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बढ़ती उम्र के साथ शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। 60 साल के बाद ये बदलाव और तेज़ हो जाते हैं। इसी वजह से बुजुर्गों को कई तरह की बीमारियों का खतरा भी ज़्यादा होता है। ज़्यादातर मामलों में ये बीमारियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं और शुरू में इनके लक्षण भी साफ़ नहीं दिखते। लेकिन अगर समय पर जांच करा ली जाए, तो इन बीमारियों को शुरुआती स्टेज पर ही रोका जा सकता है।
इसीलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर बुजुर्ग व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार पूरा हेल्थ चेकअप ज़रूर कराना चाहिए। इससे शरीर की हालत का पता चलता है, बीमारियों को समय पर पकड़ा जा सकता है और इलाज आसान हो जाता है।
अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग हैं या आप खुद 60 साल से ऊपर हैं, तो आज का यह लेख ज़रूर पढ़िए। इसमें हम बात करेंगे उन 5 ज़रूरी हेल्थ चेकअप्स के बारे में जो हर बुजुर्ग को हर साल कराना चाहिए और जानेंगे कि ये क्यों इतने ज़रूरी हैं।
60 साल के बाद शरीर के अंदर कई बदलाव होते हैं। ब्लड टेस्ट से हमें शरीर की अंदरूनी स्थिति के बारे में सही जानकारी मिलती है। बहुत सी बीमारियों के शुरुआती संकेत खून में ही दिखाई देने लगते हैं।
ब्लड टेस्ट से इन समस्याओं का जल्दी पता लगाया जा सकता है:
- बुजुर्गों में डायबिटीज़
- कोलेस्ट्रॉल
- थायरॉयड
- लिवर और किडनी की गड़बड़ी
- संक्रमण या खून की कमी
- फास्टिंग ब्लड शुगर और HbA1c: इससे पता चलता है कि शरीर में शुगर का स्तर सामान्य है या नहीं।
- लिपिड प्रोफाइल: यह टेस्ट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को दिखाता है। ज्यादा कोलेस्ट्रॉल हार्ट डिज़ीज़ का कारण बन सकता है।
- CBC (Complete Blood Count): इससे खून की गुणवत्ता और इम्यून सिस्टम की ताकत का पता चलता है।
- LFT और KFT: ये टेस्ट लिवर और किडनी के सही काम करने की जानकारी देते हैं।
ब्लड टेस्ट जल्दी, सस्ता और आसान होता है। कई बार सिर्फ इसी जांच से बड़ी बीमारी का पता चल जाता है। इसलिए इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
60 साल के बाद हार्ट डिज़ीज़ का खतरा सबसे ज़्यादा बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और तनाव जैसे कारण दिल को कमजोर कर सकते हैं। कई बार हार्ट डिज़ीज़ बिना किसी लक्षण के भी बढ़ती रहती है।
अगर समय रहते जांच कर ली जाए, तो दिल से जुड़ी गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है।
- ECG (Electrocardiogram): यह जांच दिल की धड़कन और लय में किसी गड़बड़ी का पता लगाती है।
- इकोकार्डियोग्राफी: इससे दिल की कार्यक्षमता और वाल्व की स्थिति पता चलती है।
- ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग: हाई बीपी बुजुर्गों में आम है। इसे नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है।
हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसे मामले अक्सर अचानक होते हैं। लेकिन अगर हार्ट की नियमित जांच कराई जाए तो इनका खतरा काफी कम किया जा सकता है।
उम्र के साथ आंखों और कानों की क्षमता कम होने लगती है। बहुत से बुजुर्गों को आंखों से साफ़ नहीं दिखता या आवाज़ सुनने में परेशानी होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे सामान्य मान लिया जाए।
नियमित जांच से ऐसी समस्याओं को शुरुआती स्टेज पर ही पहचाना जा सकता है।
- विजन टेस्ट: देखने की क्षमता की जांच करता है।
- रेटिना स्कैन: आंखों के अंदरूनी हिस्से की स्थिति दिखाता है। इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों का जल्दी पता चल जाता है।
- ऑडियोमेट्री टेस्ट: सुनने की क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। इससे सुनने में कमी को समय रहते पहचाना जा सकता है।
