भारत के शहर तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन कई जगह बुनियादी ढाँचा पुराने ढांचे में फँसा हुआ है। पानी, सफाई, सड़कें, पुरानी सरकारी इमारतें, खराब शहरी योजना, ये सभी चुनौतियाँ लाखों लोगों के जीवन पर असर डालती हैं। इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में Urban Challenge Fund (UCF) शुरू किया। इस फंड का लक्ष्य है शहरों को अधिक सक्षम, स्वच्छ, सुरक्षित और आधुनिक बनाना।
सरकार के अनुसार यह फंड शहरों को "growth hubs" बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके माध्यम से राज्य सरकारें, नगर निगम, शहरी स्थानीय निकाय और PPP मॉडल वाले प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इस फंड में ₹1 लाख करोड़ तक का प्रावधान रखा गया है और शुरुआती चरण में लगभग ₹10,000 करोड़ खर्च होने की योजना है।
Urban Challenge Fund क्या है?
Urban Challenge Fund एक राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय सहायता योजना है जिसमें केंद्र सरकार शहरों में पुनर्विकास, नई संरचनाएँ, स्मार्ट समाधान, जल-प्रबंधन, स्वच्छता और अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों के पुनरूत्थान के लिए पैसा उपलब्ध कराती है। यह पैसा उन परियोजनाओं को दिया जाता है जो आर्थिक रूप से व्यवहारिक हों और समय पर पूरा की जा सकें।
यह फंड इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिर्फ बड़े महानगरों के लिए नहीं, बल्कि Tier-2 और Tier-3 शहरों को भी समान अवसर देता है। इन शहरों में संसाधन सीमित होते हैं, इसलिए UCF एक बड़ा सहारा बन सकता है।
योजना कब शुरू हुई?
Urban Challenge Fund की आधिकारिक घोषणा वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए आम बजट 2025-26 में की गई। बजट भाषण में इसे शहरी विकास की सबसे बड़ी पहलों में से एक बताया गया। घोषणा के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने राज्यों और नगर निकायों को निर्देश भेजे कि वे योग्य परियोजनाएँ पहचानें और अपनी DPR तैयार करें।
इस योजना का लाभ कौन ले सकता है?
इस फंड का लाभ सामान्य नागरिक सीधे नहीं ले सकते, लेकिन शहरों का विकास होने से इसका फायदा अप्रत्यक्ष रूप से सभी को मिलेगा। प्रत्यक्ष लाभार्थी वे संस्थाएँ हैं जो शहरों के विकास कार्यों का प्रबंधन करती हैं।
| लाभार्थी | कैसे लाभ मिलेगा |
| नगर निगम (Municipal Corporations) | पुरानी संरचनाओं का सुधार, जल-स्वच्छता परियोजनाएँ, सड़कें, स्मार्ट समाधान |
| ULB (Urban Local Bodies) | शहरों के पुनर्विकास और PPP मॉडल में वित्तीय समर्थन |
| राज्य सरकारें | बड़े पैमाने की परियोजनाओं को तेज गति से चलाने की क्षमता बढ़ेगी |
| निजी कंपनियाँ (PPP Model) | सह-वित्तपोषण के साथ तेजी से प्रोजेक्ट लागू कर पाएँगी |
इन परियोजनाओं में आधुनिक जल निकासी, नदी तट पुनर्विकास, पार्क निर्माण, स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग, पुराने भवनों का नया उपयोग, डिजिटल नगर सेवाएँ आदि शामिल हो सकती हैं।
क्या आम नागरिक को भी फायदा मिलेगा?
हाँ, नागरिकों को इसका लाभ कई तरह से मिलेगा। शहरों में बेहतर सड़कें, साफ पानी, कम गंदगी, नए पार्क, आधुनिक ट्रांसपोर्ट और डिजिटल सुविधाएँ—ये सभी इस फंड के माध्यम से संभव होंगी।
UCF की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे पुराने शहरों के बीच छूटे हुए या जर्जर क्षेत्र फिर से उपयोग में आएँगे, जिससे शहर की आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
Urban Challenge Fund की कार्यप्रणाली कैसे चलेगी?
Urban Challenge Fund का लक्ष्य है कि शहरों में तेजी से विकास हो, पुराने और अनुपयोगी सरकारी संसाधनों का पुनरुद्धार हो और स्थानीय निकायों की वित्तीय क्षमता में सुधार आये। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह फंड “urban transformation” मॉडल को मजबूत करेगा। यह जानकारी केंद्र सरकार ने एक विस्तृत नोट में जारी की है — स्रोत: pib.gov.in.
