Uttarakhand Sthapna Diwas 2025: 25 साल का सफर और नया संकल्प

0 Divya Chauhan
Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 Celebration

उत्तराखंड स्थापना दिवस 2025 राज्य के इतिहास का एक गौरवशाली अवसर है। इस वर्ष राज्य ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे किए हैं। यानी यह सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि रजत जयंती वर्ष का प्रतीक है। 9 नवंबर 2025 को पूरे राज्य में Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झंडा फहराया और राज्य के गौरवमयी इतिहास को याद किया। इस अवसर पर हजारों नागरिक, सेना के जवान, विद्यार्थी और सामाजिक संगठन शामिल हुए। समारोह में “जय उत्तराखंड” और “विकसित भारत 2047” के नारे गूंजते रहे।

📜 उत्तराखंड के गठन की पृष्ठभूमि

उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई थी। यह भारत का 27वां राज्य बना। इसे पहले ‘उत्तरांचल’ कहा गया, पर 2007 में इसका नाम बदलकर आधिकारिक रूप से “उत्तराखंड” रखा गया। यह राज्य उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों को अलग करके बनाया गया था।

राज्यhood आंदोलन की शुरुआत 1990 के दशक में हुई जब पहाड़ी क्षेत्रों के लोग बेहतर प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए अलग राज्य की मांग करने लगे। इस संघर्ष में कई युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। उन बलिदानियों की याद में हर साल 9 नवंबर को यह दिवस गर्व और कृतज्ञता से मनाया जाता है।

रोचक तथ्य: उत्तराखंड का नाम संस्कृत के दो शब्दों से बना है — “उत्तर” (North) और “खण्ड” (Region), यानी उत्तरी क्षेत्र। इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।

🎉 रजत जयंती समारोह की झलक

इस वर्ष उत्तराखंड की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर राज्य सरकार ने रजत जयंती समारोह को बेहद भव्य तरीके से मनाया। देहरादून में मुख्य समारोह आयोजित हुआ, जहाँ मुख्यमंत्री ने राज्यhood आंदोलनकारियों, सैनिक परिवारों और प्रशासनिक अधिकारियों को सम्मानित किया।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा — “उत्तराखंड के 25 वर्ष न सिर्फ विकास की कहानी हैं बल्कि एकता, संस्कृति और बलिदान के प्रतीक हैं।”

स्थान मुख्य आयोजन मुख्य अतिथि
देहरादून राज्य स्तरीय परेड और सम्मान समारोह CM पुष्कर सिंह धामी
हरिद्वार गंगा आरती, दीपोत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम पर्यटन मंत्री गणेश जोशी
नैनीताल झील महोत्सव और युवा सम्मेलन राज्यपाल गुरमीत सिंह
अल्मोड़ा लोकनृत्य और पारंपरिक कला प्रदर्शनी स्थानीय जनप्रतिनिधि

इस अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में भी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। बच्चों ने “विकसित उत्तराखंड” थीम पर चित्रकला और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में भाग लिया। देहरादून के क्लॉक टावर से लेकर नैनीताल की झील तक, हर जगह झंडों और रोशनी से शहर सजा रहा।

सांस्कृतिक आकर्षण: समारोह में पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे हुड़का, ढोल, और दमाऊ की थाप पर लोक नृत्य ‘छोलिया’ और ‘झोड़ा’ ने सबका मन मोह लिया।

💬 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश

मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा — “25 वर्ष पहले उत्तराखंड ने जो सपना देखा था, वह आज साकार होता दिख रहा है। हमारा लक्ष्य केवल विकास नहीं, बल्कि ऐसा विकास है जिसमें हर नागरिक की भागीदारी हो।” उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले वर्षों में Digital Uttarakhand और Green Economy को प्राथमिकता देगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “हमारे पूर्वजों ने जिस संघर्ष से यह राज्य बनाया, हमें उसी भावना से इसे आगे बढ़ाना है। अब हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित उत्तराखंड बनाना है।”

🌱 नई योजनाएँ और घोषणाएँ

समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने कई नई योजनाओं की घोषणा की:

  • पूर्व सैनिकों और आंदोलनकारियों की पेंशन में वृद्धि।
  • हर जिले में “उत्तराखंड गौरव स्मारक” का निर्माण।
  • महिलाओं के लिए “घर-घर स्वरोजगार योजना” की शुरुआत।
  • ग्रामीण युवाओं के लिए “Stay in Hills Policy” लागू।
  • नैनीताल और अल्मोड़ा में नए पर्यटन सर्किट की स्थापना।

इन योजनाओं का मकसद है कि उत्तराखंड के नागरिक अपने ही राज्य में रहकर आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नए निवेश की घोषणा की है।

