नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने दिया इस्तीफा | भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन

0 Divya Chauhan
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने दिया इस्तीफा

काठमांडू, 9 सितंबर 2025: नेपाल की राजधानी काठमांडू में आज बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल मच गया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला देश में दो दिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच आया। युवा, खासकर जेन-जेड के बच्चे, सड़कों पर उतर आए। वे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर लगे बैन के खिलाफ चिल्ला रहे थे। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। अब नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर आगजनी की। प्रधानमंत्री ओली के भक्तपुर स्थित निजी आवास पर भीड़ ने हमला बोल दिया। उन्होंने वहां आग लगा दी। राष्ट्रपति के निजी निवास पर भी कब्जा कर लिया गया। आग लगाने की कोशिश हुई। पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दाहाल प्रचंड और शेर बहादुर देउबा के घरों पर भी तोड़फोड़ हुई। मंत्रियों के घर निशाना बने। गृह मंत्री रमेश लेखक के घर में आग लगाई गई। विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा का घर भी जला। केंद्रीय बैंक के गवर्नर के घर पर हमला बोला गया।
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Image: Social Media

यह सब कुछ सोमवार से शुरू हुआ। नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूट्यूब जैसे 27 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। कारण था कि ये कंपनियां नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाईं। युवाओं ने इसे अपनी आजादी पर हमला बताया। वे कहते हैं कि सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है। सोमवार को काठमांडू में प्रदर्शन शुरू हुए। जेन-जेड के युवा संसद भवन के बाहर इकट्ठा हो गए। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ नारे लगाए। "केपी चोर, देश छोड़" जैसे नारे गूंजे।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस छोड़ी। पानी की बौछारें कीं। कुछ जगहों पर गोलीबारी हुई। नतीजा यह निकला कि 20 से ज्यादा लोग मारे गए। 250 से अधिक घायल हो गए। मंगलवार को आंदोलन और तेज हो गया। काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया। लेकिन लोग नहीं रुके। वे टायर जलाने लगे। सरकारी दफ्तरों पर हमला बोला। नेपाली कांग्रेस का मुख्यालय तोड़ा गया। कम्युनिस्ट पार्टी का दफ्तर भी। ललितपुर और भक्तपुर जैसे इलाकों में हेलीकॉप्टर उड़ते दिखे। मंत्रियों को बचाने के लिए इस्तेमाल हुए।
गृह मंत्री रमेश लेखक ने सोमवार रात को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि 20 मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके बाद कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी पद छोड़ दिया। स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने इस्तीफा दिया। विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा और कानून मंत्री अजय चौरसिया ने भी। कुल मिलाकर पांच से ज्यादा मंत्री इस्तीफा दे चुके। सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि पीएम ओली इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन दबाव इतना बढ़ गया कि ओली को झुकना पड़ा।
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ओली ने दोपहर में राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 77(1)(ए) के तहत यह कदम उठा रहे हैं। देश की असाधारण स्थिति को देखते हुए। ओली ने पत्र में लिखा, "माननीय राष्ट्रपति जी, नेपाल संविधान के अनुसार मैं आज से प्रधानमंत्री पद छोड़ रहा हूं। ताकि नई सरकार बन सके।" ओली ने कहा कि वे सोशल मीडिया बैन नहीं हटाएंगे। भले ही पद छोड़ना पड़े। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैन हटाने की मांग की।
ओली कौन हैं? केपी शर्मा ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के चेयरमैन हैं। यह उनकी चौथी बार प्रधानमंत्री पद था। जुलाई 2024 में वे सत्ता में आए। नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। लेकिन उनका शासन विवादों से भरा रहा। भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बेरोजगारी बढ़ी। युवा नाराज थे। ओली को चीन का करीबी माना जाता है। भारत के साथ सीमा विवाद में भी फंसे। हिंदू राष्ट्र की मांग को अनदेखा किया। इन गलतियों ने उन्हें महंगा पड़ा।
प्रदर्शन के दौरान क्या-क्या हुआ? काठमांडू के अलावा ललितपुर, भक्तपुर, सरलाही और रौताहट में हंगामा। वहां कर्फ्यू लगाया गया। नगर निगम के दफ्तर जला दिए गए। त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद हो गया। घरेलू उड़ानें रद्द। भारत-नेपाल बॉर्डर पर सतर्कता बरती गई। बिहार के सात बॉर्डर सील कर दिए गए। भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी।
अब क्या होगा? राष्ट्रपति पौडेल को नई सरकार बनाने का काम सौंपा गया। संविधान के मुताबिक, सबसे बड़े दल को मौका मिलेगा। नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां बातचीत करेंगी। शाम को ऑल पार्टी मीटिंग होनी है। शायद नया गठबंधन बने। लेकिन युवा चुप नहीं बैठेंगे। वे कहते हैं कि भ्रष्टाचार मिटाना है। सोशल मीडिया बैन हटाओ। नई सरकार साफ-सुथरी हो। संसद महासचिव गगन थापा ने कहा कि ओली को 19 मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
ओली ने सेना प्रमुख से मदद मांगी। लेकिन सेना प्रमुख ने कहा कि पहले इस्तीफा दो। तब हालात सुधरेंगे। ओली को दुबई भागने की अफवाहें थीं। हिमालय एयरलाइंस को स्टैंडबाय रखा गया। लेकिन ओली के करीबी ने कहा कि वे देश नहीं छोड़ेंगे। उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह को कार्यवाहक जिम्मेदारी दी गई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई। भारत ने बॉर्डर सील किया। चीन ने शांति बनाए रखने की अपील की। अमेरिका और यूरोप ने मानवाधिकार का मुद्दा उठाया। संयुक्त राष्ट्र ने मौतों पर दुख जताया। नेपाल की अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर। यह आंदोलन पर्यटन और व्यापार को नुकसान पहुंचाएगा।
जेन-जेड की ताकत दिखी। ये 18-25 साल के युवा हैं। वे डिजिटल दुनिया से जुड़े। बैन लगने से गुस्सा भड़का। उन्होंने संगठित होकर आंदोलन किया। पुरानी पार्टियां हैरान। लेकिन हिंसा गलत। मौतें दुखद। शांतिपूर्ण प्रदर्शन ही रास्ता। सरकार को युवाओं की बात सुननी चाहिए।
काठमांडू में अब जश्न का माहौल। लोग नारे लगा रहे। लेकिन कर्फ्यू जारी। पुलिस सतर्क। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि लड़ाई जारी रहेगी। नेपाल के भविष्य के लिए यह मोड़ अहम। शांति जल्द लौटे। लोकतंत्र मजबूत हो।

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