केंद्रीय सरकार ने 8वें वेतन आयोग (8th CPC) के लिए Terms of Reference (ToR) जारी कर दिए हैं। इसके बाद कई कर्मचारी-संगठन, विशेष रूप से National Council Joint Consultative Machinery (NC-JCM) ने इस ToR में बड़े मसलों का अभाव बताया है। उन्हें यह महसूस हो रहा है कि ToR में व्यावहारिक कर्मचारी-अपेक्षाएँ, पेंशन संशोधन एवं अन्य महत्वपूर्ण विषय पर्याप्त रूप से शामिल नहीं हैं।
ToR क्या है और 8वाँ आयोग क्यों महत्वपूर्ण है?
Terms of Reference (ToR) किसी आयोग के कार्य-क्षेत्र का प्रारंभिक ढाँचा होता है। इसमें यह तय किया जाता है कि आयोग किन विषयों पर और किस तरह विचार करेगा।
8वें वेतन आयोग को जनवरी 2025 में गठित किया गया था। इसे सरकार ने लगभग 18 महीनों का समय दिया है रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए। इस आयोग का काम है देश के केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन व सेवा-शर्तों का पुनर्मूल्यांकन। नीतिगत दृष्टि से यह कर्मचारियों व पेंशनर्स दोनों के लिए अहम है।
मुख्य बदलाव एवं कर्मचारी-उम्मीदें
पिछले आयोगों में कर्मचारियों की अपेक्षाएँ प्रमुख रही हैं। उदाहरण स्वरूप 7वें आयोग के ToR में यह पंक्ति थी:
लेकिन वर्तमान ToR में यह वाक्य गायब है। NC-JCM का मानना है कि इससे कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है। उन्होंने इस क्लॉज़ को वापस शामिल करने की मांग की है।
इसके अलावा एनपीएस (NPS) में फँसे कर्मचारियों, पूर्व सेवानिवृत्त पेंशनर्स, और परिवार पेंशनर्स जैसे समूहों ने भी आवाज उठाई है।
| समूह | उनकी मुख्य मांग |
| कर्मचारी | उम्मीदों को शामिल करना, सही वेतन-मंजूरी |
| पेंशनर्स | पूर्व सेवानिवृत्तों का पेंशन पुनरीक्षण, OPS वापसी |
| NPS वाले कर्मचारी | OPS की बहाली, निष्पक्ष सेवा-शर्तें |
यह सभी मांगें इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ToR में जिन शब्दों का प्रयोग हुआ है, वह कर्मचारियों व पेंशनर्स को संतुष्टि नहीं दे रहा। उदाहरण के लिए ‘unfunded cost of non-contributory pension schemes’ जैसे शब्द कर्मचारियों को बोझ जैसा महसूस कराते हैं।
यदि ToR में कर्मचारियों की बात शामिल नहीं होगी, तो आयोग की रिपोर्ट उनकी अपेक्षाओं को प्रतिबिंबित नहीं कर पाएगी। इससे वेतन व पेंशन सुधार दिशा-हीन हो सकती है।
पेंशन संशोधन ToR से क्यों गायब है?
8th Central Pay Commission के ToR में सबसे बड़ा विवाद यह है कि इसमें पेंशन संशोधन का जिक्र नहीं है। 7th CPC के ToR में यह साफ लिखा था कि सभी पुराने पेंशनर्स की राशि को नई पेंशन संरचना के अनुरूप संशोधित किया जाए। लेकिन इस बार यह पंक्ति पूरी तरह हटाई गई है। इस हटाए जाने ने कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों में चिंता बढ़ाई है।
NC-JCM का कहना है कि यह गलती नहीं बल्कि एक गंभीर कमी है। उनका कहना है कि लाखों पेंशनर्स, विशेषकर 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारी, ग्रेच्युटी, पे-फिक्सेशन और आबंटित भत्तों के कारण पहले ही disparity झेल चुके हैं। यदि ToR में पेंशन संशोधन नहीं लिखा जाएगा, तो आयोग इस मुद्दे को अनिवार्य मानकर नहीं देखेगा। यही कारण है कि कर्मचारी-संघ लगातार इस क्लॉज़ को ToR में जोड़ने की मांग कर रहे हैं।
अगर ToR में पेंशन संशोधन का जिक्र नहीं है, तो लाखों पुराने पेंशनर्स को 8th CPC से बड़े लाभ नहीं मिल पाएंगे।
NPS बनाम OPS – कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग
2004 के बाद नियुक्त सभी केंद्रीय कर्मचारियों को New Pension System (NPS) के तहत रखा गया है। यह प्रणाली बाजार आधारित है और इसमें पेंशन की गारंटी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से केंद्रीय कर्मचारियों का सबसे बड़ा आंदोलन OPS (Old Pension Scheme) की बहाली से जुड़ा है।
लेकिन 8th CPC के ToR में NPS और OPS पर एक भी शब्द नहीं है। इस कारण कर्मचारियों की नाराज़गी और बढ़ गई है। उनका कहना है कि पेंशन सुरक्षा किसी भी वेतन आयोग का प्रमुख विषय होना चाहिए। ToR में इस विषय का न होना एक गंभीर चूक है।
कई कर्मचारी-संघों ने यह भी कहा कि यदि 8th CPC रिपोर्ट तैयार करेगा लेकिन OPS बहाली पर दिशा नहीं देगा, तो पूरा फायदा अधूरा रह जाएगा। इस विवाद पर पहले भी कई बार बैठकें हुई हैं। इससे संबंधित ताजा जानकारी के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं — 8th Pay Commission Salary & Pension Update
Negative Wording का विवाद – “Unfunded Cost” क्या है?