🕊️ राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक प्रेरणा

राज्य की एकता और सांस्कृतिक शक्ति को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने वंदे मातरम 150 वर्ष समारोह का भी उल्लेख किया और कहा कि “जैसे वंदे मातरम हमारे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था, वैसे ही Uttarakhand Sthapna Diwas हमारी आत्मनिर्भरता की भावना का प्रतीक है।”

🌄 जनता की भागीदारी

Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें सिर्फ सरकारी स्तर पर नहीं, बल्कि आम जनता ने भी बड़ी भागीदारी दिखाई। स्थानीय ग्राम पंचायतों से लेकर ब्लॉक स्तर तक ‘जन संवाद’ और ‘संकल्प सभा’ आयोजित की गईं, जहाँ लोग अपने विचार रख सके।

मुख्य उद्देश्य: लोगों की भागीदारी से विकास — “जन के साथ, जन के लिए” यही राज्य सरकार का नारा रहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश में कहा — “उत्तराखंड की यह 25 वर्ष की यात्रा अद्भुत रही है। आने वाला दशक इस राज्य को विकास के शिखर पर ले जाएगा।”

Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि 25 वर्षों की विकास यात्रा का प्रतिबिंब है। इस दौरान राज्य ने शिक्षा, पर्यटन, स्वास्थ्य, ऊर्जा और डिजिटल सेवा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। यही कारण है कि इस रजत जयंती वर्ष में सरकार ने “Vision 2047” का खाका पेश किया है — जिससे उत्तराखंड को अगले 25 वर्षों में आत्मनिर्भर और आधुनिक राज्य बनाया जा सके।

📈 आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियाँ

2000 में गठन के बाद से राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई है। केंद्र और राज्य दोनों के सहयोग से सड़क, बिजली, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत नींव पड़ी।

क्षेत्र मुख्य उपलब्धि
शिक्षा साक्षरता दर 71% से बढ़कर 84% तक पहुँची
ऊर्जा हाइड्रो पावर में 10,000 मेगावॉट से अधिक क्षमता विकसित
पर्यटन चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या तीन गुना बढ़ी
कृषि ऑर्गेनिक फार्मिंग से किसानों की आमदनी में वृद्धि
डिजिटल सेवा हर जिले में e-Governance और ऑनलाइन सेवाएँ

राज्य में शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। देहरादून, हल्द्वानी और ऋषिकेश जैसे शहर शिक्षा और स्टार्टअप हब बन चुके हैं। महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही — लगभग 38% महिलाएँ छोटे व्यवसाय और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनी हैं।

Positive Trend: उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय 2025 में राष्ट्रीय औसत से अधिक हो गई है, जो एक स्थिर अर्थव्यवस्था का संकेत है।

🏔️ भौगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ

उत्तराखंड की खूबसूरत पहाड़ियाँ उसकी पहचान हैं, लेकिन यही भौगोलिक स्थिति विकास में कई बाधाएँ भी लाती है। राज्य के 60% से अधिक इलाके में पहाड़ी भूभाग है, जहाँ सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना चुनौतीपूर्ण है।

  • पलायन: पहाड़ी क्षेत्रों से युवाओं का पलायन एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
  • स्वास्थ्य: दुर्गम इलाकों में अस्पतालों और डॉक्टरों की कमी है।
  • पर्यावरण: बढ़ते निर्माण कार्यों से पारिस्थितिक असंतुलन।
  • भूकंप जोखिम: राज्य भूकंपीय जोन-4 में आता है।
  • रोजगार: पर्यटन के अलावा स्थायी रोजगार अवसर सीमित हैं।

सरकार ने “Stay in Hills Policy” लागू की है ताकि ग्रामीण युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिले और पलायन रुके। इसके अलावा, पर्यटन को पर्यावरण-संतुलित तरीके से बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

Initiative: “Stay in Hills Policy” के तहत ग्रामीण युवाओं को स्थानीय उद्योगों, पर्यटन और हस्तशिल्प से जोड़ा जा रहा है।

🌱 Vision 2047 — आत्मनिर्भर उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य का लक्ष्य 2047 तक “Vibrant Uttarakhand” बनाना है — जहाँ हर नागरिक को समान अवसर, आधुनिक सुविधा और स्वच्छ पर्यावरण मिले। इस दिशा में कई योजनाएँ शुरू की गई हैं।

  • Green Uttarakhand Mission: हर जिले में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान।
  • Himalayan Skill Mission: युवाओं को आधुनिक कौशल और प्रशिक्षण।
  • Smart Villages Project: हर पंचायत में डिजिटल सुविधा केंद्र।
  • Eco-Tourism Policy: पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा।
  • Women Entrepreneurship Fund: महिलाओं के लिए आसान ऋण सुविधा।

