बिहार की राजनीति हमेशा चर्चा में रहती है। हर चुनाव में यहाँ के मुद्दे, जातीय समीकरण और नेता पूरे देश का ध्यान खींचते हैं। अब 2025 का विधानसभा चुनाव करीब है। हर पार्टी जनता को अपने वादों और योजनाओं से लुभाने में लगी है। इस बार सबसे ज्यादा नजर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके गठबंधन एनडीए (NDA) पर है, जिसने अपना संकल्प पत्र जारी किया है।
बिहार चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि
बिहार में राजनीति हमेशा से जातीय और विकास के मुद्दों के बीच घूमती रही है। पिछले कुछ चुनावों में जनता ने कई बार बदलाव की कोशिश की, लेकिन राज्य अब भी बेरोज़गारी और विकास की कमी से जूझ रहा है।
2025 का चुनाव इसलिए खास है क्योंकि इस बार मुकाबला केवल पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि रणनीतियों के बीच है। एक तरफ एनडीए विकास और स्थिरता की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष रोजगार और शिक्षा को बड़ा मुद्दा बना रहा है।
अगर आप बिहार चुनाव 2025 की तारीखें जानना चाहते हैं, तो आयोग की घोषणा के अनुसार नवंबर के पहले सप्ताह में पहले चरण का मतदान हो सकता है।
एनडीए का घोषणापत्र – क्या हैं वादे?
भाजपा और जेडीयू गठबंधन ने मिलकर “संकल्प पत्र” जारी किया है। इसमें रोजगार, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया है।
💡 खास वादा: एनडीए का कहना है कि हर घर में रोजगार और हर महिला के हाथ में आय का साधन देना उनकी प्राथमिकता होगी।
मुख्य वादे और योजनाएँ
एनडीए के घोषणापत्र में सात बड़े वादे किए गए हैं, जो युवाओं और किसानों दोनों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। नीचे तालिका में इनका सारांश दिया गया है:
| मुख्य वादा | विवरण |
|---|---|
| 1 करोड़ सरकारी नौकरियाँ | युवाओं को रोजगार देने का सबसे बड़ा वादा। सरकार बनने पर 1 करोड़ सरकारी नौकरियाँ देने का लक्ष्य। |
| लखपति दीदी योजना | 1 करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर लखपति बनाने का मिशन। |
| एमएसपी गारंटी | किसानों के लिए फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य कानूनी रूप से तय करने का वादा। |
| इन्फ्रास्ट्रक्चर | नए एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और मेडिकल कॉलेज बनाने की योजना। |
| शिक्षा और स्वास्थ्य | हर जिले में आधुनिक हेल्थ सेंटर और डिजिटल स्कूलों का वादा। |
इन वादों के जरिए एनडीए यह संदेश देना चाहता है कि बिहार को रोजगार और विकास दोनों एक साथ मिलेंगे। खास बात यह है कि महिलाओं को भी पहली बार इतना व्यापक आर्थिक मौका देने की योजना बनाई गई है।
📢 “हमारा लक्ष्य केवल सरकार बनाना नहीं, बल्कि हर घर को आत्मनिर्भर बनाना है।” – एनडीए घोषणा पत्र
बीजेपी का फोकस – विकास के साथ स्थिरता
भाजपा खुद को विकास और स्थिर सरकार की गारंटी के रूप में पेश कर रही है। पार्टी का कहना है कि केंद्र और राज्य में एक जैसी सरकार रहने से योजनाओं में तेजी आती है।
भाजपा नेताओं का दावा है कि बिहार को राजनीतिक अस्थिरता से बचाना जरूरी है, ताकि अधूरी परियोजनाएँ पूरी हो सकें। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि “नीतियों की निरंतरता से ही प्रगति संभव है।”
विपक्ष के वादे – तेजस्वी यादव का पलटवार
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे 1.65 करोड़ नौकरियाँ देंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ वादा नहीं, मिशन है।
पूरा पढ़ें: तेजस्वी यादव का 1.65 करोड़ नौकरी वादा