बुजुर्गों में हड्डियों का कमजोर होना एक आम समस्या है। खासकर महिलाओं में 50 के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। कमजोर हड्डियां आसानी से टूट जाती हैं और चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है।
बोन डेंसिटी टेस्ट (DEXA स्कैन) से हड्डियों की मजबूती का पता लगाया जा सकता है। अगर समय रहते हड्डियों की कमजोरी का पता चल जाए, तो डाइट, सप्लिमेंट्स या दवाइयों से इसे रोका जा सकता है।
- कैल्शियम और विटामिन D का पर्याप्त सेवन करें।
- रोज़ाना हल्की एक्सरसाइज करें।
- धूप में थोड़ा समय बिताएं।
- धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
हड्डियां कमजोर हों तो गिरने से फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बोन हेल्थ की जांच बहुत ज़रूरी है।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो अगर शुरुआती स्टेज में पकड़ी जाए तो आसानी से इलाज हो सकता है। लेकिन अगर देर हो जाए तो इलाज मुश्किल और महंगा हो जाता है।
60 साल के बाद कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए नियमित स्क्रीनिंग बहुत जरूरी होती है।
- कोलोनोस्कोपी: आंतों के कैंसर की जांच।
- PSA टेस्ट: पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के लिए।
- मैमोग्राफी और पैप स्मीयर: महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के लिए।
कैंसर स्क्रीनिंग जीवन बचा सकती है। इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
ऊपर बताए गए पांच टेस्ट सबसे जरूरी हैं, लेकिन कुछ और जांचें भी हैं जो बुजुर्गों के लिए उपयोगी हो सकती हैं:
- डेंटल चेकअप: दांतों और मसूड़ों की सेहत के लिए।
- सुनने और बोलने की क्षमता जांच: अगर बार-बार सुनने में दिक्कत हो।
- मेमोरी और मानसिक स्वास्थ्य जांच: डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर के शुरुआती लक्षण पकड़ने में मदद करती है।
केवल जांच कराना ही काफी नहीं है। अच्छी सेहत के लिए जीवनशैली में बदलाव भी ज़रूरी हैं।
- हर दिन हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें।
- संतुलित और पौष्टिक खाना खाएं।
- नींद पूरी लें।
- तनाव से बचें और खुश रहने की कोशिश करें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
बुजुर्गों के लिए हर साल हेल्थ चेकअप कराना एक निवेश की तरह है। इससे शरीर में चल रही छोटी-छोटी गड़बड़ियों का समय पर पता लगाया जा सकता है। बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है और इलाज आसान हो जाता है।
ब्लड टेस्ट, हार्ट चेकअप, आंख-कान की जांच, बोन डेंसिटी और कैंसर स्क्रीनिंग – ये पांच जांचें हर बुजुर्ग के लिए ज़रूरी हैं। इन्हें टालना सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
अगर आप चाहते हैं कि आपके माता-पिता या दादा-दादी लंबा और स्वस्थ जीवन जीएं, तो उनके लिए हर साल इन जांचों को रूटीन का हिस्सा बना दें। डॉक्टर से समय-समय पर सलाह लेते रहें और किसी भी छोटे लक्षण को नजरअंदाज न करें।
| चेकअप | क्या शामिल है | आवृत्ति |
|---|---|---|
| ब्लड टेस्ट | शुगर, HbA1c, लिपिड, CBC, LFT, KFT | साल में 1 बार |
| हार्ट चेकअप | ECG, इको, BP मॉनिटरिंग | साल में 1 बार |
| आंख-कान जांच | विजन/रेटिना, ऑडियोमेट्री | हर 12 महीने |
| बोन डेंसिटी | DEXA स्कैन | हर 1–2 साल |
| कैंसर स्क्रीनिंग | कोलोनोस्कोपी, PSA, मैमोग्राफी, पैप | 1–2 साल (सलाह अनुसार) |
Q. क्या बिना लक्षण के भी बुजुर्गों को चेकअप कराना चाहिए?
हां, क्योंकि कई बीमारियां शुरुआती स्टेज में बिना लक्षण के होती हैं। जांच से उन्हें जल्दी पकड़ा जा सकता है।
Q. क्या सरकारी अस्पतालों में ये जांचें कराई जा सकती हैं?
जी हां, ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में ये जांचें सस्ती या मुफ्त में कराई जा सकती हैं।
Q. क्या महिलाएं और पुरुषों के लिए चेकअप अलग-अलग होते हैं?
कुछ टेस्ट जैसे ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग महिलाओं के लिए खास होते हैं। बाकी जांचें सभी के लिए जरूरी हैं।

