Maharashtra Private Sector में Working Hours 9 से बढ़ाकर 10 करने का Proposal

0 Divya Chauhan
Maharashtra Govt का नया Working Hours Rule Proposal

महाराष्ट्र सरकार निजी क्षेत्र (Private Sector) के कर्मचारियों के लिए काम के घंटों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। अभी तक राज्य में निजी कंपनियों और संस्थानों में daily working hours की सीमा 9 घंटे तय है। लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 10 घंटे प्रति दिन करने का प्रस्ताव तैयार किया है। अगर यह नियम लागू हो जाता है, तो महाराष्ट्र देश का पहला बड़ा राज्य बन जाएगा जिसने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए काम के घंटे आधिकारिक रूप से बढ़ाए हैं।


राज्य के श्रम मंत्री आकाश फुंडकर (Akash Fundkar) ने हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है और इस पर अंतिम फैसला सरकार जल्द लेगी। मंत्री ने कहा कि “आज कई कंपनियों में कर्मचारी 9 घंटे से अधिक काम करते हैं, लेकिन इस पर स्पष्ट नियम नहीं हैं। नए बदलाव से नियम और पारदर्शी हो जाएंगे और कर्मचारियों को उनका ओवरटाइम (overtime payment) सही तरीके से मिल सकेगा।”


प्रस्ताव के अनुसार, अब overtime limit भी बढ़ाई जाएगी। अभी तक किसी कर्मचारी को 3 महीनों में 125 घंटे तक ओवरटाइम की अनुमति होती है। सरकार ने इसे बढ़ाकर 144 घंटे करने का सुझाव दिया है। यानी कंपनियों को जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों से थोड़ा अधिक काम कराने की कानूनी छूट मिलेगी, बशर्ते उन्हें उचित भुगतान दिया जाए।


इसके अलावा, कर्मचारियों की सुविधा के लिए यह भी तय किया गया है कि लगातार 6 घंटे से अधिक काम करने के बाद कम से कम 30 मिनट का ब्रेक (break) अनिवार्य होगा। यह नियम कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है।


सरकार का एक और बड़ा विचार यह है कि विशेष परिस्थितियों (special situations) में मौजूदा 12 घंटे की सीमा को हटाया जा सकता है। यानी जब किसी प्रोजेक्ट या इंडस्ट्रियल इमरजेंसी में अतिरिक्त काम की जरूरत हो, तब कंपनी कर्मचारियों से अधिक घंटे काम करवा सकेगी। हालांकि ऐसी स्थिति में ओवरटाइम का भुगतान तय दरों पर करना अनिवार्य होगा।


सरकार का फोकस सिर्फ बड़े उद्योगों पर नहीं है, बल्कि अब वह छोटे निजी प्रतिष्ठानों (small private establishments) को भी इस कानून के दायरे में लाना चाहती है। अभी तक जिन ऑफिसों में 10 या उससे कम कर्मचारी हैं, वे इन नियमों से बाहर हैं। नए प्रस्ताव के अनुसार, यह सीमा बढ़ाकर 20 कर्मचारियों तक की जा सकती है। इसका उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारी और स्टार्टअप भी Labour Law Compliance के दायरे में आएं और कर्मचारियों को उचित सुविधा और सुरक्षा मिल सके।


एक और बड़ा बदलाव जो इस प्रस्ताव में शामिल है, वह है महिला कर्मचारियों (women employees) से जुड़ा प्रावधान। अब तक कई उद्योगों और कंपनियों में महिलाओं के लिए देर रात तक काम करने पर पाबंदी है। लेकिन नया कानून लागू होने के बाद महिलाएं भी late night shifts में काम कर सकेंगी। इसके लिए सरकार ने सुरक्षा उपायों (safety provisions) को मजबूत करने की बात कही है — जैसे कंपनी को ट्रांसपोर्ट सुविधा देना, workplace पर CCTV और सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था करना, ताकि महिलाओं की सुरक्षा से समझौता न हो।


यह प्रस्ताव लागू होने पर महिलाओं को अधिक रोजगार अवसर (employment opportunities) मिलेंगे और कार्यस्थल पर gender equality को बढ़ावा मिलेगा। IT, BPO, Hotel Industry और Media जैसे सेक्टरों में यह बदलाव सकारात्मक असर डाल सकता है।


हालांकि, कर्मचारी संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों की सेहत, मानसिक स्थिति और work-life balance पर बुरा असर पड़ेगा। कई यूनियनों ने कहा कि पहले से ही कंपनियां कर्मचारियों से लंबे समय तक काम करवाती हैं, और यदि यह नियम बन गया, तो “overtime culture” और भी बढ़ जाएगा।


वहीं, सरकार और उद्योग जगत का कहना है कि यह कदम global standards के अनुरूप है। कई देशों में 10 घंटे तक काम की अनुमति है, बशर्ते साप्ताहिक सीमा (weekly cap) तय हो और कर्मचारियों को पर्याप्त आराम (rest) दिया जाए। उद्योगपतियों का तर्क है कि भारत की बढ़ती प्रतिस्पर्धा (global competitiveness) और industrial efficiency को देखते हुए यह बदलाव जरूरी है।


महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि यह संशोधन कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद होगा। एक ओर कंपनियों को लचीलापन (flexibility) मिलेगा, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों को उनके काम के घंटे और ओवरटाइम का स्पष्ट अधिकार मिलेगा। यह पारदर्शिता (transparency) लाने और विवादों को कम करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।


कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर और विस्तृत विवरण मांगा है। अगले चरण में इसे Labour Department Committee द्वारा समीक्षा के लिए भेजा जाएगा, जहाँ कर्मचारी संगठनों, उद्योग संघों और कानूनी विशेषज्ञों से राय ली जाएगी। इसके बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।


अगर यह नियम लागू हो गया, तो मुंबई, पुणे, नवी मुंबई और ठाणे जैसे औद्योगिक शहरों में लाखों private sector employees की दिनचर्या बदल जाएगी। खासकर IT Parks, Manufacturing Units और Retail Chains में इसका असर सबसे ज्यादा दिखेगा।


हालांकि, इस बदलाव के साथ सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और विश्राम के अधिकार प्रभावित न हों। लंबे घंटे काम कराने के बदले कंपनियों को medical checkups, paid leaves और wellness facilities जैसे कदम उठाने होंगे।


यह प्रस्ताव भारत के श्रम कानूनों (Labour Reforms) में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारें श्रम सुधारों (Labour Codes) पर तेजी से काम कर रही हैं ताकि उद्योगों को अधिक स्वतंत्रता और कामगारों को बेहतर अधिकार दिए जा सकें। महाराष्ट्र का यह निर्णय अगर लागू होता है, तो यह पूरे देश के लिए एक नया उदाहरण बन सकता है।


फिलहाल, यह प्रस्ताव चर्चा में है और आने वाले महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि राज्य सरकार 9 घंटे से 10 घंटे के working hour rule को सच में लागू करती है या नहीं। लेकिन इतना तय है कि यह बदलाव कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए कामकाजी ढांचे में नई परिभाषा लेकर आएगा — एक ओर productivity बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर work-life balance को लेकर बहस और गहरी होगी।


यह फैसला इस बात की भी परीक्षा है कि सरकार विकास और मानव कल्याण के बीच संतुलन कैसे बनाए रखती है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह नीति “More Productivity with Fair Policy” का उदाहरण बन सकती है।

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