🧠 विपक्ष का कहना है कि एनडीए ने पिछले कार्यकाल में युवाओं को नौकरी देने का वादा पूरा नहीं किया, इसलिए जनता अब बदलाव चाहती है।
जातीय समीकरण फिर से अहम
बिहार में चुनाव केवल विकास पर नहीं, बल्कि जातीय समीकरणों पर भी निर्भर करता है। एनडीए ने सभी वर्गों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। यादव, पासवान, राजपूत, मुसहर और कुशवाहा जैसे वर्ग अब भी निर्णायक भूमिका में हैं।
इस पर और पढ़ें: बिहार की राजनीति और जातीय समीकरण
📊 राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय संतुलन ही बिहार में जीत की कुंजी है। हर दल इसी के हिसाब से उम्मीदवार तय करता है।
केजरीवाल और प्रशांत किशोर की एंट्री
2025 के चुनाव में इस बार दो नए चेहरे भी चर्चा में हैं – अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर। दोनों ने बिहार में अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई है।
पूरा पढ़ें: केजरीवाल बनाम प्रशांत किशोर का मुकाबला
प्रशांत किशोर बिहार के युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। “जनसुराज यात्रा” ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। वहीं केजरीवाल दिल्ली मॉडल के ज़रिए बिहार की जनता को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था का भरोसा दिला रहे हैं।
⚡ केजरीवाल का फोकस शिक्षा, बिजली और पानी जैसे बुनियादी सुविधाओं पर है। प्रशांत किशोर राजनीति में नई सोच लाने की बात करते हैं।
युवाओं का मूड क्या कहता है
बिहार की आबादी में 60% से ज्यादा युवा हैं। यही वर्ग इस बार का असली गेम-चेंजर साबित हो सकता है। युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और डिजिटल सुविधाएँ मुख्य मुद्दे हैं।
कई सर्वे बताते हैं कि अगर नौकरी और रोजगार को लेकर ठोस वादा मिला, तो युवा उसी दिशा में झुकेंगे।
📈 बिहार के युवा अब सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और हर पार्टी के वादे को परख रहे हैं।
विकास के मुद्दे और हकीकत
हर चुनाव में विकास की बातें होती हैं, लेकिन कई योजनाएँ अधूरी रह जाती हैं। कई जिलों में सड़कें और अस्पताल अभी भी अधूरी हैं। जनता अब वादों से आगे बढ़कर परिणाम चाहती है।
महिलाओं की भूमिका और उम्मीदें
बिहार की महिलाएँ अब राजनीति की अहम आवाज़ बन चुकी हैं। वे शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार में सुधार चाहती हैं। "लखपति दीदी" जैसी योजनाएँ महिला वर्ग को आकर्षित करने में मददगार होंगी।
🌸 महिलाओं ने पंचायत से लेकर विधानसभा तक अपनी ताकत दिखाई है। अब वे विकास की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
एनडीए बनाम विपक्ष – असली मुद्दा क्या है?
एनडीए स्थिरता की बात करता है, जबकि विपक्ष कहता है कि पिछले सालों में नौकरी और शिक्षा की अनदेखी हुई। यह चुनाव विकास बनाम बदलाव का मुकाबला होगा।
भविष्य की राजनीति और जनता का फैसला
अब बिहार की जनता वादों से नहीं, काम से फैसला करेगी। इस बार वोट जाति या नेता देखकर नहीं, बल्कि काम देखकर पड़ने वाला है।
🗳️ 2025 का चुनाव सिर्फ सरकार नहीं, बल्कि राज्य की दिशा तय करेगा। अब जनता यह देखना चाहती है कि कौन सच में बिहार को आगे ले जा सकता है।
बिहार में मुकाबला दिलचस्प है। एनडीए “1 करोड़ नौकरी” और “लखपति दीदी” जैसे वादों के साथ मैदान में है, जबकि विपक्ष “1.65 करोड़ नौकरी” और बदलाव की बात कर रहा है। अब फैसला जनता के हाथ में है कि वह किस पर भरोसा करती है।
राज्य के हर कोने में एक ही सवाल गूंज रहा है – क्या इस बार बिहार में सच में विकास की नई शुरुआत होगी?