राज्य सरकार का कहना है कि ये पहल सिर्फ योजनाएँ नहीं, बल्कि “जनभागीदारी आधारित विकास” की दिशा में कदम हैं। राज्य को तकनीकी, पर्यावरण और रोजगार के संतुलित मॉडल के रूप में आगे बढ़ाना ही Vision 2047 का मकसद है।

🏞️ पर्यटन और संस्कृति की भूमिका

उत्तराखंड की पहचान उसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक विरासत से है। चारधाम यात्रा, योग नगरी ऋषिकेश और फूलों की घाटी जैसे स्थल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं।

2025 में पर्यटन विभाग ने “Spiritual Circuit” और “Adventure Tourism Route” शुरू किए हैं। इससे राज्य में 20 लाख से अधिक नए पर्यटक आए और हजारों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला।

Tourism Data (2025): बद्रीनाथ और केदारनाथ में यात्रियों की संख्या 55 लाख से अधिक रही — जो 2020 की तुलना में दोगुनी है।

सांस्कृतिक दृष्टि से भी राज्य ने लोककला और संगीत को संरक्षित किया है। ‘उत्तराखंड लोक उत्सव’ अब एक राष्ट्रीय पहचान बन चुका है, जिसमें देसी कलाकारों और शिल्पकारों को मंच मिलता है।

💡 डिजिटल और शिक्षा क्रांति

राज्य सरकार ने डिजिटल शिक्षा को प्राथमिकता दी है। हर जिले में “Smart School” और “E-Library” की सुविधा शुरू की गई है। ग्रामीण स्कूलों में 4G इंटरनेट और टैबलेट वितरण से डिजिटल गैप कम हुआ है।

  • 10,000 छात्रों को फ्री टैबलेट और ऑनलाइन कोर्स एक्सेस।
  • राज्य में 400 से अधिक विद्यालय Smart Classroom में बदले गए।
  • Digital Teacher Program” के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया।

इन पहलों का उद्देश्य है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी बच्चे बड़े शहरों के समान शिक्षा पा सकें।

📊 सरकार की पारदर्शी पहल

Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 के दौरान सरकार ने एक नई वेबसाइट लॉन्च की — uk.gov.in — जहाँ नागरिक योजनाओं, बजट और नीतियों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Transparency Mission: “My Uttarakhand” पोर्टल से हर नागरिक सरकारी योजनाओं की प्रगति ऑनलाइन देख सकता है।

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि हर नागरिक को सरकार की योजनाओं से सीधा जोड़ा जाए ताकि उत्तराखंड “जनभागीदारी आधारित शासन” की मिसाल बन सके।

Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 के अवसर पर राज्य सरकार ने न केवल अतीत को याद किया, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने भाषण में कहा — “अब हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित उत्तराखंड बनाना है।” यानी आज जो उत्तराखंड ‘देवभूमि’ के रूप में जाना जाता है, आने वाले वर्षों में वह India’s Green and Digital State बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

🌄 Vision 2047 का खाका — ‘Vibrant Uttarakhand’

राज्य सरकार ने “Vision 2047” दस्तावेज़ में अगले 25 वर्षों के लिए एक व्यापक विकास मॉडल प्रस्तुत किया है। इसका उद्देश्य है — “सतत, हरित, आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम उत्तराखंड” का निर्माण।

  • सतत विकास: हर जिले में ‘Green Growth Model’ लागू किया जाएगा।
  • रोजगार: अगले 5 वर्षों में 1 लाख नए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य।
  • शिक्षा: Smart Education और Digital Classrooms से ग्रामीण शिक्षा में सुधार।
  • महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के लिए स्वरोजगार व उद्यमिता फंड।
  • पर्यटन: Eco-tourism और Adventure Routes से पहाड़ों को नए अवसर।

इस मॉडल के तहत सरकार चाहती है कि विकास केवल शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि हर गाँव और हर परिवार तक पहुँचे। Chief Minister ने कहा — “हम ऐसा राज्य बनाएँगे जहाँ रोजगार के लिए पलायन की ज़रूरत न पड़े।”

मुख्य लक्ष्य: 2047 तक हर पंचायत में इंटरनेट, हर गाँव में स्कूल, हर परिवार में रोजगार और हर जिले में आधुनिक अस्पताल।

🚆 विकास की गति — इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी

उत्तराखंड सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर को विकास की रीढ़ बताया है। चारधाम सड़क परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन, और टनकपुर-बागेश्वर हाइवे जैसी परियोजनाएँ राज्य को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर जोड़ रही हैं।

