आजकल Miscarriage क्यों बढ़ रहा है? कारण, सावधानियाँ और रोकथाम 2025

0 Divya Chauhan
Miscarriage Awareness 2025 – कारण, लक्षण और रोकथाम की जानकारी हिंदी में

आजकल miscarriage यानी गर्भपात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले जहाँ इसे एक दुर्लभ घटना माना जाता था, अब हर दस में से लगभग एक गर्भवती महिला किसी न किसी चरण में इसका सामना करती है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, लेकिन इसके पीछे की वजहें समझने पर साफ हो जाता है कि आधुनिक जीवनशैली, बढ़ता तनाव और शरीर की बदलती परिस्थितियाँ इसकी मुख्य जड़ हैं।

🤰 Miscarriage क्या होता है?

Miscarriage या गर्भपात का मतलब होता है गर्भ का अपने शुरुआती चरणों में रुक जाना — यानी भ्रूण (embryo) या गर्भस्थ शिशु (fetus) का विकसित न हो पाना। आमतौर पर यह गर्भ के पहले 20 हफ्तों में होता है। डॉक्टर इसे “Spontaneous Abortion” भी कहते हैं, लेकिन यह शब्द भावनात्मक रूप से बहुत संवेदनशील होता है, इसलिए अब इसे साधारण भाषा में miscarriage कहा जाता है।

भारत में हर साल लाखों महिलाएँ miscarriage का अनुभव करती हैं। कई बार यह एक बार होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में बार-बार गर्भ रुकने की समस्या (Recurrent Miscarriage) भी देखी जाती है।

ध्यान दें: WHO की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में करीब 15% गर्भधारण miscarriage में बदल जाते हैं। इनमें से अधिकांश पहले तीन महीनों में होते हैं।

📉 आजकल Miscarriage के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

पिछले कुछ सालों में डॉक्टरों ने देखा है कि miscarriage के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, खासकर 25–35 वर्ष की महिलाओं में। इसके पीछे कई वजहें हैं — lifestyle से लेकर hormones तक, pollution से लेकर stress तक। नीचे प्रमुख कारणों को विस्तार से समझो 👇

1. Stress और आधुनिक जीवनशैली

सबसे बड़ा कारण है तनाव। आज की महिलाएँ नौकरी, परिवार और खुद की जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त हैं कि शरीर को आराम और संतुलित भोजन नहीं मिल पाता। लंबे समय तक stress hormones (जैसे cortisol) बढ़े रहने से गर्भ में बच्चा टिक नहीं पाता। नींद की कमी और irregular routine इसका और खतरा बढ़ाते हैं।

2. Late Pregnancy Age (30 के बाद motherhood)

अब महिलाएँ शादी या motherhood को career के बाद plan करती हैं। लेकिन 30 के बाद egg की quality धीरे-धीरे गिरती है। 35 की उम्र के बाद miscarriage का खतरा लगभग 40% तक पहुँच जाता है। Eggs पुराने हो जाते हैं, chromosomes में error आता है और embryo टिक नहीं पाता।

3. Hormonal Problems — PCOD, Thyroid

PCOD और thyroid आज की सबसे आम बीमारियाँ हैं। ये गर्भधारण को तो प्रभावित करती ही हैं, गर्भ ठहरने के बाद उसे support करने वाले hormones (progesterone, estrogen) को भी असंतुलित कर देती हैं। Progesterone की कमी से भ्रूण का विकास रुक जाता है।

4. Pollution और Chemical Exposure

बढ़ता हुआ प्रदूषण, plastic और chemical से भरा खाना शरीर में toxins बढ़ाता है। Cosmetics और processed food में मौजूद BPA और parabens reproductive system पर असर डालते हैं। Environmental toxins गर्भ में cell growth को कमजोर कर देते हैं।

5. Nutritional Deficiency (पोषक तत्वों की कमी)

Iron, Vitamin D, Zinc और खासकर Folic Acid की कमी से गर्भ में बच्चे की cell division प्रक्रिया रुक सकती है। कई बार महिलाएँ pregnancy से पहले supplements नहीं लेतीं, जिससे गर्भ को सही support नहीं मिल पाता।

6. Over Work या Physical Strain

कई महिलाएँ शुरुआती महीनों में heavy office work या घर का शारीरिक काम करती रहती हैं। पहले 12 हफ्ते बहुत नाज़ुक होते हैं, इस समय ज़्यादा physical activity से uterus में contractions शुरू हो सकते हैं।