इस फंड के तहत राज्य सरकारें और नगर निकाय ऐसी परियोजनाएँ भेजेंगे जो बैंकएबल हों। बैंकएबल का अर्थ है कि परियोजना में राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता हो और वह लंबे समय तक शहर को लाभ दे सके। इस फंड का उपयोग पुराने बाजारों, बस स्टेशनों, मंडियों, नदी तट क्षेत्रों, पुराने सरकारी भवनों और अनउपयोगित भूमि के विकास में होगा।
कौन-कौन आवेदन कर सकते हैं?
इस योजना में आम नागरिक सीधे आवेदन नहीं करते। यह फंड नगर निगम, नगर पालिका, विकास प्राधिकरण, राज्य सरकारों और PPP मॉडल पर काम करने वाले संगठनों के लिए है।
फंड का उद्देश्य यह है कि स्थानीय निकाय सशक्त हों और अपने शहर के अनुरूप प्रोजेक्ट चुन सकें। विशेषकर Tier-2 और Tier-3 शहरों को इससे बड़ी मदद मिलेगी, क्योंकि उनके पास अब तक वित्त की कमी रहती थी।
- नगर निगम और नगरपालिका
- राज्य शहरी विकास विभाग
- PPP मॉडल वाले विकास बोर्ड
- विशेष शहरी परियोजना एजेंसियाँ
विशेष रूप से लाभान्वित समूह
| लाभार्थी | लाभ का प्रकार |
| नगर निकाय | तेजी से वित्त उपलब्धता |
| राज्य सरकारें | बड़ी परियोजनाओं के लिए सह-वित्तपोषण |
| PPP साझेदार | निवेश सुरक्षा और कम जोखिम |
Urban Challenge Fund के लिए आवेदन कैसे किया जाएगा?
Urban Challenge Fund की आवेदन प्रक्रिया बेहद व्यवस्थित है। इसका उद्देश्य है कि प्रोजेक्ट चुनते समय पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
नगर निकाय अपने शहर में ऐसी परिसंपत्तियों को सूचीबद्ध करेंगे जो पुनरुद्धार योग्य हों, जैसे कि पुरानी इमारत, बाजार, जलस्रोत या मुख्य सार्वजनिक स्थान।
प्रस्ताव में लागत, राजस्व संभावना, प्रबंधन योजना, निर्माण योजना और समयसीमा जैसी बातें शामिल होंगी।
राज्य सरकार परियोजना का मूल्यांकन करेगी और योग्य होने पर केंद्र को भेजेगी।
केंद्र सरकार पात्र परियोजनाओं की लागत का 25% तक अनुदान देगी। शेष राशि बैंक ऋण, नगर निगम बांड या PPP से लाई जाएगी।
Urban Challenge Fund का वित्तीय ढांचा
सरकार ने UCF को इतना सक्षम बनाया है कि यह नगर निकायों के वित्तीय कौशल को भी सुधार देगा।
- फंड 25% तक आर्थिक सहयोग देगा।
- 50% राशि बैंक ऋण या PPP से लानी होगी।
- राज्य अपनी इच्छानुसार अतिरिक्त सहायता भी जोड़ सकते हैं।
यही मॉडल कई योजनाओं में पहले से सफल रहा है। इसी कारण कई राज्य इस फंड का तुरंत लाभ उठाना चाहते हैं।
सामाजिक सुरक्षा वाली योजनाओं की तरह इसमें भी पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। यदि आप सामाजिक सुरक्षा में रुचि रखते हैं, तो यह लिंक जानकारी देगा — ग्रेच्युटी नियम 2025.
इस फंड के कारण शहरों को अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा। कई विकास कार्यों में रोजगार भी पैदा होंगे।
Urban Challenge Fund से शहरों को क्या बड़े लाभ मिलेंगे?
Urban Challenge Fund (UCF) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह केवल नए निर्माण नहीं करता, बल्कि शहरों में पड़ी पुरानी, अधूरी, अनुपयोगी और खराब हालत वाली सरकारी जमीन एवं इमारतों को फिर से जीवित करता है। यह मॉडल भारत में पहली बार इतने बड़े स्तर पर अपनाया जा रहा है। शहरों के केंद्र में मौजूद खाली पड़ी भूमि को productive zone में बदलने से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
कई राज्यों में यह देखा गया कि पुराने पोस्ट ऑफिस, गोदाम, सरकारी क्वार्टर, बंद बस-डिपो, unused जेल परिसर जैसे ढांचे सालों तक बेकार पड़े रहते थे। अब इन्हें सार्वजनिक उपयोग, revenue-generating मॉडल और community spaces में बदला जाएगा। इससे शहर की planning बेहतर होगी और लोगों को modern सुविधाएँ मिलेंगी।
- शहरों में स्वस्थ विकास (balanced growth)
- निवेश आकर्षण बढ़ेगा
- नगर निगम की आर्थिक क्षमता मजबूत होगी
- सार्वजनिक जमीन का सही उपयोग
- रोजगार और स्थानीय बिज़नेस को बढ़ावा
इस योजना से किस वर्ग को सीधा लाभ मिलता है?