परियोजना उद्देश्य स्थिति (2025)
चारधाम सड़क प्रोजेक्ट तीर्थ यात्रियों और स्थानीय कनेक्टिविटी में सुधार 85% कार्य पूरा
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन पहाड़ों में रेल सुविधा का विस्तार 2026 तक पूर्ण होने की संभावना
टनकपुर-बागेश्वर हाईवे कुमाऊँ क्षेत्र में लॉजिस्टिक सुधार निर्माणाधीन

इसके साथ ही राज्य में नए हवाई मार्ग भी विकसित हो रहे हैं। पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तार और पौड़ी, टिहरी में हेलीपोर्ट नेटवर्क से पर्यटन को नया बल मिलेगा।

In Focus: केंद्र और राज्य मिलकर “Himalayan Air Route Project” पर काम कर रहे हैं, जिससे चारधाम और सीमा क्षेत्रों तक हवाई संपर्क संभव होगा।

🌱 पर्यावरण और विकास का संतुलन

उत्तराखंड का विकास उसकी प्राकृतिक संपदा के बिना अधूरा है। सरकार ने Green Uttarakhand Mission के तहत “प्रकृति के साथ विकास” का सिद्धांत अपनाया है। आने वाले वर्षों में प्रत्येक जिले में जैव-विविधता पार्क, वर्षा जल संरक्षण केंद्र और वनों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक लागू की जाएगी।

राज्य का लक्ष्य 2040 तक 50% क्षेत्र को हरित कवर में बदलने का है। साथ ही ‘Zero Plastic Hill’ अभियान के तहत पर्यटन स्थलों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह हटाया जाएगा।

Eco Initiative: सरकार ने ‘एक गाँव, एक वन’ योजना शुरू की है — जहाँ हर गाँव अपने जंगल की देखभाल स्वयं करेगा।

💼 रोजगार और उद्यमिता की दिशा

राज्य के विकास मॉडल का केंद्र “रोजगार” है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर वर्ष 10,000 से अधिक नए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए MSME और Tourism सेक्टर को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • हर जिले में “Skill Development Center” की स्थापना।
  • महिला उद्यमियों को ₹5 लाख तक ब्याजमुक्त ऋण।
  • Start-up Uttarakhand Policy के तहत 500 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत।
  • हस्तशिल्प, ऑर्गेनिक फार्मिंग और डेयरी सेक्टर में नई नौकरियाँ।

इन कदमों से राज्य के युवाओं को पहाड़ों में ही रोजगार मिलेगा और पलायन पर रोक लगेगी। यही Vision 2047 का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है — “रोजगार युक्त उत्तराखंड।”

🧑‍🤝‍🧑 जनता की भागीदारी और पारदर्शिता

राज्य सरकार का मानना है कि विकास तभी सफल होगा जब जनता उसकी भागीदार बने। इसी सोच के तहत “जन संवाद केंद्र” और “My Uttarakhand Portal” शुरू किए गए हैं।

इन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से नागरिक अपनी शिकायतें और सुझाव सीधे सरकार तक पहुँचा सकते हैं। साथ ही योजनाओं की प्रगति की जानकारी भी अब uk.gov.in पर उपलब्ध है।

जनभागीदारी मॉडल: “सबका प्रयास, सबका विकास” — यही Vision 2047 की असली भावना है।

📈 उत्तराखंड की प्रेरणा — संघर्ष से विकास तक

उत्तराखंड की कहानी एक संघर्ष से शुरू हुई थी। राज्यhood आंदोलन के दौरान हजारों युवाओं ने अलग राज्य के लिए अपनी जान दी। आज उन्हीं की कुर्बानियों के कारण यह राज्य 25 वर्ष में एक सशक्त और आत्मनिर्भर इकाई बन चुका है।

देहरादून, नैनीताल और टिहरी जैसे शहर अब विकास के नए केंद्र बन चुके हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए “One District One Product” नीति लागू की जा रही है ताकि स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान मिल सके।

🌟 आत्मनिर्भर उत्तराखंड की ओर

Uttarakhand Sthapna Diwas 2025 यह साबित करता है कि राज्य ने न सिर्फ भौगोलिक कठिनाइयों को पार किया, बल्कि एक ऐसा मॉडल तैयार किया जो विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन रखता है। आने वाले वर्षों में उत्तराखंड “India’s Green Capital” और “Tourism Powerhouse” बन सकता है।

25 वर्षों की यात्रा संघर्ष, सेवा और सफलता का संगम है। अब लक्ष्य है — 2047 तक ऐसा उत्तराखंड बनाना जो आत्मनिर्भर, हरित और तकनीकी रूप से समृद्ध हो।

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