि अगर शासन, समाज और नागरिक साथ काम करें तो गरीबी जैसी चुनौती से लड़ा जा सकता है।


अन्य राज्यों को चाहिए कि वे भी अपने स्तर पर बहुआयामी गरीबी मापें — सिर्फ आय नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को भी शामिल करें। इसके साथ ही, ग्राम पंचायत स्तर पर गरीबी उन्मूलन समितियाँ बनाना भी प्रभावी हो सकता है।


भारत पर इसका असर

भारत में अब भी लगभग 12% आबादी बहुआयामी गरीबी में जी रही है। अगर केरल का मॉडल सफल साबित हुआ, तो यह राष्ट्रीय गरीबी नीति को भी दिशा दे सकता है। यह दिखाता है कि आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक नीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है।


जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोग केरल सरकार की तारीफ कर रहे हैं। #KeralaModel और #PovertyFreeKerala ट्रेंड कर रहे हैं। कई लोगों ने लिखा — “भारत को अब केरल से सीखना चाहिए।” कुछ ने कहा कि “यह आंकड़ों की जीत से ज्यादा मानवता की जीत है।”


भविष्य की योजनाएँ

सरकार अब “गरीबी के बाद के चरण” पर ध्यान दे रही है — यानी जो परिवार गरीबी से बाहर निकले हैं, उन्हें स्थायी आय और शिक्षा के अवसर देने की योजना। इसके लिए Skill Kerala Mission और Digital Empowerment Program चलाए जाएंगे।


निष्कर्ष

केरल ने एक नया इतिहास रचा है। भारत के सामाजिक विकास में यह एक मील का पत्थर है — क्योंकि यह पहली बार है जब किसी राज्य ने ठोस आंकड़ों के साथ कहा है कि “अब हमारे यहाँ कोई अत्यधिक गरीब नहीं।”


यह सिर्फ एक राज्य की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के लिए एक प्रेरणा है। केरल ने यह दिखा दिया कि जब नीति, नीयत और जनता साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।


संक्षेप में:
  • 64,006 परिवारों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया।
  • 1 नवंबर 2025 को आधिकारिक घोषणा होगी।
  • केरल ने शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय भागीदारी से यह लक्ष्य पाया।
  • अब बाकी भारत के लिए यह प्रेरणा का स्रोत है।

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