Urban Challenge Fund से कई स्तरों पर लाभ मिलता है। सबसे पहले लाभ नागरिकों को मिलता है, क्योंकि शहर का रोजमर्रा जीवन बेहतर होता है। साफ सडकें, बेहतर जल आपूर्ति, मजबूत नालियाँ, पुनर्विकसित सार्वजनिक स्थान — यह सब शहर की गुणवत्ता बढ़ाते हैं।
दूसरा बड़ा लाभ शहरी स्थानीय निकाय (ULB) को मिलता है, क्योंकि उन्हें बड़े प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए अब केंद्र से 25% तक वित्तीय सहयोग मिलता है। यह मदद उन परियोजनाओं में बहुत काम आती है जहाँ निजी निवेश तुरंत उपलब्ध नहीं होता।
तीसरा लाभ निजी निवेशकों को मिलता है, क्योंकि PPP मॉडल में शहरों के पुनर्विकास प्रोजेक्ट अब ज्यादा सुरक्षित और वित्तीय रूप से viable बनते हैं।
अगर आप शहरों में चल रही अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह लिंक सहायक होगा — UP दिव्यांग पेंशन योजना
क्या सामान्य नागरिक भी आवेदन कर सकता है?
नागरिक सीधे UCF में आवेदन नहीं करते, पर अप्रत्यक्ष रूप से वे इसका लाभ उठाते हैं। यह फंड राज्य सरकारों, नगर निगमों और विकास-प्राधिकरणों द्वारा उपयोग किया जाता है। नागरिक केवल सुझाव, स्थानीय भागीदारी और शहर-स्तर की सार्वजनिक सुनवाई (public consultation) में राय दे सकते हैं।
कुछ राज्यों ने कहा है कि community की भागीदारी उन प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देगी जहाँ लोग खुद redevelopment चाहते हैं।
लाभ पाने का तरीका क्या है? प्रक्रिया समझें
यह फंड "project-driven" है। यानी लाभ उसी को मिलेगा जिसका प्रोजेक्ट चयन किया जाएगा। नीचे यह प्रक्रिया सरल भाषा में समझाई गई है:
| चरण | विवरण |
| 1. प्रोजेक्ट पहचान | ULB अपने शहर में पुनर्विकास योग्य जमीन/भवन चिन्हित करता है |
| 2. DPR बनाना | लागत, नक्शा, आय-स्रोत और टाइमलाइन तैयार की जाती है |
| 3. राज्य को भेजना | राज्य सरकार प्रस्ताव की जांच करती है |
| 4. केंद्र की मंजूरी | योग्य प्रोजेक्ट्स को Urban Challenge Fund से स्वीकृति मिलती है |
| 5. फंड जारी | केंद्र 25% तक वित्तीय सहायता देता है |
| 6. निर्माण व निगरानी | ULB, PPP या private partner प्रोजेक्ट पूरा करते हैं |
इस योजना से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम भी विकसित करने की बात कही है। इसका उल्लेख आवास एवं शहरी मंत्रालय ने कई बैठकों में किया है। (संदर्भ: MoHUA – Government of India)
कौन से प्रोजेक्ट जल्दी स्वीकृत हो सकते हैं?
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश बताते हैं कि ऐसे प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता मिलेगी:
- जहाँ भूमि विवाद न हो
- जहाँ DPR मजबूत हो
- जहाँ PPP निवेश मिलने की संभावना अधिक हो
- जहाँ revenue-generation स्पष्ट हो
- जहाँ जनता की मांग हो
अगर आप रोजगार और स्वरोजगार से जुड़ी अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी चाहते हैं, तो यह लेख उपयोगी रहेगा — PMMY मुद्रा योजना
निष्कर्ष
Urban Challenge Fund आने वाले वर्षों में भारत के शहरों का नक्शा बदल सकता है। यह योजना उन शहरों को सबसे अधिक लाभ देगी जहाँ जमीन मौजूद है लेकिन उपयोग नहीं हो रहा। इसके साथ ही यह फंड नगर निगमों की आय क्षमता, प्रबंधन कौशल और नागरिक सुविधाओं का स्तर बढ़ाएगा।
यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले समय में शहरों के पुनर्विकास का सबसे बड़ा वित्तीय ढांचा यही बन सकता है।