7. Thyroid, Diabetes और Blood Pressure

अगर किसी महिला को thyroid या diabetes है और उसे control नहीं किया गया, तो गर्भ को sustain करने में मुश्किल होती है। High sugar या high blood pressure गर्भ में रक्त प्रवाह (blood flow) को प्रभावित करता है, जिससे miscarriage हो सकता है।

8. Infections और Immunity Issues

कुछ infections जैसे rubella, cytomegalovirus, bacterial vaginosis या UTI गर्भ में बच्चे के development को प्रभावित करते हैं। कमज़ोर immunity के कारण भी शरीर embryo को “foreign body” मानकर reject कर सकता है।

महत्वपूर्ण: कुछ महिलाओं में “Autoimmune Reaction” होती है — यानी शरीर खुद भ्रूण को अस्वीकार कर देता है। इसे “Antiphospholipid Syndrome” कहा जाता है।

9. Overweight या बहुत कम वजन

बहुत अधिक मोटापा या बहुत दुबला शरीर — दोनों ही गर्भ के लिए सही नहीं हैं। Obesity में insulin resistance और hormonal imbalance होता है, जबकि कम वजन में body fat की कमी से progesterone कम बनता है। दोनों से गर्भ को support नहीं मिल पाता।

10. Smoking, Alcohol और Caffeine

Nicotine, alcohol और ज्यादा caffeine भ्रूण के cells को नुकसान पहुंचाते हैं। डॉक्टर शुरू से ही इनसे परहेज करने की सलाह देते हैं, खासकर पहले trimester में।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय (mohfw.gov.in) के अनुसार, महिलाओं को गर्भ ठहरने से पहले ही lifestyle सुधारना और health checkup करवाना चाहिए। यह miscarriage के खतरे को 50% तक कम कर सकता है।

Miscarriage को सिर्फ एक medical घटना समझना गलत होगा। यह एक शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अनुभव होता है। पहले हिस्से में हमने देखा कि stress, hormones, pollution और health issues इसके प्रमुख कारण हैं। अब हम उन hidden कारणों की बात करेंगे, जो बाहर से नज़र नहीं आते लेकिन गर्भ को टिकने नहीं देते।

🔍 शरीर के अंदर छिपे और कारण

1. गर्भाशय की बनावट में गड़बड़ी

कुछ महिलाओं का uterus (गर्भाशय) जन्म से ही असामान्य shape का होता है। कभी यह बहुत छोटा होता है, कभी भीतर कोई दीवार (septum) होती है जो भ्रूण के लिए जगह नहीं छोड़ती। इसके अलावा fibroids या polyps जैसी गांठें भी भ्रूण को implant होने से रोक देती हैं।

2. Genetic या Chromosomal समस्याएँ

कई बार miscarriage का कारण महिला या पुरुष के genes में मौजूद कोई छोटा genetic defect होता है। लगभग 50% spontaneous miscarriages में embryo में chromosome errors पाए जाते हैं। यानी भ्रूण शुरू से ही ठीक से develop नहीं हो पाता।

3. बार-बार गर्भपात या IVF असफलता

जिन महिलाओं ने बार-बार abortion कराया हो या कई IVF cycles फेल हुई हों, उनके uterus की lining कमजोर हो जाती है। इससे भ्रूण को implant होने और nourish होने में मुश्किल होती है।

4. Infection और Immunity का संबंध

कुछ महिलाओं में बार-बार UTI या viral infection हो जाता है। अगर यह गर्भ के शुरुआती 6 हफ्तों में हो, तो बच्चा survive नहीं कर पाता। कमज़ोर immunity या autoimmune disorders (जैसे lupus या rheumatoid arthritis) भी गर्भपात के खतरे को बढ़ाते हैं।

ध्यान दें: अगर किसी महिला को दो या उससे अधिक बार miscarriage हुआ है, तो उसे “Recurrent Pregnancy Loss” कहा जाता है और इसकी जांच जरूरी होती है।

5. शरीर में पोषक तत्वों की कमी

Folic acid, Vitamin B12, D3 और Iron की कमी भ्रूण के cell division को प्रभावित करती है। यह समस्या शहरी महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिल रही है क्योंकि उनका diet fast food पर आधारित है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि गर्भधारण से पहले ही इनकी पूर्ति शुरू कर देनी चाहिए।