ToR में एक पंक्ति लिखी गई है: “Unfunded cost of non-contributory pension system।” कर्मचारी-संघों का कहना है कि यह शब्दावली पेंशन को बोझ की तरह पेश करती है। उनके अनुसार पेंशन सरकार का उपकार नहीं, बल्कि कर्मचारी का अधिकार है। यह उसके पूरे करियर की सेवा-निष्ठा का मूल्य है।
JCM का कहना है कि ToR में इस भाषा का उपयोग सम्मान के खिलाफ है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे “Pensionary Benefits Liability” जैसी neutral vocabulary से बदल दिया जाए।
पेंशन को बोझ नहीं बल्कि earned benefit बताया जाए। ToR में सम्मानजनक भाषा हो।
Effective Date क्यों नहीं लिखी गई?
8th CPC की प्रभावी तिथि (Effective Date) 1 January 2026 होनी चाहिए। यह परंपरा हर आयोग में रही है। लेकिन यह तिथि इस बार ToR में लिखी ही नहीं गई। इससे कर्मचारियों में यह डर बढ़ गया है कि सरकार वेतन आयोग को “late effect” न दे दे, जैसा 6th CPC में हुआ था। देर से लागू होने पर कर्मचारियों को arrears तो मिलते हैं लेकिन तत्काल वेतन लाभ कम मिलता है।
यही वजह है कि JCM ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में इस तारीख को स्पष्ट रूप से ToR में जोड़ने की अपील की है।
Interim Relief (IR) की बड़ी मांग
Pay Commission की रिपोर्ट आने में कई बार 18 महीने से 2 साल लग जाते हैं। इस बीच कर्मचारियों पर महंगाई का दबाव बढ़ता है। इसलिए JCM ने मांग की है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को **20% Interim Relief** तुरंत दिया जाए।
उनका कहना है कि IR कई बार कर्मचारियों को वास्तविक राहत देता है, जबकि 8th CPC लागू होने में अभी समय है। IR पर विशेषज्ञों की राय यह भी है कि सरकार इस पर विचार कर सकती है क्योंकि महंगाई दर लंबे समय से उच्च स्तर पर है।
IR कब मिलता है?
| स्थिति | IR की संभावना |
| आयोग गठन के तुरंत बाद | मध्यम |
| रिपोर्ट में लंबा समय | उच्च |
| पेंशन दबाव अधिक | बहुत उच्च |
IR पर चर्चा पहले भी कई कमेटियों में हो चुकी है। इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं — 8th CPC ToR Cabinet Update
ToR पर उठी आपत्तियों के गहरे कारण
कर्मचारी-संगठनों का कहना है कि 8वें वेतन आयोग के Terms of Reference भले जारी हो चुके हैं, पर उनमें कई बिंदु ऐसे हैं जो कर्मचारियों और पेंशनधारकों की उम्मीदों को पूरा नहीं करते। उनका तर्क है कि वेतन आयोग का मूल उद्देश्य ही कर्मचारियों की स्थिति, आवश्यकताओं और भविष्य की सुरक्षा पर विचार करना होता है। अगर ToR अधूरा हो, तो आयोग की सिफारिशें भी अधूरी रह जाएँगी।
संगठनों का कहना है कि पिछले आयोगों में कर्मचारी-केंद्रित भाषा का प्रयोग होता था। पर इस बार उनकी आवाज़ और अपेक्षाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इसके कारण कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है। उनका कहना है कि आयोग की प्रक्रिया तभी सफल कहलाएगी जब उसमें सभी हितधारकों का सम्मानजनक उल्लेख हो।
“अगर ToR में हमारी अपेक्षाएँ नहीं होंगी, तो आयोग हमारे हालात कैसे समझेगा? हमारी जरूरतें, वेतन-संरचना और पेंशन से जुड़े मुद्दे मुख्य होने चाहिए।”
किस समूह पर सबसे अधिक प्रभाव?