6. ज्यादा स्क्रीन टाइम और radiation exposure

Mobile, laptop और WiFi से निकलने वाली radiation लगातार exposure में hormones को प्रभावित कर सकती है। हालाँकि यह पूरी तरह साबित नहीं हुआ है, लेकिन gynecologists सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएँ लंबे समय तक फोन गोद में न रखें।

7. पति के sperm quality का असर

Miscarriage केवल महिला से जुड़ी समस्या नहीं है। अगर पुरुष के sperm में DNA fragmentation या chromosome defect हो तो embryo कमजोर बनता है और गर्भ शुरुआती हफ्तों में ही रुक सकता है। इसलिए doctor दोनों का fertility test साथ में करवाने की सलाह देते हैं।

🧠 मानसिक और भावनात्मक असर

Miscarriage केवल शरीर पर नहीं, मन पर भी गहरा असर डालता है। कई महिलाएँ guilt, sadness और anxiety महसूस करती हैं। अगर सही counselling न मिले तो depression तक पहुँच सकती हैं। इसलिए डॉक्टर अब “Post Miscarriage Mental Health Care” को भी pregnancy treatment का हिस्सा मानते हैं।

सुझाव: अगर miscarriage के बाद बार-बार उदासी या डर महसूस हो, तो counsellor या support group से बात करें। Emotional healing भी recovery का हिस्सा है।

🩺 Miscarriage के Warning Signs क्या हैं?

कई बार महिलाओं को शुरुआती हफ्तों में कुछ संकेत मिलते हैं, लेकिन वे उन्हें नज़रअंदाज़ कर देती हैं। इन symptoms को पहचानना ज़रूरी है ताकि समय रहते डॉक्टर से सलाह ली जा सके।

  • पेट या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द या ऐंठन।
  • योनि से खून या भूरे रंग का discharge।
  • अचानक pregnancy symptoms जैसे nausea या breast tenderness का गायब हो जाना।
  • Extreme weakness या dizziness महसूस होना।
  • बुखार या ठंड लगना।

इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। Delay करने पर infection या internal bleeding का खतरा बढ़ सकता है।

💡 Miscarriage रोकने के लिए सावधानियाँ

  • Pregnancy plan करने से पहले thyroid, sugar और hormone test कराएँ।
  • Smoking, alcohol और caffeine पूरी तरह छोड़ दें।
  • Healthy diet लें — हरी सब्ज़ियाँ, फल, dry fruits और पानी ज़रूरी है।
  • Stress कम रखें, meditation और हल्का yoga करें।
  • पहले तीन महीने heavy physical work या लम्बी यात्रा से बचें।
  • Folic acid और vitamin supplements लें (डॉक्टर की सलाह से)।
  • Regular checkup और ultrasound करवाते रहें।

🧬 भारत सरकार की पहल

भारत सरकार ने महिलाओं के reproductive health के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं — जैसे “Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan” और “POSHAN Abhiyaan”। इन योजनाओं के जरिए गर्भवती महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य जांच, पौष्टिक आहार और जरूरी दवाएँ दी जाती हैं। इनकी जानकारी आप mohfw.gov.in और pib.gov.in पर पा सकते हैं।

जनजागरूकता: सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) को आधा किया जाए और हर महिला को सुरक्षित गर्भावस्था मिले।

Miscarriage का दर्द सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं होता। यह मन, आत्मविश्वास और परिवार तीनों को प्रभावित करता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि आज medical science और lifestyle awareness की मदद से इस स्थिति को समझना, रोकना और दोबारा healthy pregnancy पाना पूरी तरह संभव है। इस हिस्से में हम जानेंगे — इलाज, बचाव और emotional support की अहम बातें।

🌿 Miscarriage के बाद क्या करें?

गर्भपात के बाद सबसे पहले शरीर को समय देना ज़रूरी है। बहुत सी महिलाएँ guilt या डर में दोबारा जल्दी pregnancy plan कर लेती हैं, जो सही नहीं होता। डॉक्टर सलाह देते हैं कि कम से कम 3 महीने तक शरीर को पूरी तरह recover होने दें। इस दौरान proper nutrition, supplements और medical follow-up ज़रूरी है।

  • Iron, Folic acid और Vitamin D लेना जारी रखें।
  • साफ-सफाई और infection से बचाव पर ध्यान दें।
  • Emotionally खुद को समय दें — guilt न महसूस करें।
  • Doctor से physical recovery की पुष्टि के बाद ही दोबारा pregnancy plan करें।
Doctor Tip: “हर महिला का शरीर अलग होता है। किसी को recovery में 2 महीने लगते हैं, किसी को 6। जल्दबाज़ी न करें।” — (AIIMS Gynecology Department, New Delhi)

🧬 Medical Tests जो ज़रूरी हैं

अगर एक या दो बार miscarriage हो चुका है, तो कारण समझना सबसे अहम कदम है। Doctors कुछ basic tests करवाते हैं जिससे असली वजह पता चल सके।

Test का नाम उद्देश्य
Thyroid & Sugar Test Hormone और blood sugar level की जांच
Pelvic Ultrasound Uterus और fallopian tubes की स्थिति जानना
Genetic Test (Karyotyping) Chromosome में किसी दोष का पता लगाना
Progesterone Level Test गर्भ के support hormones की मात्रा जानना
Infection Screening Rubella, CMV जैसे infections की जांच

इन reports से डॉक्टर को समझ आता है कि miscarriage lifestyle, hormones या genetic कारण से हुआ था। फिर उसी हिसाब से treatment plan किया जाता है।

💊 Miscarriage से बचाव के उपाय

गर्भपात पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन risk को काफी कम किया जा सकता है। इसके लिए lifestyle में कुछ बदलाव बेहद असरदार होते हैं:

  • Balanced diet — रोज़ हरी सब्ज़ियाँ, फल और dairy products ज़रूर लें।
  • Stress control के लिए योग और ध्यान अपनाएँ।
  • रोज़ाना कम से कम 7 घंटे की नींद लें।
  • Smoking, alcohol, और caffeine पूरी तरह बंद करें।
  • Regular prenatal checkups करवाते रहें।
  • शुरुआती 12 हफ्तों में ज़्यादा यात्रा और भारी वजन उठाने से बचें।
Healthy Habit: “Hydration is protection” — गर्भावस्था में दिनभर पर्याप्त पानी पीना रक्त प्रवाह और भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी है।

🤍 Emotional Support की भूमिका

गर्भपात के बाद भावनात्मक सपोर्ट सबसे बड़ी ज़रूरत होती है। बहुत सी महिलाएँ खुद को दोषी मानने लगती हैं, जो गलत है। इस समय परिवार और साथी की समझदारी सबसे बड़ा सहारा होती है।

  • महिला को guilt या शर्म महसूस न होने दें।
  • उसे समय दें, उसकी बात सुनें।
  • किसी counsellor से therapy लेना मददगार होता है।
  • Support groups (online या hospital-based) में जुड़ना positivity लाता है।

आजकल AIIMS, Fortis और कई सरकारी अस्पतालों में miscarriage counselling services उपलब्ध हैं। इनसे महिलाएँ अपनी भावनाओं को समझकर recovery में आगे बढ़ सकती हैं।

🌸 दोबारा Healthy Pregnancy के लिए क्या करें?

Miscarriage के बाद फिर से pregnancy plan करना बिल्कुल संभव है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है —

  • कम से कम 3 महीने का gap रखें।
  • Pregnancy से पहले पूरा checkup और doctor की सलाह लें।
  • Thyroid, sugar और hemoglobin level सही रखें।
  • Folic acid 400 mcg रोज़ाना लेना शुरू करें।
  • Positive mindset बनाए रखें — डर नहीं, उम्मीद रखो।

डॉक्टर कहते हैं कि 90% महिलाएँ miscarriage के बाद अगली pregnancy में पूरी तरह healthy baby को जन्म देती हैं। इसलिए सबसे ज़रूरी है विश्वास और patience।

🌺 उम्मीद हमेशा रहती है

Miscarriage एक दर्दनाक अनुभव है, लेकिन यह किसी की गलती नहीं है। यह प्रकृति की एक biological प्रक्रिया है जो कभी-कभी भ्रूण की सुरक्षा के लिए खुद होती है। लेकिन अब awareness और medical care की वजह से इस स्थिति से बाहर निकलना और healthy motherhood पाना पूरी तरह संभव है।

याद रखें: “हर अंत एक नई शुरुआत है।” — अगर एक गर्भ रुक गया है, तो दूसरा गर्भ ज़रूर स्वस्थ हो सकता है, बस धैर्य और सही देखभाल ज़रूरी है।
Disclaimer:

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी लक्षण, बीमारी या गर्भ से संबंधित निर्णय के लिए हमेशा योग्य चिकित्सक से संपर्क करें।

लेख में उपयोग की गई जानकारियाँ भारत सरकार के PIB और स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित हैं।

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