कई वर्ग ऐसे हैं जो ToR की भाषा से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इनमें मौजूदा कर्मचारी, पुराने पेंशनधारक, परिवार-पेंशन पाने वाले, NPS वाले कर्मचारी और रक्षा-कर्मचारी प्रमुख हैं। इन सभी की अलग-अलग समस्याएँ हैं, पर ToR में उनकी आवश्यकताओं पर स्पष्ट उल्लेख नहीं दिखता।
| समूह | होने वाला सीधा प्रभाव |
| मौजूदा कर्मचारी | वेतन-बैंड, भत्ते और IR पर असर |
| Existing Pensioners | पेंशन संशोधन का स्पष्ट उल्लेख नहीं |
| Family Pensioners | समान लाभ की अस्पष्टता |
| NPS कर्मचारी | OPS बहाली पर कोई संकेत नहीं |
| Defence कर्मचारी | OROP और parity का जिक्र नहीं |
कर्मचारी-संगठनों की 8 बड़ी आपत्तियाँ
NC-JCM और अन्य संघों ने अपनी चिट्ठियों में स्पष्ट रूप से आठ मुख्य बिंदुओं पर संशोधन माँगा है। उनका कहना है कि इन बिंदुओं का ToR में शामिल होना आवश्यक है, तभी आयोग की रिपोर्ट कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति को दर्शाएगी।
- Stakeholders की उम्मीदों वाला clause वापस जोड़ा जाए।
- Pension revision को ToR में साफ-साफ लिखा जाए।
- NPS कर्मचारियों के लिए OPS मुद्दा शामिल हो।
- “Unfunded cost…” जैसे नकारात्मक शब्द हटाए जाएँ।
- Effective date स्पष्ट हो — 1 January 2026।
- Interim Relief तुरंत दिया जाए।
- Pensioners की सभी categories को जोड़ा जाए।
- Defence कर्मचारियों के मुद्दे लिखित रूप से शामिल हों।
Interim Relief की मांग क्यों बढ़ रही है?
Interim Relief वह राहत है जो आयोग की रिपोर्ट आने से पहले कर्मचारियों और पेंशनरों को दी जाती है। इसका उद्देश्य है बढ़ती महंगाई से कुछ राहत मिलना। कर्मचारी-संगठन चाहते हैं कि सरकार बेसिक पे पर 20% IR दे।
उनका तर्क है कि पिछले कई वर्षों में महंगाई तेज़ी से बढ़ी है। वेतन-बढ़ोतरी और भत्तों की समीक्षा केवल आयोग की रिपोर्ट के बाद होती है। इसलिए बीच-समय में राहत मिलना जरूरी है। यह मांग लंबे समय से की जा रही है और ToR में इसे शामिल करने का दबाव बढ़ रहा है।
— बेसिक वेतन पर 20% — बेसिक पेंशन पर भी 20% — रिपोर्ट आने तक हर महीने स्थिर भुगतान
ToR में तारीख न होने से क्यों चिंता?
8वें वेतन आयोग की प्रभावी तारीख स्पष्ट नहीं है। पिछले सभी आयोगों में लागू-तारीख पहले से घोषित होती रही है, ताकि वेतन-सुधार में देरी न हो।
कर्मचारियों की मांग है कि प्रभावी तारीख “1 January 2026” लिखी जाए। यदि तारीख न लिखी जाए तो रिपोर्ट लागू होने में देरी हो सकती है, जिससे लाभ कम हो जाएगा।
अगर ToR बदला गया तो क्या बड़ा फायदा होगा?
कर्मचारी संगठनों के अनुसार यदि सरकार संशोधित ToR जारी कर देती है, तो यह बदलाव सबसे अधिक लाभ दे सकता है:
- वेतन और पेंशन में बड़ा सुधार।
- NPS कर्मचारियों के लिए भविष्य-सुरक्षा बढ़ेगी।
- पेंशनर्स को स्पष्ट लाभ मिलेगा।
- Defence पेंशनर्स के मुद्दे हल हो सकते हैं।
- IR मिलने पर तुरंत राहत।
यदि ToR नहीं बदला गया, तो कर्मचारी-संगठन इसे “एक-तरफ़ा” और “अधूरा” मानते रहेंगे। इससे असंतोष और विरोध की संभावना बढ़ सकती है।
अभी आगे क्या स्थिति बन सकती है?
NC-JCM ने प्रधानमंत्री को पत्र भेज दिया है। अब सरकार को या तो संशोधित ToR जारी करना होगा या विस्तृत स्पष्टीकरण देना होगा।
अगले कुछ हफ्तों में कोई बड़ा अपडेट आने की संभावना है। कई कर्मचारी-संगठन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से अभियान चला रहे हैं। वे चाहते हैं कि आयोग के कार्य-क्षेत्र में कर्मचारी-हित मुख्य केंद्र में रहे।
यही कारण है कि 8वें वेतन आयोग को लेकर पूरा देश सतर्क है। कर्मचारियों और पेंशनधारकों का मानना है कि यह सुधार केवल वेतन नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा से भी जुड़ा है।

